जो हमें धार्मिक दर्जा देगा, उसे देंगे वोट…. लिगांयत समाज ने आंदोलन की दी धमकी

जो हमें धार्मिक दर्जा देगा, उसे देंगे वोट…. लिगांयत समाज ने आंदोलन की दी धमकी

स्वामी ने कहा कि 48 संगठनों के प्रतिनिधि और सदस्य विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे. उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है, बल्कि एक जीवन शैली है.

कर्नाटक में विभिन्न समुदायों द्वारा आरक्षण की मांग के बीच, लिंगायतों ने एक अलग धर्म की अपनी मांग को फिर से जिंदा कर दिया है, विभिन्न संगठनों ने 20 फरवरी को बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. वहीं अखिल भारत लिंगायत समन्वय समिति के मानद अध्यक्ष चन्नबासवानंद स्वामी ने शनिवार को कहा कि वे उस पार्टी को वोट देंगे जो केंद्र सरकार से लिंगायत समुदाय के लिए अलग धार्मिक दर्जा देने की सिफारिश करेगी.

स्वामी ने कहा कि सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को स्वतंत्र धर्म का दर्जा देने की सिफारिश भेजी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस सिफारिश को वापस भेज दिया था. उन्होंने कहा कि अब केंद्र और राज्य दोनों ही जगह पर अब भाजपा सरकार, इसलिए अब हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई केंद्र को फिर से सिफारिश भेजें और अनुमोदन प्राप्त करें. हम इस संबंध में सत्याग्रह कर रहे हैं.

‘हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है, बल्कि एक जीवन शैली है’

स्वामी ने कहा कि 48 संगठनों के प्रतिनिधि और सदस्य विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे. उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है, बल्कि एक जीवन शैली है. यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं. स्वामी ने सवाल पूछा की लगभग 500 वर्षों के इतिहास वाला सिख धर्म एक अलग धर्म है. जैनियों का भी अलग धर्म है, तो 900 साल के इतिहास वाले लिंगायत समुदाय का अलग धर्म क्यों नहीं होना चाहिए?

कलबुर्गी विश्वविद्यालय का नाम बदलने की मांग की

यही नहीं उन्होंने कलबुर्गी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर बसवेश्वर विश्वविद्यालय करने की भी मांग की.संत ने कहा कि लिंगायत संगठन उस राजनीतिक दल को वोट देंगे जो हमारी मांग का सर्मथन करेगा. फिर चाहे वह भाजपा, कांग्रेस, जद (एस), आप, एसडीपीआई,एआईएमआईएम या कोई भी पार्टी हो. यदि उनके नेता हमारे कारण का समर्थन करते हैं, तो हम उन्हें वोट देंगे. चन्नबासवानंद स्वामी ने आंदोलन में भाग लेने के लिए सभी धार्मिक नेताओं और अनुयायियों को आमंत्रित किया.