पिता नहीं चाहते थे नुसरत फतेह अली खान कव्वाली के क्षेत्र में आएं, आज 125 एलबम हैं उनके नाम
लीवर और किडनी की समस्याओं के इलाज के लिए अपने मूल पाकिस्तान से लंदन जाने के बाद, उन्हें हवाई अड्डे से लंदन के क्रॉमवेल अस्पताल ले जाया गया.
नुसरत फतेह अली खान…ये एक ऐसा नाम है जिन्हें लोग सूफी सिंगिंग और एक बेहतरीन कव्वाल के तौर पर जानते हैं. इनकी कव्वाली ने इन्हें इंटरनेशनल लेवल तक जान-पहचान दिलाई. नुसरत फतेह अली खान का जन्म 13 अक्टर 1948 को पाकिस्तान के पंजाब स्थित फैसलाबाद में हुआ था. नुसरत फतेह अली खान के पिता उस्ताद फतेह अली खान साहब भी एक मशहूर कव्वाल थे. आज नुसरत फतेह अली खान हमारे बीच नही हैं, लेकिन उनकी कव्वाली आज भी लोगों के बीच काफी फेमस है. उनकी डेथ एनिवर्सरी पर आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प किस्सों के बारे में बताते हैं.
नुसरत साहब को उनके पिता ने कव्वाली के लिए किया था मना
नुसरत फतेह अली खान के पिता उस्ताद फतेह अली खान साहब ने उन्हें कव्वाली के क्षेत्र में आने से मना किया था. दरअसल, ऐसा करने के पीछे की वजह ये थी कि वो अपने खानदान की 600 वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़ना चाहते थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और नुसरत साहब भी कव्वाली के क्षेत्र में आ ही गए. लेकिन जब नुसरत साहब की आवाज और उनकी कव्वाली को उनके पिता ने सुना तो उन्हें ये मानना ही पड़ा कि नुसरत की आवाज खुदा का दिया तोहफा है और वो फिर उन्हें गाने से रोक नहीं पाए. लेकिन उसी का नतीजा भी है कि आज पूरी दुनिया नुसरत साहब को जानती है, उनके गानों को पसंद करती है और उन्हें याद करती है.
पहली बार पारिवारिक कव्वाली पार्टी में गाया था
महज 15 साल की छोटी सी उम्र में नुसरत साहब ने अपने पिता के चेलम में परफॉर्मेंस दी. वो साल 1971 में आयोजित हुई पारिवारिक कव्वाली पार्टी में हेड भी किया. उन्होंने इसके लिए सरगम, खयाल और रिदम की परिवार की लीगेसी को बरकरार रखा. साल 1980 में उन्हें इंग्लैंड के बर्मिंघम स्थित ओरिएंटल स्टार एजेंसीज ने साइन किया था. नुसरत साहब ने अपने मूवी स्कोर और एल्बम को यूरोप, भारत, जापान, पाकिस्तान और अमेरिका में रिलीज किया था. असके अलावा उन्होंने वेस्टर्न के आर्टिस्ट्स के साथ भी कोलैबोरेट किया था. उन्होंने 40 से ज्यादा देशों में अपनी परफॉर्मेंस दी थी.
125 एल्बम हैं नुसरत साहब के नाम
नुसरत फतेह अली खान साहब के नाम 125 एल्बम हैं और उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. उनकी आवाज में वो जादू था जिसे लोग सुनते ही मदहोश हो जाते थे. उनकी कव्वाली को पसंद करने वालेपूरी दुनिया में लोग मौजूद थे और आज भी हैं. एक बार साल 1993 में शिकागो में विंटर फेस्टिवल में शाम के समय में नुसरत फतेह अली खान ने रॉक कॉन्सर्ट के बीच अपनी परफॉर्मेंस दी थी. उनकी परफॉर्मेंस सुनकर लोग झूम उठे थे. उन्होंने यहां सिर्फ 20 मिनट के लिए ही अपनी प्रस्तुति दी लेकिन ऐसा लग रहा था कि वो पिछले दो-तीन घंटों से गा रहे हैं. वहां मौजूद सभी लोग मतवाले हुए जा रहे थे. उन्होंने वहीं पीटर गैब्रियल के साथ उनकी फिल्म में भी अपनी आवाज दी.
दो बार ग्रैमी अवॉर्ड से हो चुके हैं नॉमिनेट
साल 1997 में, बेस्ट ट्रैडिशनल फोक एल्बम और बेस्ट वर्ल्ड म्यूजिक एल्बम को लेकर ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था. उन्हें साल 1995 में यूनेस्को की तरफ से म्यूजिक प्राइज दिया गया. इसके अलावा उन्हें अपनी जिंदगी में कई सारे प्राइज मिले.
दिल का दौरा पड़ने से हुआ था निधन
नुसरत फतेह अली खान का वजन 137 किलोग्राम था और अमेरिकन रिकॉर्डिंग्स के यूएस लेबल के स्पोक्सपर्सन के मुताबिक, वो कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे. लीवर और किडनी की समस्याओं के इलाज के लिए अपने मूल पाकिस्तान से लंदन जाने के बाद, उन्हें हवाई अड्डे से लंदन के क्रॉमवेल अस्पताल ले जाया गया. 48 साल की उम्र में 16 अगस्त 1997 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी क्रॉमवेल अस्पताल में ही मौत हो गई.
इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को फैसलाबाद भेज दिया गया जहां लोगों के सामने उनका अंतिम संस्कार किया गया. नुसरत फतेह अली खान के निधन के बाद उनकी पत्नी नहीद नुसरत कनाडा चली गईं, जहां ओंटैरियो, मिस्सीसौगा में 13 सितंबर 2013 में उनता निधन हो गया. नुसरत फतेह अली खान के निधन के बाद उनके परिवार की लीगेसी को उनकी भतीजे राहत फतेह अली खान और रिजवान-मुअज्जम आगे बढ़ा रहे हैं.