‘जहां झुग्गी-वहां मकान’ का वादा निकला जुमला… मनीष सिसोदिया ने झुग्गियां गिराने पर साधा निशाना

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में बीजेपी की चुनावी गारंटी जहां झुग्गी-वहां मकान पर हमला बोला है. मनीष सिसोदिया ने यह कहकर निशाना साधा है कि दिल्ली की भाजपा सरकार गरीबों की झुग्गियां बुलडोजर से ध्वस्त करवा रही है. बुलडोजर एक्शन ने वादे को खोखला साबित कर दिया.
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में बीजेपी सरकार बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में सत्ता मिलते ही झुग्गियों को निशाना बनाया जा रहा है. सरकार जहां झुग्गी-वहां मकान देने का वादा भूल गई. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में भाजपा का चुनावी वादा एक जुमला साबित हुआ. दिल्ली का मज़दूर, घरेलू कामगार, रिक्शाचालक और दिहाड़ी मज़दूर जिनकी मेहनत से देश की राजधानी चलती है, आज उनकी झुग्गियां बुलडोज़र से ध्वस्त की जा रही है.
मनीष सिसोदिया ने सवाल उठाया कि जनता ने जिन विधायकों को चुना, वे आज कहां हैं? ना जवाब मिल रहा है, ना ज़मीन पर कोई दिखाई दे रहा है. झुग्गियों में दी जाने वाली बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं तो छोड़िए, अब तो मेहनत से बनाई गई छत भी इनसे छीनी जा रही है. मनीष सिसोदिया ने सवाल उठाया कि क्या यही सबका साथ, सबका विकास है?
झुग्गियां गिराने से बेघर हुए लोग- सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा कि जंगपुरा विधानसभा स्थित मद्रासी कैंप को बुलडोजर से गिराए जाने के बाद वहां के लोग बेघर हो गए हैं. वहां रहने वालों को वादे के मुताबिक जहां झुग्गी वहां मकान नहीं दिया गया. जिनको मकान मिले भी हैं तो वो काफी दूर है. इससे लोग बहुत आहत हैं. झुग्गीवासियों का कहना है यहां पर रहते हुए उन्हें 50 से 55 साल हो गए हैं. वे अब कहां जाएं?
सब AAP सरकार को कर रहे याद- सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा कि झुग्गीवालों ने उनके सामने अपनी-अपनी पीड़ा रखी. उन्होंने कहा कि केजरीवाल की सरकार बढ़िया काम कर रही थी. पहले पानी की भी कोई दिक्कत नहीं थी. बिजली एक बार भी बंद नहीं होती थी. 24 घंटे बिजली थी, 24 घंटे पानी था. आज यहां झुग्गियों को ध्वस्त किया गया है. अरविंद केजरीवाल सत्ता से चले गए, इसलिए झुग्गीवाले बहुत दुखी हो रहे हैं.
मनीष सिसोदिया के मुताबिक झुग्गी वासियों ने उनसे कहा कि घर में बुजुर्ग और बच्चे भी हैं. उनकी मां घर में हैं और वह खुद ही कमाने वाली हैं. यहां की कई महिलाएं कोठियों में झाड़ू-पोछा करके गुजारा करती हैं. अभी हमारे पास किराए पर रहने की भी स्थिति नहीं है और न ही कहीं जाने की कोई स्थिति है.