IND-AUS: स्टेडियम में आग, नस्लीय दाग, अंपायर का करियर खाक, बवाल से भरा है इतिहास
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रतिद्वंद्विता पिछले दो दशकों में ज्यादा कड़ी हुई है लेकिन 75 साल के इतिहास में दोनों टीमों के बीच कई बड़ी घटनाएं हुई हैं.
एक वक़्त था जब क्रिकेट के मैदान में भारतीय टीम का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी पाकिस्तान हुआ करता था. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, साउथ अफ़्रीका या वेस्ट इंडीज जैसी टीमों के साथ भारत की टक्कर को अहमियत नहीं मिलती थी. पिछले 22 सालों में ये स्थिति बदल गई है और इसकी शुरुआत 2001 की ऐतिहासिक भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज से हुई थी. उस जीत ने न सिर्फ़ टीम इंडिया के प्रति इन टीमों के रवैये मी बदलाव किया बल्कि नयी प्रतिद्वंद्विता को भी जन्म दिया जिसमें आज सबसे ज़्यादा रोमांच दिखता है. हालाँकि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट क्रिकेट का इतिहास पहले से ही काफ़ी रोमांच और विवादों से भरा रहा है.
नागपुर में नौ फ़रवरी से दोनों टीम फिर से इस ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता का नया अध्याय शुरू करेंगी और हर बार की तरह एक बार फिर पिच पर, मैदान पर जमकर ड्रामा होना तय है. दोनों तरफ के फैंस अपनी-अपनी टीमों की जीत की उम्मीद करेंगे लेकिन अच्छा मुकाबला देखने की ख्वाहिश तो सबकी होगी. अब सीरीज शुरू हो, उससे पहले आपको भारत-ऑस्ट्रेलिया के 75 सालों के टेस्ट इतिहास के कुछ विवादित पलों के बारे में बताते हैं.
एक फैसला और स्टेडियम में लगी आग
बात 1969 की है, जब ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत दौरे पर आई थी. मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में पहले टेस्ट में भारतीय टीम दूसरी पारी में सात विकेट पर 89 रन बनाकर मुश्किल में थी और उसे मैच बचाने के लिये किसी चमत्कार की जरूरत थी. अजीत वाडेकर और श्रीनिवास वेंकटराघवन क्रीज पर थे. दोनों के बीच आठवें विकेट की साझेदारी बन रही थी लेकिन अंपायर शंभु पान ने वेंकटराघवन को विकेट के पीछे कैच आउट का विवादास्पद फैसला किया और यह भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट इतिहास के सबसे डरावनी घटनाओं में जुड़ गया.
रेडियो कमेंटेटर देवराज पुरी ने इस फैसले की काफी आलोचना की जिससे टीम का स्कोर आठ विकेट पर 114 रन हो गया. अंपायर के इस विवादित फैसले से स्टेडियम में बैठे दर्शकों का व्यवहार उग्र हो गया और उन्होंने स्टेडियम में कुर्सियां पटकनी शुरू कर दीं, स्टेडियम में पानी की खाली बोतलें फेंक दी और देखते ही देखते स्टैंड में आग लगा दी. आग की लपटें देखकर खिलाड़ी भी भयभीत हो गये.
स्टेडियम में ऐसे हालात के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान बिल लॉरी खेलना चाहते थे और भारत ने चौथे दिन का समापन नौ विकेट पर 125 रन से किया. पांचवें दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 64 रन का लक्ष्य दिया जिसे उसने दो विकेट गंवाकर हासिल कर लिया और पांच मैचों की सीरीज में 1-0 से बढ़त बना ली और अंत में सीरीज 3-1 से जीती.
सबसे रोमांचक मैच, अंपायर का करियर खत्म
अंपायरिंग का विवाद कुछ और सालों बाद भी दिखा, जब भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच मद्रास (अब चेन्नई) में सबसे रोमांचक टेस्ट मैच खेला गया. 1986 में हुई सीरीज में मद्रास टेस्ट एक रोमांचक टाई पर खत्म हुआ, जिसमें टीम इंडिया के हाथ से जीत निकल गई लेकिन हारते- हारते भी बची. दिवंगत ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डीन जोंस ने काफी मुश्किल हालात में दोहरा शतक जड़ा था, जिसके बाद मद्रास की गर्मी से उनकी तबीयत भी बिगड़ गई थी उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा था.
भारत को 348 रन का लक्ष्य मिला था और बायें हाथ के स्पिनर रे ब्राइट ने तीन विकेट झटककर ऑस्ट्रेलिया को वापसी करायी जिससे क्रीज पर जमे रवि शास्त्री और 11वें नंबर के मनिंदर सिंह को अंत में जीत के लिये चार रन बनाने थे. फिर मैथ्यूज (मैच में 10 विकेट) ने मनिंदर के खिलाफ LBW की अपील हुई. भारतीय बल्लेबाज को पूरा भरोसा था कि वह आउट नहीं थे लेकिन अंपायर विक्रमराजू ने उन्हें आउट दे दिया और टेस्ट इतिहास में दूसरी बार एक मैच टाई रहा था. हालांकि, विक्रमराजू को इसके बाद फिर टेस्ट अंपायरिंग का मौका नहीं मिला.
सबसे विवादित टेस्ट
इस वक्त तक हालांकि, भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज में वो गर्मी और प्रतिस्पर्धा नहीं आई थी, जो 2001 की सीरीज जीत के बाद आई. उस ऐतिहासिक जीत ने न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया का गुमान तोड़ा बल्कि उसे इंग्लैंड के बाद एक और कड़ा प्रतिद्वंद्वी मिला. इसका नतीजा खिलाड़ियों के बीच गर्मा-गर्मी बढ़ने के रूप में दिखा. 2007-08 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी, जिसके सिडनी टेस्ट में सबसे ज्यादा विवाद हुए थे.
पहले हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स के बीच नस्लीय टिप्पणी को लेकर बवाल हुआ, जिसे ‘मंकीगेट’ के नाम से जाना जाता है. साइमंड्स ने आरोप लगाये थे कि हरभजन ने उन्हें बंदर कहा. ये मामला इतना गंभीर था कि सिडनी की कोर्ट तक पहुंच गया और मामले की जांच के लिए पैनल बनाया गया, जिसमें गवाह के रूप में सचिन तेंदुलकर भी गए. हरभजन पर 3 मैचों का बैन लगाया गया लेकिन BCCI के सख्त रुख के कारण इसे बदलना पड़ा.
इसी टेस्ट में अंपायरों के कई फैसलों और ऑस्ट्रेलियाई टीम के बेईमानी भरे रवैये को लेकर भी बवाल हुआ. अंपायर स्टीव बकनर के खास तौर पर गलत फैसलों और ऑस्ट्रेलियाई फील्डरों के कैच के झूठे दावे के कारण भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने बाद में कहा भी था कि सिर्फ एक ही टीम सही खेल भावना से खेली.
नस्लवाद का दाग
भारत का पिछला ऑस्ट्रेलिया दौरा भी नस्लवादी मामलों के कारण विवाद में रहा. एक बार फिर सिडनी इस विवाद का केंद्र था. जनवरी 2021 में सिडनी टेस्ट के दौरान टीम इंडिया के गेंदबाज मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह के खिलाफ दर्शकों ने नस्लीय टिप्पणी की. खास तौर पर सिराज को निशाना बनाया गया, जो उस सीरीज में डेब्यू कर रहे थे. भारतीय टीम ने अंपायरों से इसकी शिकायत की और फिर BCCI ने भी आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद कुछ दर्शकों को मैदान से निकाला गया और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने सिराज और भारतीय टीम से माफी मांगी.