सियासी मजबूरी या फिर रणनीति, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे से अजित पवार ने क्यों बनाई दूरी?

सियासी मजबूरी या फिर रणनीति, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे से अजित पवार ने क्यों बनाई दूरी?

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. महायुति में शामिल एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने नारे पर सवाल खड़े किए हैं. इसके बाद से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या महायुति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

बीजेपी के स्टार चुनाव प्रचारक और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयानों से महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान आ गया है. महाराष्ट्र चुनाव प्रचार में योगी ने कई बार ‘बंटेंगे तो कटेंगे’का बयान दिया और उसके बाद अजित पवार ने कड़ा ऐतराज जताया है. हैरानी की बात है कि गठबंधन के साथ अजित पवार ही बीजेपी नेताओं के नारों पर सवाल खड़े कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से ऐसी चर्चा है कि अजित पवार और महायुति के नेताओं के बीच सुर मेल नहीं खा रहे हैं.

अब सीएम योगी के बयान का विरोध करते हुए अजित पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र शिवाजी, अंबेडकर, शाहूजी महाराज की धरती है. दूसरे राज्य से महाराष्ट्र की तुलना मत करो. महाराष्ट्र को ये कभी भी अच्छा नहीं लगता, महाराष्ट्र के लोगों ने हमेशा जाति समीकरण बनाकर रखा है और शिव, शाहू, आंबेडकर, फुले की विचारधारा सबको साथ लेकर चले हैं. बाहर के लोग आते हैं और वो अपने विचार से बोलकर जाते हैं, महाराष्ट्र ने ये कभी मान्य किया नहीं है.

महाराष्ट्र के चुनाव में दो गठबंधन महायुति और महाविकास अघाड़ी में न विचारों की समानता है, न सिद्धांतों के मेल का और न ही विचारधारा का मेल का है. यह दोनों गठबंधन सिर्फ सत्ता के लिए है. कोई शर्तिया तौर पर यह नहीं कह सकता कि चुनाव के नतीजे आने के बाद गठबंधन के दोनों तरफ के दल एक साथ रहेंगे या इधर से उधर चले जाएंगे. इसके अलावा नेता और विधायक जो चुनाव जीतेंगे, वह जिस पार्टी से और जिस सिंबल से चुनाव लड़ रहे हैं, वह उसी पार्टी में रहेंगे या चुनाव के नतीजों के बाद दूसरी तरफ चले जाएंगे.

योगी के बयान से क्यों नाराज हुए पवार?

अजित पवार असहज इसलिए हो जाते हैं क्योंकि उनकी पूरी राजनीति आज तक साम्यवाद के खिलाफ रही है. इसके साथ ही उनके समर्थकों और उम्मीदवारों में अल्पसंख्यकों की अच्छी खासी संख्या है. अजित पवार ने सन्ना मलिक, नवाब मलिक, हसन मुश्रीफ जैसे मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. बीजेपी से टकराव के बाद भी अजित पवार ने नवाब मलिक को टिकट दिया और उन्होंने कल ही अपने चुनाव क्षेत्र में यह बात कही कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी या महायुति का उम्मीदवार नहीं हूं, महायुति का उम्मीदवार यहां पर मेरे खिलाफ लड़ रहा है औरमहाराष्ट्र विकास अघाड़ी का भी लड़ रहा है. मैं महायुति का नहीं हूं, मैं अजित पवार एनसीपी का उम्मीदवार हूं. इस तरह की स्थिति हर तीसरे-चौथे विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिलेगी. ऐसे में अजित पवार चुनाव के वक्त योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन नहीं कर सकते.

इसके साथ ही अजित पवार ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिंदे गुट की हां में हां मिलाई थी, जिसका खामियाजा उनको पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में भुगतना पड़ा था. एनसीपी का बेसिक वोट बैंक मराठा, कुनबी और मुस्लिम वोट बैंक है. मराठवाड़ा में 15 फीसदी के करीब मुस्लिम रहते हैं तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान अजित पवार को हुआ था, यही कारण है कि अजित पवार ने योगी के बयान से तुरंत किनारा कर लिया और कहा कि यह बयान महाराष्ट्र में नहीं चलेगा.

अजित पवार को मालूम है कि यह उनके अस्तित्व का चुनाव है, यह असली और एनसीपी और नकली एनसीपी के लिए पब्लिक परसेप्शन बनाने का चुनाव है, क्योंकि वह लोकसभा में वह पिछड़ गए थे तो विधानसभा के चुनाव में इसमें किस तरह से आगे आए इसलिए इस रणनीति पर काम कर रहे हैं. अजित पवार ने 10 फीसदी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट दिया है और उनका पूरा फोकस मुस्लिम मतदाता को अपने साथ जोड़े रहने का है.

बीजेपी से सहमति!

शरद पवार के खिलाफ एक नेता ने बयान दिया और अजीत पवार ने उसकी कड़ी आलोचना करते हुए वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से उसकी शिकायत भी की. कहीं ना कहीं अजित पवार इस बार पूरी तरह से सतर्क हैं, पिछली बार लोकसभा चुनाव के पहले वह कई बार मंच से कह चुके थे कि शरद पवार को रिटायर हो जाना चाहिए. इसके अलावा बीजेपी भी शरद पवार पर हमले कर रही थी, लेकिन इस बार मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र जोन में शरद पवार के खिलाफ कोई भी नेता एक भी शब्द नहीं बोल रहा है, क्योंकि उनको पता है कि यहां पर शरद पवार को लोग काफी मानते हैं. शरद पवार ने यहां पर बहुत काम किया है.

अजित पवार द्वारा दिए गए बयान में उनको बीजेपी का भी समर्थन मिल रहा होगा, क्योंकि बीजेपी को भी पता है कि अगर पिछली बार की तरह ध्रुवीकरण हुआ और अजीत पवार का वोट बैंक नहीं जुड़ा तो उनको इसका काफी बड़ा नुकसान हो सकता है. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि अजित पवार का वोट महायुति के उम्मीदवारों को शिफ्ट नहीं हुआ था, जिसका हमको सबसे बड़ा नुकसान हुआ. इस बार यह कोशिश है कि किस तरह से तालमेल बिठाया जाए और तीनों के तालमेल से महायुति की नैया पार हो सके.

एनसीपी की क्या है राय?

योगी के बयान को लेकर एनसीपी के प्रवक्ता बृजमोहन श्रीवास्तव का कहना है कि महाराष्ट्र का मतदाता सेकुलर है, यहां पर धर्म को लेकर बहुत कम मतदान होता है और इसका बहुत बड़ा उदाहरण पिछलाचुनाव है, क्योंकि उस समय ओवैसी ने कई जगह अपने प्रत्याशी खड़े किए थे और उनको हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में अजित पवार ने अपने सहयोगियों को यह बात कही है कि इस तरह के बयान से हमें महाराष्ट्र में सही परिणाम नहीं मिलेंगे. अजित पवार महाराष्ट्र के मतदाता की जानकारी रखते हैं और उनके पास अपने साथियों को सचेत करने की जिम्मेदारी है, क्योंकि हम सब लोग एक नाव के सवार हैं.

वहीं कहीं ना कहीं महायुति भी इस तरह की बात सिर्फ जोन वाइज उठाएगी, क्योंकि योगी ने जो बोला वह विदर्भ जोन में बोला है और वहां पर देखा गया था कि सबसे ज्यादा बीजेपी का नुकसान हुआ था. वहां पर जाति समीकरण बना था, संविधान की बात चली थी और उसकी काट के तौर पर बंटेंगे तो कटेंगे वाला नारा वहां पर ज्यादा लगाया जा रहा है. महायुति में अजित पवार को इतनी छूट जरूर दी गई है कि वह अपने वोट बैंक को बचा के रखें और इसलिए वह अपनी विचारधारा को को लेकर काफी मुखर हैं.