Valentine’s Day: डाकुओं से घिरी मीना कुमारी ने जब चाकू से चंबल के डकैत को दिया ऑटोग्राफ

Valentine’s Day: डाकुओं से घिरी मीना कुमारी ने जब चाकू से चंबल के डकैत को दिया ऑटोग्राफ

मीना कुमारा के इश्क में यूं तो लाखों घायल हुए, लेकिन जैसी दीवानगी चंबल के बीहड़ में बसने वाले डाकू ने दिखाई, वैसी शायद ही कोई दिखा पाया हो.

वैलेंटाइन डे के मौके पर हमेशा एक किस्सा जरूर सुना-सुनाया जाता है. यह किस्सा है बॉलीवुड की ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी पर गुजरी एक सच्ची कहानी से जुड़ा. वह कहानी जिसमें मीना कुमारी के दीवाने या कह सकते हैं, एकतरफा प्यार में पागल चंबल घाटी के खूंखार डाकू रहे अमृत लाल से जुड़ा. जिक्र उस घटना का जिसके गवाह खुद बने थे कमाल अमरोही. यह किस्सा है मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की एक बियाबान सड़क पर रात के वक्त का. किस्सा है कमाल अमरोही की फिल्म ‘पाकीज़ा’ की आउटडोर शूटिंग के वक्त मीना कुमारी के साथ घटी रूह कंपा देने वाली मगर बेहद दिलचस्प घटना का.

इस घटना का जिक्र करते हुए हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार विनोद मेहता लिखते हैं, “कमाल अमरोही मीना कुमारी के साथ उन दिनों चंबल घाटी में अपनी फिल्म यूनिट के साथ आउटडोर शूंटिग पर थे. उनके काफिले में दो कार चल रही थीं. शूटिंग से वापिस लौटते वक्त एक रात शिवपुरी जिले की हद में फिल्म यूनिट की एक कार में ईंधन खतम हो गया. जहां ईंधन खतम हुआ वहां सूनसान इलाका था. रात के वक्त में दूर दूर तक कहीं कोई इंसान नजर नहीं आ रहा था. साथ में कमाल अमरोही को ऐसे नाजुक वक्त में अपने साथ मौजूद फिल्म की लीड अभिनेत्री मीना कुमारी की सुरक्षा की चिंता सताए जा रही थी.”

चंबल के बीहड़ में फंसे कमाल और मीना

कमाल अमरोही को जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो उन्होंने दोनो कारों को सड़क किनारे खड़ा कर लिया. तय किया किसी तरह से बियाबान रास्ते पर ही सड़क किनारे कारों में बंद रहकर ही रात काटी जाएगी. क्योंकि बिना ईंधन के एक कार के चलते दूसरी कार भी आगे नहीं ले जाई जा सकती थी. अगर ऐसा करते तो दूसरी कार तो मौके पर और भी अकेली हो जाती. उस बिना ईंधन वाली कार में भी फिल्म यूनिट मौजूद थी. इस सब के दौरान कमाल अमरोही सी अनुभवी और मंझी हुई शख्शियत को इस बात का ख्याल ही नहीं रहा. या कहिए अनजाने में उन्हें पता ही नहीं था कि वे जहां फंसे हैं वो इलाका चंबल के बीहड़ को टच करता है. जहां कभी भी अक्सर चंबल के जंगलों से निकल कर डाकू अपनी जरूरतें पूरी करने को आ धमकते हैं.

बहरहाल, दोनों कारों के भीतर बैठी फिल्म यूनिट के साथ मौजूद इस सबसे अनजान कमाल अमरोही आगे-पीछे की कुछ सोच पाते, तभी उनकी कारों के पास कुछ लोग आते दिखाई दिए. आधी रात के वक्त उस सूनसान सड़क पर 8-10 अजनबियों की भीड़ को देखकर, फिल्म की यूनिट को लगा कि, शायद यह अजनबी लोग आसपास के किसी गांव के ही होंगे. उम्मीद जागी कि यह गांव वाले हैं इनको अपनी परेशानी बताई जाएगी तो कुछ मदद मिल सकती है. कमाल अमरोही या फिल्म यूनिट का कोई सदस्य कार से निकलता उससे पहले ही, अजनबी लोगों की भीड़ में से एक शख्स ने एक कार का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया. और कहा कि कार के भीतर मौजूद लोग तुरंत बाहर उतर आएं.

डाकू से पड़ा पाला

उस इंसान के कार का दरवाजा खटखटाने और उसका डील-डौल देखकर कमाल अमरोही भांप चुके थे कि वो कोई गांव देहात का आम शरीफ इंसान तो नहीं था. मगर कमाल अमरोही लाख चाहकर भी उसका कुछ कर नहीं सकते थे. लिहाजा कमाल अमरोही ने कार का दरवाजा खोलकर उससे बाहर निकलने से इनकार कर दिया. यह देखकर कार के पास दूसरा शख्स भी भीड़ में से निकल कर जा पहुंचा. उसने सफेद रंग का पायजामा और कमीज पहन रखी थी. उसने पूछा कि आप लोग कौन हैं और कहां से आ रहे हैं कहां जाना है? एक साथ कई सवालों के जवाब में कमाल अमरोही ने कार के भीतर बैठे बैठे ही बता दिया कि, वे कमाल अमरोही हैं. फिल्म की शूटिंग के लिए बंबई से उस इलाके में पहुंचे थे.

कमाल अमरोही के इस जवाब को सुनकर उस अजनबी ने, डरावनी कहिए या फिर रौबीली आवाज में दूसरा सवाल दागा, ‘रात के वक्त अगर राइफल (हथियार) की शूटिंग ही करनी है तो फिर संग में तुम्हारे यह औरत (मीना कुमारी) जो बैठी है, यह कौन है? इसे इतनी रात में तुम बियाबान जंगल में लेकर क्यों घूम रहे हो? जब मर्दों को ही राइफल (हथियार) चलाने की शूटिंग करनी है?” इस सवाल के साथ ही कमाल अमरोही ने पकड़ लिया कि उनसे सवाल करने वाला शरीफ तो कतई नहीं है. दूसरे वे ताड़ चुके थे कि सवाल करने वाला शख्स फिल्म की शूटिंग को भी राइफल से हथियार की निशानेबाजी समझ रहा है. मतलब, वो अजनबी कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ तो जरूर है. साधारण गांव वाला कतई नहीं.

लिहाजा जिज्ञासावश कमाल अमरोही ने उससे पूछा आप कौन हैं? जवाब मिला, “डाकू अमृत लाल. बताओ क्या करोगे पूछकर? तुम यह बताओ की रात के वक्त इस जंगल में संग में किसी औरत (मीना कुमारी) को लेकर क्यों घूम रहे हो?” सवाल का जवाब मिलने साथ ही सामने वाले से दूसरा सवाल सुनते ही कमाल अमरोही और मीना कुमारी के पांवों तले से जमीन खिसक गई. डाकू अमृतलाल का नाम चंबल के बीहड़ में ही क्या, देश भर में उन दिनों गूंजा करता था. कमाल अमरोही कार में बैठे बैठे ही डाकू अमृत लाल के सवालों का सामना तो कर रहे थे, मगर मीना कुमारी और कमाल अमरोही की हालत खराब थी. कार के अंदर बैठी होने के बाद भी मीना कुमारी थर-थर कांप रही थीं. क्योंकि डाकू अमृत लाल कितना खूंखार था इसके किस्से उन्होंने भी खबरों में पहले से पढ़ रखे थे.

चाकू से लिखवाया नाम और फिर…

उधर इस सबके बीच जैसे ही डाकू अमृत लाल को फिल्म यूनिट में मौजूद मीना कुमारी की मौजूदगी का पता चला, तो वो ठहाका मारकर हंसने लगा. उसकी हंसी डराने वाली थी. डाकू अमृतलाल की अट्टहास भरी हंसी भले ही उस बियाबान जंगल की वीरानी को क्यों न चीर रही हो. मगर फिल्म यूनिट को आंखों के सामने मौत नाचती नजर आ रही थी. आखिरकार डाकू अमृत लाल की जिद के आगे कमाल अमरोही को झुकना पड़ा. हालात की नजाकत को भांपते हुए वे कार से अकेले ही बाहर निकले. और कार में ईंधन खत्म होने की बात उन्होंने डाकू अमृत लाल को बताई. इस पर डाकू अमृत लाल ने एक शर्त रख दी कि फिल्म यूनिट को कार का ईंधन, इज्जत सुरक्षा सबकुछ मुहैया करा दिया जाएगा, बशर्ते कि मीना कुमारी उसके हाथ पर (डाकू अमृत लाल के हाथ पर) चाकू से अपना नाम लिख दें.

मीना कुमारी से एकतरफा मोहब्बत की गिरफ्त में और जिद पर अड़े उस डाकू की बात अंतत: फिल्म यूनिट को माननी ही पड़ी. उसके बाद जब मीना कुमारी ने चाकू से डाकू अमृतलाल के हाथ पर अपना नाम कांपते हाथों से लिख दिया तो डाकू अमृत लाल ने बदले में जो आव-भगत मीना कुमारी, कमाल अमरोही सहित पूरी फिल्म यूनिट की करी, उसे मीना कुमारी और कमाल अमरोही तमाम उम्र नहीं भूल सके. और उस रात मीना कुमारी व कमाल अमरोही को अहसास हुआ कि, ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी की चाहत में दीवाने होने वाले, इकलौते कमाल अमरोही ही नहीं थे, मीना कुमारी के चाहने वालों में चंबल के बीहड़ में मौजूद डाकू अमृत लाल भी शुमार था.