अखिलेश यादव ने आखिर क्यों बदला MLC का उम्मीदवार? जानिए यूपी की सियासत में इसके मायने
पहले ये तय हुआ था कि आजमगढ़ से दो नेताओं को विधान परिषद भेजा जाए, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक समीकरण के हिसाब से अखिलेश यादव ने फैसला बदल लिया. अखिलेश यादव इस बार PDA के फॉर्मूले पर दांव लगाने की तैयारी में हैं. इसीलिए ओबीसी समाज से दो और मुस्लिम कोटे से एक नेता को एमएलसी बना सकते हैं.
समाजवादी पार्टी ने आखिरी समय में एमएलसी के उम्मीदवार बदल दिए. पहले ये तय हुआ था कि आजमगढ़ से दो नेताओं को विधान परिषद भेजा जाए, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक समीकरण के हिसाब से अखिलेश यादव ने फैसला बदल लिया. विधायकों की संख्या के मुताबिक समाजवादी पार्टी तीन एमएलसी बना सकती है. पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार PDA के फॉर्मूले पर दांव लगाने की तैयारी में हैं. इसीलिए ओबीसी समाज से दो और मुस्लिम कोटे से एक नेता को एमएलसी बना सकते हैं. फैसला लेने से पहले उन्होंने पार्टी के सीनियर नेताओं से सलाह-मशविरा भी किया.
समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने दावा किया था कि बलराम यादव को एमएलसी बनाया जा सकता है. उन्हें इस बात की जानकारी भी दे दी गई थी. लेकिन आखिरी मौके पर अखिलेश यादव ने किसी और को चुन लिया. मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री रह चुके बलराम यादव आजमगढ़ के रहने वाले हैं. बलराम यादव के पुत्र संग्राम यादव भी एमएलए हैं.
रविवार को दिन भर समाजवादी पार्टी में बैठकें चलती रहीं. अखिलेश यादव ने बलराम यादव और उनके बेटे संग्राम को लखनऊ बुलाया. फिर उन्हें अपने फैसले की जानकारी दी. अखिलेश ने कहा कि आजमगढ़ से दो नेताओं को विधान परिषद भेजना सही नहीं होगा. बलराम यादव के बदले अब आलोक शाक्य को एमएलसी का टिकट देने पर आम सहमति बनी है.
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एमएलसी की रेस में थे बलराम यादव और उत्तम पटेल
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी एमएलसी की रेस में थे. उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है. आलोक शाक्य भी अखिलेश की सरकार में राज्य मंत्री रहे हैं. वे मैनपुरी में पार्टी के जिला अध्यक्ष भी हैं. डिंपल यादव जब मैनपुरी से लोकसभा का उप चुनाव लड़ रही थीं. तब उन्हें ये जिम्मेदारी दी गई थी. उनके पिता राम अवतार शाक्य समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य थे.
एक दौर में शाक्य बिरादरी के लोग समाजवादी पार्टी के समर्थक हुआ करते थे. फिर वे बीएसपी के साथ हो गए. अब शाक्य समाजवादी लेग बीजेपी के साथ हैं. यादव लैंड में ओबीसी समाज में शाक्य वोटरों का दबदबा है. मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, एटा, बदांयू और फिरोजाबाद जिलों में इस जाति के वोटरों की अच्छी संख्या है. लोकसभा चुनाव को लेकर अखिलेश की नजर इस बार यादव और शाक्य वोटरों की जोड़ी बनाने की है. इसी समीकरण को देखते हुए अखिलेश यादव ने बलराम यादव के बदले आलोक शाक्य को एमएलसी बनाना बेहतर समझा.
गुड्डू जमाली को समाजवादी पार्टी बनाया उम्मीदवार
गुड्डू जमाली हाल में ही बीएसपी छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं. अखिलेश यादव उन्हें भी एमएलसी बना रहे हैं. वे पहले भी समाजवादी पार्टी में रह चुके हैं. वे पिछला विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. पर टिकट नहीं मिला तो असदूद्दीन ओवैसी की पार्टी में चले गए थे. गुड्डू जमाली उर्फ शाह आलम यूपी के बड़े बिल्डर हैं. साल 2022 में आजमगढ़ से लोकसभा के उप चुनाव में वे बीएसपी के उम्मीदवार थे. उनके कारण ही समाजवादी पार्टी के धर्मेन्द्र यादव बीजेपी से चुनाव हार गए थे.
समाजवादी पार्टी की तरफ से किरणपाल कश्यप एमएलसी के तीसरे उम्मीदवार होंगे. वे थानाभवन से विेधायक भी रह चुके हैं. यूपी सरकार में मंत्री रहे किरणपाल अभी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी हैं. यूपी के पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी तक कई इलाकों में कश्यप वोटर हार जीत तय करते हैं. इसी वजह से बीजेपी ने यूपी में संजय निषाद की पार्टी से गठबंधन किया है.