गोमांस की बिक्री और गोहत्या पर लगे रोक… दिल्ली में सड़कों पर उतरे लोग, जमकर की नारेबाजी

दिल्ली के विजय नगर में सैकड़ों गोरक्षकों ने गोहत्या रोकने और गोमांस विक्रेताओं पर कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. 28 मई को एक किराने की दुकान पर तथाकथित गोमांस मिला था, जिसके बाद ही से गोरक्षकों में काफी विरोध है.
दिल्ली के विजय नगर इलाके में रविवार को सैकड़ों गोरक्षक ने सड़क पर उतरकर गोहत्या बंद करने की मांग पर विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही गो मांस बेचने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की. दरअसल, इन गोरक्षकों का आरोप है कि 28 मई को दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस के पास विजय नगर के एक किराने की दुकान पर गोमांस पाया गया. हालांकि, प्रशासन की ओर से लिए गए सैंपल की अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है. जिससे कहा जा सके कि मांस किस जानवर का था.
गोरक्षक क्षितिज पांडे का कहना है कि मांस चाहे किसी भी जानवर का हो, लेकिन बिना FSSAI और MCD की अनुमति के किराने की दुकान पर नहीं बिक सकता है. इसके खिलाफ जब लोग आवाज उठाते है तो कुछ लोग (SFI, AISA व अन्य संगठन) कह रहे है कि अन्याय हो रहा है. गोमांस खाना हमारा मौलिक अधिकार है ये बिल्कुल गलत बात है. गोमाता हम हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं वो किसी का भोजन नहीं हो सकती.
‘भोजन की आजादी का मतलब…’
भोजन की आजादी का मतलब ये नहीं है कि किसी की आस्था जिससे जुड़ी हुई हो आप उसे काट काटकर खाने लग जाओ. मामले पर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि ये भारत देश में गलत परंपरा बनती जा रही है. अब दिल्ली के केंद्र में लोग गोमांस का भक्षण करने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहें है. जब वामपंथी अपनी विचारधारा को प्रकट करने के लिए आगे आ सकते हैं, तो सनातनी हिंदू और गो माता के भक्त क्यों चुप बैठे हैं?
गो भक्तों से की खास अपील
उन्हें भी आगे आना चहिए और ये बता देना चाहिए कि अब हम गो माता को बोटी-बोटी कटते हुए देखने को तैयार नहीं. जब से हमको गो भक्त क्षितिज पांडे ने ये सूचना दी है हमारे मन में पीड़ा है और इसलिए हम ये कहना चाहते है कानून को बिना हाथ में लिए दृढ़ता से गो भक्तों को अपनी बात कहने के लिए आगे आना होगा. अपनी बात दिल्ली और केंद्र सरकार के सामने रखना चाहिए. उन्होंने दिल्ली और केंद्र सरकार से अपील करते हुए आगे कहा कि सरकारों को भी आगे आना चाहिए और गो भक्तों की भावनाओं का संरक्षण करना चाहिए अन्यथा पीड़ा गहराती जाएगी.