सपा नेता रोली तिवारी और ऋचा सिंह पार्टी से बाहर, स्वामी प्रसाद मौर्य की खिलाफत करना पड़ा भारी
सपा नेता और विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने एक बयान में श्रीरामचरित मानस की चौपाई को दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसे लेकर उनके खिलाफ संत समाज में खासी नाराजगी व्याप्त है.
समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत सपा नेता डॉ रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. बताया जा रहा है कि दोनों ने ही सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान पर टिप्पणी की थी. जिसके बाद से ही पार्टी रोली तिवारी और ऋचा सिंह को लेकर विचार विमर्श कर रही थी. इसी के चलते दोनों को आज पार्टी से निकाल दिया गया. इस बात की पुष्टि समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से की गई है.
आपको बता दें कि सपा नेता और विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने एक बयान में श्रीरामचरित मानस की चौपाई को दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसे लेकर उनके खिलाफ संत समाज में खासी नाराजगी व्याप्त है. जिसके बाद सपा नेता रोली तिवारी मिश्रा ने अपने ट्विटर पर स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान संबंधी एक वीडियो भी ट्वीट किया. जिसमें रोली ने सवाल उठाया कि 2012 में रोटी कपड़ा सस्ती हो दवा पढ़ाई मुफ़्ती हो, इस नारे के साथ अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने थे. क्या ‘मानस का मुद्दा’ लेकर सपा दोबारा सरकार बना पाएगी?
कौन है ऋचा सिंह ?
मालूम हो कि डॉ. ऋचा सिंह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में ऋचा सिंह ने प्रयागराज से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके हाथ जीत नहीं लगी. ऋचा सिंह ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस के बयान पर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचनाएं की थी. जिसके फलस्वरूप पार्टी ने इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
श्रीमती रोली तिवारी मिश्रा और सुश्री ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया जाता है।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) February 16, 2023
रामचरितमानस को लेकर मचा बवाल
आपको बता दें कि सपा नेता और विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने एक बयान में श्रीरामचरित मानस की चौपाई को दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसे लेकर उनके खिलाफ संत समाज में खासी नाराजगी व्याप्त है. लगातार राजनीतिक दल स्वामी प्रसाद के इस बयान की आलोचना कर रहे हैं. यहां तक कि उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने श्रीरामचरित मानस के एक अंश पर पाबंदी लगाने की मांग करने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान पार्षद स्वामी प्रसाद मौर्य की रावण से तुलना की है.