Dussehra 2024: यहां रावण जलता नहीं वध ही होता है, आखिर भगवान राम ऐसे मारते हैं लंकेश को; आखिर क्या है मान्यता?

Dussehra 2024: यहां रावण जलता नहीं वध ही होता है, आखिर भगवान राम ऐसे मारते हैं लंकेश को; आखिर क्या है मान्यता?

राजस्थान के रोपा गांव में रावण का वध किया जाता है. गांव के चौराहे में रावण की सीमेंट से बनी हुई प्रतिमा है, इस वजह से रोपा को रावण का गांव नाम से भी जाना जाता है. रोपा में अधिक बोली लगाने वाला युवक भगवान राम बनता है. बोली से एकत्र राशि धार्मिक आयोजन में खर्च की जाती है.

देश भर में इस वक्त नवरात्रि और दशहरे की धूम मची हुई है. दशहरे के दिन देश भर में रावण के पुतले बनाकर जलाने की परंपरा है. हालांकि राजस्थान के शाहपुरा जिले के रोपा गांव में कई सालों से इसे लेकर एक अनोखी परंपरा चल रही है. रोपा गांव में दशहरे के पर्व पर रावण का दहन नहीं होता बल्कि वध किया जाता है. गांव में पिछले 85 सालों से 10 फीट ऊंचे रावण की स्थाई प्रतिमा है.

गांव में ये प्रतिमा सीमेंट से बनी हुई है. ऐसे में दशहरे पर स्थाई प्रतिमा का रंगों से रंग कर वध के लिए तैयार की जाती है. गांव वालों का मानना है कि लक्ष्मण ने जिससे ज्ञान प्राप्त किया हो उसको इंसान कैसे जला सकता है. इस वजह से गांवों में रावण को जलाया नहीं जाता है. रोपा गांव के चौराहे पर रावण की स्थाई प्रतिमा है, इस वजह से आस पास के गांवों वाले रोपा को रावण का गांव के नाम से बुलाते हैं.

कब शुरू हुई परंपरा ?

गांव के सरपंच सत्यनारायण धाकड़ ने बताया कि रावण वध की परंपरा किसने शुरू की इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. हालांकि ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों के समय से रोपा में दशहरे के दिन रावण का वध करने की परंपरा है. धाकड़ ने कहा कि उस वक्त चौराहे पर रावण की प्रतिमा मिट्टी से बनी थी, लेकिन कई सालों पहले इसे सीमेंट की बनवा दी गई.

कैसा होता है रावण का वध?

सत्यनारायण धाकड़ ने बताया कि रोपा में दशहरे से एक दिन पहले लंका दहन का आयोजन किया जाता है. इस दौरान गांव के भगवान चारभुजा नाथ मंदिर से ठाकुर जी की शोभायात्रा निकाली जाती है. उन्होंने बताया कि शोभायात्रा के बाद हनुमान बने बाल कलाकार रावण चौक पहुंचते हैं और फिर लंका दहन करते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि गांव में जो सबसे ज्यादा बोली लगाता है वो राम बनता है. वहीं इससे थोड़ा बोली लगाने वाला लक्ष्मण बनता है. रावण का वध करने के लिए गांव के चौराहे पर बनी प्रतिमा के पेट पर मटकी बांधी जाती है, जिसे भगवान राम बना कलाकार चारभुजा नाथ मंदिर में रखे हुए भाले से फोड़ता है.