Varanasi: अद्भुत है काशी का ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, शिवपुराण में मिलता है जिक्र
उत्तर प्रदेश के वाराणसी को भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान माना जाता है, यहां पर भगवान भोलेनाथ अपने सभी ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान रहते हैं.
वाराणसी में यूं तो काशी विश्वनाथ की ख्याति देश-विदेश और पूरे ब्रह्मांड में फैली है, लेकिन यहां पर भगवान शिव अपने 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करते हैं. यहां पर जितने भी प्राचीन शिव मंदिर हैं उन सभी की अपनी एक पौराणिक कथा है. ऐसा ही काशी का अद्वितीय मंदिर है ओंकारेश्वर मंदिर. भगवान शिव का यह अति प्रचीन मंदिर है जिसे स्वयं ब्रह्मा के अनुरोध पर भगवान शिव ने अपना स्थान बनाया था.
चारों ओर से शमशान से घिरा यह शिव मंदिर अपने आप में बहुत अलौकिक है. यहां पर कोई भी श्रद्धालु अगर सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना और अभिषेक करता है तो उसे मन चाहे फल की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि यहां पूजा करने से भगवान प्रसन्न होकर भक्तों को आवागमन से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करते हैं. मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस ओंकारेश्वर मंदिर का प्रमाण काशी खंड में मिलता है.
शिव पुराण में मिलता है जिक्र
काशी खंड के 86वें अध्याय में इस मंदिर का जिक्र किया गया है. इतना ही नहीं शिव महापुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य और महात्म्य की कथा दी गई है. बताया जाता है कि यहां पर शिव पंचायत के पांच प्रतीक मौजूद थे, लेकिन वर्तमान में 3 शिवलिंग जिनमें अकारेश्वर, ओंकारेश्वर और मकरेश्वर स्थापित हैं. काशी के अविमुक्त क्षेत्र में ओंकारेश्वर का स्थान सबसे श्रेष्ठ है. इतना ही नहीं इस मंदिर के मान्यता है कि यहां के दर्शन कर लेने से ब्रह्मांड के सभी शिव मंदिरों के दर्शन के बराबर फल प्राप्त होता है.
ब्रह्मा के अनुरोध पर प्रकट हुए महादेव
इस मंदिर के बारे में बताते हुए पुजारी ने कहा कि यहां पर बैठकर खुद ब्रह्मा ने तपस्या की थी. श्रृष्टि के निर्माण के बाद उन्होंने भगवान शिव से अनुरोध किया था जिसके बाद भोलेनाथ इस स्थान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. मंदिर के दर्शन मात्र से अश्वमेघ यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है.
इनपुट – विश्वनाथ तिवारी
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