पलामू हिंसा: 1000 से ज्यादा आरोपी, अब तक 13 गिरफ्तार, धारा 144 लागू; 19 तक इंटरनेट बंद
पलामू हिंसा मामले में 100 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर की गई है, जबकि 1000 से ज्यादा अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है. झारखंड सरकार के आदेश पर जिले में इंटरनेट सेवा 19 फरवरी तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं.
झारखंड के पलामू जिले के पांकी ब्लॉक में बुधवार की सुबह करीब 8 बजे महाशिवरात्रि के दौरान द्वार और झंडा लगाने को लेकर दो पक्षों में हुए हिंसक झड़प पत्थरबाजी और आगजनी में पुलिसकर्मी सहित दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. वहीं, सीसीटीवी फुटेज और वीडियो के आधार पर 13 लोगों को हिरासत में लिया गया है. ऐसे में 100 नामजद सहित 1000 अज्ञात लोगों पर हिंसा फैलाने,आगजनी और पत्थरबाजी को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है.
दरअसल, दो पक्षों में फैले तनाव को देखते हुए प्रशासन में 19 फरवरी तक के लिए पांकी सहित पूरे पलामू जिला की इंटरनेट सेवा को अस्थाई रूप से बंद कर दिया है. वहीं, पुलिस ने हालात नियंत्रित करने के लिए एक हजार से ज्यादा झारखंड आर्म्ड पुलिस, आईआरबी सहित विभिन्न सुरक्षा बल की तैनाती करते हुए पूरे इलाकों को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. फिलहाल,दो समुदाय में हिंसक झड़प के बाद से पांकी ब्लॉक में धारा 144 लागू कर दिया गया था.
पलामू के DC, SP कर रहे घटनास्थल पर कैंप
इस दौरान पलामू आईजी राजकुमार लाकड़ा , उपायुक्त ए दोड्डे , पलामू एसपी चंदन सिन्हा सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी लगातार घटनास्थल पर कैंप किए हुए . जहां दोनों पक्ष के लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देते हुए शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है. फिलहाल हालात नियंत्रित में है. ऐसे में संवेदनशील इलाकों की विशेष तौर पर खास चौकसी रखी जा रही है. हालांकि,सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से इलाके की निगरानी की जा रही है. जहां दो पक्षों में हिंसा के बाद से ही मार्केट और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है.संवेदनशील इलाके में लगातार सुरक्षाबल फ्लैग मार्च कर रहे हैं.
BJP सांसद बोले- दंगाइयों को संरक्षण दे रही सोरेन सरकार
वहीं, पलामू जिले के पांकी महाशिवरात्रि के लिए बनाए जा रहे तोहरा द्वार और झंडा लगाने को लेकर हुए दो समुदाय के बीच हुए हिंसक झड़प , पत्थरबाजी और आगजनी को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है. इस दौरान झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद प्रकाश ने कहा कि सरकार पर तुष्टिकरण की नीति के तहत काम करने और दंगाइयों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है.