अमृतसर बवाल: तलवारें और बंदूकें देख डरी पुलिस! क्यों नहीं मिली लाठीचार्ज की इजाजत?
पंजाब के अमृतसर में गुरुवार को 'वारिस पंजाब दे' संगठन का मुखिया अमतृपाल अपने समर्थकों के साथ मिलकर पुलिस थाने में जमकर हंगामा काटा. हंगामे के दौरान समर्थक अपने हाथ में तलावर और बंदूकें पकड़े हुए नजर आए.
पंजाब का सीख संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ चर्चा में है. संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह अपने एक साथी की जेल से रिहाई की मांग को लेकर अपने समर्थकों के साथ गुरुवार को अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने में जमकर हंगामा किया. समर्थक पुलिस के सामने बंदूकें और तलवारें लहराते नजर आए. पुलिस थाने में घुसकर हंगामा काटा और पुलिस खड़ी तमाशा देखती रही. घंटे भर पुलिस जवानों के साथ धक्का-मुक्की हुई और धमकी तक दी गई. इस हंगामे के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या पंजाब में नया जरनैल सिंह भिंडरावाला पैदा हो गया है? वहीं, पुलिस के रवैये पर भी सवाल खड़े हुए हैं.
इस प्रदर्शन ने पुलिस के रवैये पर भी सवाल खड़े किए हैं. बुधवार को इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था. इसके बाद ही अमृतपाल ने अपने समर्थकों से अजनाला पहुंचने की अपील कर दी थी. मतलब पुलिस को थाने के घेराव की जानकारी पहले से थी. हाई अलर्ट पर भी थी तो फिर ऐसा क्या हुआ कि पुलिस को लाठीचार्ज करने की इजाजत नहीं मिली. सूत्रों का मानना है कि ऊपर से लाठीचार्ज की इजाजत नहीं मिलने की वजह से पुलिस हमलावरों को काबू नहीं कर सकी.
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प्रदर्शनकारियों के आगे झुकी पुलिस
हिंसक प्रदर्शन के बाद पुलिस को ‘वारिस पंजाब दे’ के आगे झुकना पड़ा. पुलिस को यह कहना पड़ा कि वो लवप्रीत तूफान को रिहा करेगी. पुलिस ने तूफान को अपहरण के एक मामले में गिरफ्तार किया है. अमृतपाल सिंह को लेकर कहा जाता है कि वो भिंडरावाले के नक्शे-कदम पर चल रहा है. अगर उस पर नकेल नहीं कसी गई तो वो पंजाब के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहा है. अमृतपाल अपने लुक के जरिए खुद को भिंडरावाले जैसे दिखाने की पूरी कोशिश भी करता है. हंगामे के बाद सोशल मीडिया पर अमृतपाल सिंह ट्रेंड करने लगा.
कौन है अमृतपाल सिंह?
अब यह जान लेते हैं कि अमृतपाल सिंह आखिर है कौन? अमृतपाल का जन्म अमृतसर जिले के जल्लूपुर खेड़ा गांव के एक साधारण परिवार में हुआ.10 साल पहले अमृतपाल दुबई चला गया. दुबई से लौटने के बाद उसने सबसे पहले ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की कमान संभाली. संगठन में एक्टिव होने के बाद अमृतपाल धीरे-धीरे खालिस्तानी मुहिम को हवा देनी शुरू कर दी. राज्य के कई शहरों में स्थित सरकारी ऑफिसों के बाहर ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लिखे मिले थे. अपने भड़काऊ बयानों के बाद पुलिस की नजर में आया और कट्टरपंथी नेता के रूप में अपनी एक पहचान बनाई.
क्या है वारिस पंजाब दे?
‘वारिस पंजाब दे’ राज्य में एक संगठन के रूप में काम करता है. 2021 में स्थापित हुए इस संगठन का मकसद युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना है. इस संगठन की स्थापना पंजाबी अभिनेता संदीप सिंह उर्फ दीप सिंद्धू ने की थी. किसान आंदोलन में दीप सिंद्धू एक बड़ा चेहरा बनकर उभरा था. लाल किले पर चढ़कर उसकी प्राचीर पर खालसा पंथ के झंडे को लगाने की कोशिश की थी. दीप सिद्धू की पिछले साल 15 फरवरी को मौत हो गई. दिल्ली से पंजाब जाते वक्त दीप की कार हरियाणा के सोनीपत में हादसे का शिकार हो गई.