MP में कांग्रेस के लिए ‘अपने’ ही बने खतरा, 93 सीटों पर INDIA गठबंधन ने फंसाया पेच
टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस कैंप में घमासान मचा हुआ है. कुछ तो टिकट के चक्कर में दूसरी पार्टियों में चले गए हैं तो कुछ ने पार्टी में रह कर ही कलह मचा रखा है. वहीं दूसरी ओर एमपी की 92 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का मुक़ाबला अब इंडिया गठबंधन के घटक दलों से भी है.
एमपी में बीजेपी और कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. चुनाव प्रचार भी तेज हो गया है. चुनावी नतीजे को लेकर सबके अपने-अपने दावे हैं. चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुक़ाबला देखने को मिल रहा है. भोपाल में कैंप कर रही कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र का कहना है, पिछली बार हम बहुमत से दो सीट पीछे रह गए थे पर इस बार ऐसी जीत होगी कि हमें किसी के समर्थन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. एमपी में विधानसभा की 230 सीटें है. सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों का समर्थन ज़रूरी है.
एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए बीजेपी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को चुनावी मैदान में उतार दिया है. सीएम शिवराज सिंह चौहान भी अपनी परंपरागत सीट बुधनी से नामांकन कर चुके हैं. बीजेपी इस बार बिना सीएम चेहरे के चुनाव में उतरी है. लेकिन कांग्रेस की तरफ़ से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को ही सीएम उम्मीदवार बनाया गया है.
टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस कैंप में घमासान मचा हुआ है. कुछ तो टिकट के चक्कर में दूसरी पार्टियों में चले गए हैं तो कुछ ने पार्टी में रह कर ही कलह मचा रखा हैं. पार्टी के कुछ रूठे हुए लोगों को कांग्रेस के बड़े नेताओं ने मना लिया है. अब कांग्रेस की लड़ाई दो मोर्चों पर है. उसे अपनों से भी लड़ना पड़ रहा है और विरोधियों से भी. कांग्रेस की मुसीबत ये है कि वो खुलकर अपनों के खिलाफ जा भी नहीं सकती. क्या पता चुनाव के बाद इनकी ज़रूरत पड़ जाए. सबसे बड़ी बात ये है कि अगर अपनों से खुल कर लड़े तो फिर लोकसभा चुनाव में संकट खड़ा हो सकता है. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के घटक दलों के रिश्तों की डोर ही ऐसे मोड़ पर है. इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है. वैसे तो मकसद सबका एक है. ये लक्षय है बीजेपी को हर हाल में हराने का.
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कमलनाथ के मन में कुछ और ही प्लान
पार्टी और भोपाल की सत्ता के रास्ते में समाजवादी पार्टी, जेडीयू और आम आदमी पार्टी ने भी कांटे बिछा दिए हैं. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व तो समाजवादी पार्टी से चुनावी तालमेल करना चाहता था. पर कमलनाथ के मन में कुछ और था. इसीलिए सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बनी. नाराज़ अखिलेश यादव ने अब तक 73 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. आम आदमी पार्टी ने भी अब तक 70 टिकटों की घोषणा कर दी है. अरविंद केजरीवाल ने पहले तो सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. पिछले निकाय चुनाव में आप को छह प्रतिशत वोट मिल गए थे. जेडीयू ने भी आख़िरी मौक़े पर पांच उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी. इस तरह बीजेपी से सीधे मुक़ाबले में फंसी कांग्रेस के लिए अब यही सहयोगी पार्टियां जी का जंजाल बन गई हैं.
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92 सीटों पर इंडिया गठबंधन के दलों से मुकाबला
एमपी की 92 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का मुक़ाबला इंडिया गठबंधन के घटक दलों से है. इनमें से 26 सीटों पर कांग्रेस की लड़ाई समाजवादी पार्टी और आप से है. तीन सीटों पर कांग्रेस से मुक़ाबले में आप और जेडीयू है. बीजेपी विरोधी वोटों के बंटवारे का सीधा नुक़सान कांग्रेस को हो सकता है. जिन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर है, वहां इसका फ़ायदा बीजेपी को होने का अनुमान है. जानकारी के मुताबिक़ इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां एमपी की 92 सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं.
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इंडिया गठबंधन के घटक दल बने मुसीबत
पिछली बार कांग्रेस ने बहुत कम अंतर से जो सीटें जीती थीं उनमें से नौ सीटों पर इंडिया गठबंधन के घटक दल चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे ही जो सीटें कांग्रेस बहुत कम अंतर से हार गई थीं, उनमें से छह सीटों पर इंडिया के घटक दल चुनाव लड़ रहे हैं. अगर इनकी वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार को मिलने वाले वोट में सेंध लगी तो फिर कांग्रेस के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी एक सीट जीत गई थी, जबकि छह सीटों पर वो दूसरे नंबर पर रही थी. समाजवादी पार्टी और जेडीयू ने चुनावी तालमेल न होने का आरोप कांग्रेस पर लगाया है.