Lata Mangeshkar Birth Anniversary: रहें ना रहें हम…लता के वो सात गाने जो महकते रहेंगे सदियों तक

Lata Mangeshkar Birth Anniversary: रहें ना रहें हम…लता के वो सात गाने जो महकते रहेंगे सदियों तक

यूं तो लता मंगेशकर का गाया हुआ हर एक गाना अपने आप में सिद्ध हो चुका है और हर भारतीय के लिए खुदा का एक तोहफा है. लेकिन हर शख्स की अपनी अलग पसंद होती है. जब भी मैं लता मंगेशकर के ये 7 गाने सुनता हूं एक अद्भुत एहसास होता है.

स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर एक ऐसी शख्सियत रही हैं, जिन्होंने अपनी आवाज और संगीत के प्रति सच्ची साधना से कई पीढ़ियों को इंस्पायर किया है. आज उनकी गैरमौजूदगी में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है. लता भारत में सिर्फ एक सिंगर नहीं हैं, बल्कि एक ऐसा भाव हैं जिससे हर देशवासी जुड़ा है. मैं लता दीदी की 94वीं बर्थ एनिवर्सरी पर आपसे साझा कर रहा हूं अपने 7 फेवरेट सॉन्ग्स.

ये वो गाने हैं जिन्हें मैं जब भी सुनता हूं और संगीत की खूबसूरती और उसके नाजुक हुस्न से वाकिफ हो जाता हूं. ये एहसास इतना दैविक होता है कि उसमें खो जाने से ज्यादा बढ़िया और किसी भी तरीके से उसे जाहिर नहीं किया जा सकता. मेरा इन गानों के साथ अनुभव कैसा रहा और इन गानों की मदद से मैं संगीत और कला की जिस महीनता को महसूस कर पाया वो मैं आपसे साझा कर रहा हूं.

1- आएगा आनेवाला- साल 1949 में आई आशोक कुमार की फिल्म महल में लता मंगेशकर ने आएगा आने वाला गाना गाया था. इसका संगीत खेमचंद्र प्रकाश ने दिया था. गाने में एक तड़प है और किसी का इंतजार. ये इंतजार कुछ सालों का नहीं कई सदियों का है. कुछ इस अंदाज से लता ने इस गाने को गाया कि फिल्म की स्क्रिप्ट की डिमांड से उसमें जो हॉरर फील आना चाहिए वो भी आ रहा है और आवाज की मधुरता भी टस की मस नहीं हुई. ये गाना लता के करियर के शुरुआती सफल गानों में से एक था.

2- नैना बरसे रिमझिम रिमझिम- महल जैसी ही एक फिल्म मनोज कुमार की आई थी. नाम था वो कौन थी. इस फिल्म में भी आएगा आनेवाला जैसे ही गाने की फरमाइश थी. और तब ये गाना निकलकर आया. राजा मेहंदी अली खान के बोल और मदन मोहन का संगीत. ये गाना भी किसी के इंतजार में गाया जा रहा है और वो इंतजार कितने लंबे वक्त का है उसे लता ने अपने भावों के करिश्मे से कुछ इस तरह पेश किया कि वो तड़प आपको व्यक्तिगत लगने लगेगी. कभी-कभी तो ऐसा लगता था कि लता गाती नहीं थीं, पालने में सुरों को रखकर उन्हें झूला झुलाती थीं.

3- ऐ मेरे वतन के लोगों- ये गाना तो इसलिए भी ऐतिहासिक माना जाता है क्योंकि 1962 इंडो-चीन जंग के बाद जब लता ने इसे गाया तो ऑडियंस में बैठे देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखों से भी आंसू आ गए थे. इसके बाद से लता ने जब कभी भी दुनिया के किसी भी कोने के स्टेज पर कोई गाना गाया तो उनसे इस गाने की फरमाइश जरूर की गई. देश के जवानों की शहादत पर लता का ये गाना अविस्मरणीय है.

4- ठाड़े रहियो- वैसे तो पाकीजा फिल्म के सारे गाने शानदार थे लेकिन इस गाने की बात कुछ अलग है. मेरी नजर में ये गाना लता मंगेशकर के करियर का सबसे अंडररेटेड सॉन्ग है. फिल्म के अन्य गानों के मुकाबले ये गाना ज्यादा प्रचलित नहीं हुआ, लेकिन जो इस गाने को समझते हैं वो इसके कद को भी समझते हैं. जिस ठहराव के साथ लता ने इस गाने को गाया है वो किसी के लिए भी आसान नहीं. गाने में बहुत कम जगहें खाली हैं और इसका फ्लो एकदम अलग है. ठीक वैसे जैसे लता सुरों के फूलों को पिरो कर सुरों की माला तैयार कर रही हों. इस गाने के बोल मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे थे और संगीत दिया था गुलाम मोहम्मद ने.

5- यारा सिली सिली- तन्हाई का एहसास जब संगीत से जुड़ता है तो बिरहा की रातें भी हसीन हो जाती हैं. ऐसी ही कितनी रातों को लता की आवाज ने हसीन बनाया है. गुलजार के लिरिक्स थे और छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने इस गाने का म्यूजिक दिया था. गाना डिंपल कपाड़िया की फिल्म रुदाली का था और इसकी हर एक चीज एकदम परफेक्ट थी. सोचिए कि आप किसी सफर पर अकेले जा रहे हैं और बैकग्राउंड में म्यूजिक चल रहा ‘पैरों में ना साया कोई, सर पे ना साई रे, मेरे साथ जाए ना मेरी परछाई रे, बाहर उजाला है, अंदर वीराना यारा सिली सिली…’

6- नाम गुम जाएगा- गुलजार, लता और आरडी बर्मन का डेडली कॉम्बिनेशन संगीत प्रेमियों को कई खूबसूरत नगमें उपहार में दे गया. ये गाना दरअसल सिर्फ एक गाना नहीं बल्कि खुद लता की आवाज में उनका मधुर परिचय है. उनका साथ बखूबी सिंगर भूपेंद्र सिंह ने दिया है. वो भी अब इस दुनिया में नहीं रहे. कोई नहीं रहेगा. सभी चले जाएंगे. लेकिन सपूर्ण ब्रह्मांड में लता के सुर गूंजा करेंगे इन बोलों में कि- नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे…

7- रहें ना रहें हम- रोशन के संगीत से रोशन और मजरूह सुल्तानपुरी के बोलो से संवारे गए इस गीत को जब लता की आवाज मिली तो ये गीत खुद-ब-खुद महक उठा. सिर्फ गीत ही क्यों संगीत भी महक उठा और हर इंसान की आत्मा का वो भाव भी जो ये जानता है कि भले ही दुनिया खत्म हो जाए, लेकिन भाव नहीं खत्म होंगे. अगर भाव ना होते तो दुनिया सिर्फ एक इत्तेफाक होती. मगर इत्तेफाक में भाव आया और सुर लोक से उतर कर सुरों की मल्लिका लता इस लोक में आईं और हम सबको अपने सुरों से नहला गईं.

कभी कभी तो यूं लगता है कि जब काल मुंह खोले सबकुछ हर लेने को तैयार होगा, जब ये लोक अपने विनाश की ओर होगा, जब प्रकृति अपने होने के गुरूर से ऊब चुकी होगी, सबकुछ खत्म होने वाला होगा, नाऊम्मीद हो चुके लोग मौत की आस में बेसुध होंगे, तब कहीं से एक मधुर पुकार आएगी, उस गूंज को सुन सभी के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाएगी, और चेहरे पर मुस्कान लिए उस आवाज की तलाश में सभी पीछे-पीछे लग जाएंगे. क्योंकि वही मिठास सदियों तक के लिए प्रकृति के आस्तित्व के टिके रहने का प्रमाण होगी.