दिल्ली के चांदनी चौक में क्यों दिलचस्प हुई सियासी जंग? एक तरफ खंडेलवाल तो दूसरी तरफ अग्रवाल

दिल्ली के चांदनी चौक में क्यों दिलचस्प हुई सियासी जंग? एक तरफ खंडेलवाल तो दूसरी तरफ अग्रवाल

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, ऐसे में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी चार सीटों पर मैदान में उतरी है तो दूसरी ओर कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. चांदनी चौक की सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है और उसने यहां से जेपी अग्रवाल को मैदान में उतारा है.

दिल्ली के चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो गया है. बीजेपी के प्रवीण खंडेलवाल के मुकाबले कांग्रेस के दिग्गज नेता जेपी अग्रवाल मैदान में हैं. जेपी अग्रवाल बनाम प्रवीण खंडेलवाल की सियासी लड़ाई की वजह से चांदनी चौक लोकसभा चुनाव बेहद रोमांचक हो गया है. ये सच है कि लंबे समय तक दिल्ली में राज करने वाली कांग्रेस पार्टी इस वक्त खासतौर से दिल्ली में मुश्किल हालात से गुजर रही है, फिर भी चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार इसे बड़ी चुनौती नहीं मानते हैं.

प्रवीण खंडेलवाल बनाम जेपी अग्रवाल की सियासी लड़ाई की वजह से चांदनी चौक इस बार के लोकसभा चुनाव में हॉट सीट बन गया है. जहां एक ओर कांग्रेस उम्मीदवार जेपी अग्रवाल के पास पिछले चार दशक का सियासी अनुभव है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल भी पिछले लंबे समय से व्यापारियों की समस्याओं को मजबूती से उठाते रहे हैं. चांदनी चौक से बीजेपी उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल कांग्रेस उम्मीदवार जेपी अग्रवाल पर हमला बोलने के बजाय कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोल रहे हैं.

क्या कहते हैं आंकड़ें

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व में बीजेपी के हौसले दिल्ली में भी बुलंद है. बीजेपी में ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा भी दिया है. इधर पहली बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ रही है. लेकिन इन सबके बावजूद अपने करीब चार दशक लंबे सियासी अनुभव एवं जमीनी नेता होने की वजह से चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल की उम्मीदवारी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में यहां की सियासी लड़ाई को दिलचस्प तो जरूर बना दिया है.

कांग्रेस तीन पर AAP चार सीट पर लड़ रही चुनाव

दरअसल, दिल्ली में इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ चुनाव लड़ रही है. दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस लड़ रही है जबकि चार सीट पर आम आदमी पार्टी मैदान में है. पिछले चुनाव में सभी पार्टियां अकेले-अकेले मैदान में उतरी थीं, लेकिन इस बार सियासी समीकरण बदल गए हैं.