लोकसभा में नहीं हुए वोट ट्रांसफर, अब महाराष्ट्र में अजित पवार के लिए लिखी जा रही नई स्क्रिप्ट?

लोकसभा में नहीं हुए वोट ट्रांसफर, अब महाराष्ट्र में अजित पवार के लिए लिखी जा रही नई स्क्रिप्ट?

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटों पर इस साल के अंत में चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले सबसे ज्यादा चर्चा अजित पवार की हो रही है. लोकसभा से पहले बीजेपी में आए अजित को लेकर हर रोज नई अटकलें लगाई जा रही हैं. इन अटकलों की बड़ी वजह अजित का वोट शिफ्ट न होना है.

महाराष्ट्र की सियासत में अजित पवार क्या करेंगे, इसको लेकर 3 अटकलें है. पहला, कम सीट मिलने के बावजूद अजित एनडीए में ही रहेंगे. दूसरा, अजित एनडीए से अलग होकर वापस चाचा शरद के पास जा सकते हैं और तीसरा अजित बीजेपी की प्रॉक्सी पार्टी बनकर चुनाव के रण में उतर सकते हैं.

अजित को लेकर ये तीनों ही चर्चा विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच हो रही है. इसकी वजह लोकसभा चुनाव में अजित पवार का फिसड्डी परफॉर्मेंस को माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 में न तो अजित अपना वोट बीजेपी और शिवसेना में शिफ्ट करा पाए और न ही बीजेपी-शिवसेना का वोट अजित को मिल पाया.

अजित के वोट ट्रांसफर न होने की वजह से करीब 10 सीटों पर एनडीए को सीधा नुकसान हो गया. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि अजित के जरिए बीजेपी अब कोई नई स्क्रिप्ट तैयार करना चाह रही है

अजित को नहीं मिले बीजेपी-शिवसेना के वोट

अजित पवार की पार्टी लोकसभा में 4 सीटों पर मैदान में उतरी थी, लेकिन पार्टी को सिर्फ एक सीट रायगढ़ में ही जीत मिली. एनसीपी (अजित) को शिरूर, बारामती, ओस्मानाबाद में करारी हार का सामना करना पड़ा.

शिरूर सीट पर बीजेपी की तरफ से एनसीपी (अजित) ने शिवाजीराव पाटिल को मैदान में उतारा था. शरद गुट की तरफ से अमोल कोल्हे मैदान में थे. चुनाव के जब नतीजे आए तो शिवाजीराव पाटील करीब 1 लाख 41 हजार वोट से हार गए.

दिलचस्प बात है कि 2019 में पाटील ने शिवसेना-बीजेपी गठबंधन से चुनाव लड़ा था और उस चुनाव में उन्हें 5 लाख 77 हजार वोट मिले थे, जबकि 2024 में उन्हें सिर्फ 5 लाख 57 हजार वोट मिले.

ओस्मानाबाद सीट पर भी एनसीपी (अजित) के साथ खेल हो गया. पिछली चुनाव में बीजेपी और शिवसेना को यहां 5 लाख 96 हजार वोट मिले थे. एनसीपी और कांग्रेस को 4 लाख 69 हजार वोट मिले थे.

इस बार यहां शिवसेना (उद्धव) गुट को 7 लाख 48 हजार वोट मिले है, जबकि अजित गुट को 4 लाख 18 हजार वोट मिले. वो भी तब, जब ओस्मानाबाद में बीजेपी के 2 और शिंदे गुट के 2 विधायक हैं.

बीजेपी-शिंदे में भी नहीं हुआ अजित का वोट शिफ्ट

बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना में भी अजित पवार के वोट ट्रांसफर नहीं हुए. उदाहरण के लिए बीड लोकसभा की 6 विधानसभा सीटों में से 3 पर एनसीपी (अजित) 2 पर बीजेपी और एक पर एनसीपी (शरद) का कब्जा है. चुनाव के दौरान लोकसभा की यह सीट बीजेपी के पास गई.

चुनाव जब हुए तो बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे 6 हजार वोट से हार गई. 2019 में पंकजा की बहन प्रियतमा यह सीट 1 लाख 68 हजार वोटों से जीती थी.

माढ़ा लोकसभा सीट पर भी यही हुआ. यहां की 6 विधानसभा सीटों में से 2 पर एनसीपी (अजित), 2 पर बीजेपी और एक पर शिंदे गुट का कब्जा है. बीजेपी इसे सुरक्षित मानकर चल रही थी, लेकिन बीजेपी को अजित के वोट ही नहीं मिले.

डिंडौरी लोकसभा सीट पर भी इसी तरह के परिणाम देखने को मिले. डिंडौरी लोकसभा छगन भुजबल का गढ़ माना जाता है. भुजबल अभी एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री हैं. इस लोकसभा की 6 में से 4 सीटों पर एनसीपी अजित के विधायक हैं.

हालांकि, जब लोकसभा के नतीजे आए तो बीजेपी की भारती पवार करीब 1 लाख 14 हजार वोटों से हार गई. 2019 में भारती को यहां से 1 लाख 99 हजार वोटों से जीत मिली थी.

अजित नहीं कर पाए वोटों में सेंधमारी

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 27 प्रतिशत, कांग्रेस को 16.41 प्रतिशत, शिवसेना को 23.50 प्रतिशत और एनसीपी को 15 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 के बाद शिवसेना और एनसीपी में टूट हुई.

2024 में लोकसभा के जो नतीजे आए, उसमें शिवसेना के शिंदे गुट वोटों में सेंध लगाने में कामयाब रहे. शिंदे गुट को 12 प्रतिशत वोट मिले, जबकि उद्धव गुट को 16 प्रतिशत. बीजेपी के वोटबैंक में मामूली गिरावट दर्ज की गई.

2024 में पार्टी को 26 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन अजित एनसीपी के वोटबैंक में सेंध नहीं लगा पाए. अजित को सिर्फ 3 प्रतिशत वोट मिले, जबकि शरद गुट को करीब 11 प्रतिशत वोट मिले.

महाराष्ट्र की 288 सीटों पर इस साल के अंत में चुनाव

महाराष्ट्र की 288 सीटों पर इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. कहा जा रहा है कि चुनाव की घोषणा अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में हो सकती है. महाराष्ट्र में मुख्य मुकाबला इंडिया और एनडीए गठबंधन के बीच है. यहां पर सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है.