Sawan 2023: कोतवालेस्वर महादेव के मात्र दर्शन से भक्त पा जाते हैं कोर्ट-कचहरी के झंझटों से मुक्ति
कानपुर के कोतवालेस्वर महादेव मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. मंदिर के पुजारियों का दावा है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां भोलेनाथ की पूजा करता है, उसकी मुराद भगवान जरूर पूरी करते हैं.
उत्तर प्रदेश के कानपुर के कोतवालेस्वर महादेव मंदिर की महिमा निराली है. मंदिर के पुजारी ऐसा दावा करते हैं कि कोतवालेस्वर महादेव के मात्र दर्शन से कोर्ट-कचहरी के चक्कर खत्म हो जाते हैं और मुकदमों में निर्णय पक्ष में आता है. सावन में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए उमड़ रही है.
कोतवालेस्वर महादेव को शहर का कोतवाल भी कहा जाता है. यहां के स्थानीय लोग कहते हैं कि जब कानपुर में अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी का बिगुल फूंका था, तब ईस्ट इंडिया कंपनी के कोतवाल ने अपनी जान बचाने के लिए इसी प्राचीन शिव मंदिर में शरण ली थी.
इसी मंदिर में कोतवाल आकर छिप गया था
क्रांतिकारी नानाराव पेशवा और उनके सैनिको ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. तब कानपुर चौक में कई अंग्रेजी सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. लोगों में अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ गुस्सा था. ऐसे में अंग्रेजी फौज के कुछ सिपाही अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छिपने का ठिकाना ढूंढ रहे थे, तभी अंग्रेजी हुकूमत का एक कोतवाल इसी मंदिर में आकर छिप गया था.
बाद में कोतवाल शिव भक्त बन गया
हालांकि, बाद में कोतवाल के दूसरे साथी उसे ढूंढते यहां आए औऱ उसे अपने साथ ले जाने लगे. लेकिन, कोतवाल उनके साथ नहीं गया और इसी मंदिर में भगवान शिव का भक्त बन गया. फिर इसी अंग्रेज भक्त ने अपने पैसों से इस मंदिर का दोबारा जीर्णोद्धार कराया. तभी से इस मंदिर को कोटवालेस्वर के नाम से पुकारा जाने लगा.
कानपूर में कोटवालेस्वर बाबा मंदिर के पुजारी लखन गिरी की मानें तो शहर के कई नामचीन कारोबारियों और नेताओं को कोतवालेस्वर बाबा ने कोर्ट कचेहरी से मुक्ति दिलाई है. जिनकी मुराद बाबा पूरी करते हैं, वह श्रद्धालु मंदिर के जीर्णोद्धार में मदद करते हैं. मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा सोमवार को श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ आती है.