Bhopal Lok Sabha Seat: 1989 से है अभेद्य किला, कांग्रेस नहीं हिला पाई बीजेपी की नींव

Bhopal Lok Sabha Seat: 1989 से है अभेद्य किला, कांग्रेस नहीं हिला पाई बीजेपी की नींव

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल लोकसभा सीट की राजनीति और चुनावी परिणामों का असर आस-पास के क्षेत्र नहीं बल्कि पूरे प्रदेश पर पड़ता है. मध्य प्रदेश के सिटी ऑफ लेक्स को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ड्रीम सिटी भी कहा जाता है.

मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है भोपाल. यहां पर प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ कई प्रमुख स्थान भी हैं. यहां का बड़ा तालाब बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. शहर में अन्य तालाब हैं भी हैं जहां लोगों का हुजूम अक्सर देखा जा सकता है. भोपाल से करीब ही भोजपुर का मंदिर है जहां दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित है. मान्यता है कि भोजपुर में इस मंदिर की स्थापना पांडव पुत्र भीम ने की थी. अगर राजनीति की बात की जाए तो 1989 के बाद से यहां पर लगातार बीजेपी काबिज है.

सुंदर वादियों के साथ शहर में कई पुराने वाबड़ी और किले दिखाई देते हैं जो कि यहां पर शासन करने वालों नवाबों की गवाही दे रहे हैं. इस शहर को परमार राजा भोज ने बसाया था. उन्ही के नाम पर इस शहर का नाम भोजपाल पड़ा जो कि बाद में भोपाल हो गया. भोपाल में राजनीति की बात की जाए तो फिलहाल यहां पर बीजेपी का अच्छा खासा वर्चस्व है और 1989 के बाद से यहां पर बीजेपी को हराया नहीं जा सका है. इस लोकसभा सीट को भोपाल और सीहोर के कुछ क्षेत्रों को मिलकर बनाया गया है.

नवाबों का शहर

शहर में शिक्षा की बात की जाए तो यहां पर पूरे देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी है जिसका नाम है राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV).बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी, एनआईटी प्रमुख शैक्षणिस संस्थान हैं. इसके अलावा शहर की मुख्य पहचानों में बड़े तालाब में लगी राजा भोज की मूर्ति मुख्य है. परमार राजा भोज के जमाने के किले-बावड़ियां यहां मौजूद हैं. वहीं परमार राजाओं के बाद भोपाल पर लंबे वक्त तक नवाबों का शासन रहा है, जिसकी वजह से इस शहर को नवाबों का शहर कहा जाता है.

35 साल बीजेपी के बेमिसाल

भोपाल लोकसभा सीट पूरे प्रदेश की राजनीति प्रभावित होती है, इस बात को बीजेपी ने बखूबी समझा और यहां पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया. बीजेपी के एक्टिव होने के बाद भोपाल लोकसभा सीट पर 1989 के बाद से कभी भी कांग्रेस की मेहनत रंग नहीं लाई और हर बार जीत का सेहरा बीजेपी के सिर बंधता हुआ आ रहा है. बीजेपी ने यहां पर अलग-अलग चेहरों को मौका दिया और हर बार उनका दांव सफल रहा.

2014 की बात की जाए तो पूरे देश में मोदी लहर थी. इस दौरान भोपाल से बीजेपी ने आलोक संजर को मैदान में उतारा था. उस दौरान आलोक संजर ने शानदार जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2019 में बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा को चुनावा लड़ाया. बीजेपी ने साध्वी के चेहरे पर हिंदू कार्ड खेला था जबकि कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय को यहां से चुनावी मैदान में उतारा था. इस चुनाव में साध्वी प्रज्ञा को जीत मिली थी.

राजनीतिक ताना-बाना

भोपाल लोकसभा की बात की जाए तो इसे 8 विधानसभाओं से मिलाकर बनाया गया है. इनमें बेरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा, हुजूर और सीहोर शामिल हैं. इनमें से भोपाल उत्तर और भोपाल मध्य कांग्रेस के पास हैं जबकि बाकी सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया हुआ है. भोपाल लोकसभा सीट में करीब 23 लाख मतदाता हैं.