अयोध्या में 2 नवंबर से 28 दिसंबर तक आध्यात्मिक निर्माण के लिए होगा महायज्ञ, जानें पूरा शेड्यूल
अयोध्या में 57 दिन के लिए महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. यह महायज्ञ 2 नवंबर से शुरू होगा और 28 दिसंबर को समाप्त होगा. इस यज्ञ के जरिए पूरे विश्व में शांति, खुशी, समृद्धि और कल्याण के लिए भगवान रुद्र और देवी चंडी का आशीर्वाद की कामना की जा रही है. राम जन्मभूमि में आयोजित किए जा रहे महायज्ञ के कई लाभ हैं. ये यज्ञ स्वास्थ्य संकट, वित्तीय अस्थिरता और संघर्ष जैसी चुनौतियों का समाधान करता है. शांति, समृद्धि और कल्याण को बढ़ावा देता है.
भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में 2 नवंबर से 28 दिसंबर तक 57 दिन के लिए श्री महा नारायण दिव्य रुद्र सहिता सत सहस्र विश्व शांति चंडी यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. विश्व शांति और कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भव्य दिव्य रुद्र सहिता सहस्र चंडी महायज्ञ का आयोजन श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, श्री कांची कामकोटि पीठम और चिन्मयी सेवा ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है.
इस यज्ञ के जरिए पूरे विश्व में शांति, खुशी, समृद्धि और कल्याण के लिए भगवान रुद्र और देवी चंडी के आशीर्वाद की कामना की जा रही है. भारत के 850 से ज्यादा वैदिक ऋत्विक प्राचीन अनुष्ठान के साथ पर्यावरण को शुद्ध करने का काम करेंगे. यह महायज्ञ अयोध्या और कांची के बीच के संबंध की ऐतिहासिक संस्कृति की याद दिलाता है. जहां राजा दशरथ ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया था, जिसके परिणामस्वरूप भगवान राम का जन्म हुआ था.
महायज्ञ के कई लाभ
अयोध्या में आयोजित किया जा रहा यह यज्ञ कांची और अयोध्या के पवित्र शहरों से गहराई से जुड़ा हुआ है. यह यज्ञ ग्रह संबंधी कष्टों का भी निवारण करता है और भक्तों को लंबी आयु का आशीर्वाद देता है. राम जन्मभूमि में आयोजित किए जा रहे महायज्ञ के कई लाभ हैं. ये यज्ञ स्वास्थ्य संकट, वित्तीय अस्थिरता और संघर्ष जैसी चुनौतियों के लिए समाधान सामने रख देता है. शांति, समृद्धि और कल्याण को बढ़ावा देता है. ये यज्ञ पर्यावरण शुद्धिकरण का भी समर्थन करते हैं.
- बाधाओं का निवारण: श्री लक्ष्मी गणपति, सुदर्शन और सुब्रह्मण्य जैसे यज्ञ जीवन में बाधाओं और नकारात्मकता को दूर करते हैं.
- संरक्षण और सुरक्षा: लक्ष्मी नरसिंह, मृत्युंजय और नवग्रह जैसे हवन नकारात्मक शक्तियों, दुश्मनों और कष्टों से सुरक्षा देते हैं.
- स्वास्थ्य और लंबी आयु: श्री दान्वन्तरि, मृत्युंजय और आदित्य हवन स्वास्थ्य, इलाज, जीवन शक्ति और लंबी आयु को बढ़ावा देते हैं.
- समृद्धि और धन: श्री महालक्ष्मी, महालक्ष्मी कमला, और नवग्रह हवन वित्तीय सफलता, धन और स्थिरता देते हैं. आध्यात्मिक विकास: सरस्वती, वन दुर्गा और सुदर्शन हवन बुद्धि, बौद्धिक शक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाते हैं.
- पारिवारिक सद्भाव और संतान: श्री पुत्र कामेष्टि और सुब्रह्मण्य हवन संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं.
- शांति और सद्भाव: सुदर्शन, लक्ष्मी नरसिंह और नवग्रह सार्वभौमिक ऊर्जा को संतुलित करके शांति और सद्भाव लाते हैं.
- पर्यावरण शुद्धि: वैदिक विद्वानों के सामूहिक यज्ञ पर्यावरण को शुद्ध करते हैं.
- मानसिक स्पष्टता: सरस्वती और आदित्य हवन मानसिक स्पष्टता, ध्यान और बौद्धिक शक्ति को बढ़ावा देते हैं.
- मृत्यु से सुरक्षा: मृत्युंजय हवन अकाल मृत्यु और खतरनाक ज्योतिषीय कारकों से राहत देते हैं.
महायज्ञ में क्या होगा खास
57 दिवसीय इस महायज्ञ में विश्व शांति के लिए रोजाना कई धार्मिक कार्य किए जाएंगे.
- 14 हवन होंगे (प्रतिदिन 48 जोड़ों तक सीमित)
- 2 शरसा चंडी हवन (प्रति दिन 2 जोड़ों तक सीमित)
- 850 वैदिक ऋत्विक पवित्र अनुष्ठान में शामिल होंगे
- ये दैनिक अनुष्ठान भक्तों को विश्व शांति में योगदान देने, जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने, बाधाओं को दूर करने, सुरक्षा सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, धन और बुद्धि देने, ग्रहों के कष्टों को बेअसर करने और लंबी आयु के लिए आशीर्वाद देंगे.
महायज्ञ का प्रतिदिन का शेड्यूल
- रोजाना सुबह 8 बजे से कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे और फिर सुबह 11 बजे तक चलेंगे. सबसे पहले लक्ष्मी गणपति मंत्र पाठ होगा, जिसमें 28 लाख लोग शामिल होंगे.
- सुब्रह्मण्यम महामन्त्रनुष्ठानम् एवं अभिषेकम् होगा
- सहस्र लिंगार्चन, षोडसवर्णपूजा एवं रुद्राभिषेकम्
- चंडी सप्तशती और महारुद्रम का जाप होगा
- दुर्गा सप्तशती हवन, सुदर्शन महामंत्र का जाप
- कई जाप होंगे, लक्ष्मी नृसिंह, राम षडाक्षरी (66 लाख), कार्तवीर्यार्जुन, धन्वंतरि सामूहिक श्री सीतामूला कल्याणम और कुमारी पूजा होगी.
शाम 5:00 बजे से 7:00 बजे तक
इस के बाद आराम के लिए समय दिया जाएगा, जिसके बाद शाम 5:00 बजे से 7:00 बजे तक कार्यक्रम चलेंगे. हवन: लक्ष्मी गणपति, सुब्रह्मण्य, आदित्य, सुदर्शन, वनदुर्गा, नवग्रह, श्री रामतारक, अंजनेय, महालक्ष्मी, धन्वंतरि, मृत्युंजय, सरस्वती के हवन होंगे.
शाम 7:00 बजे – रात 9:00 बजे:
रुद्राक्रममार्चना दिक्पालक बलिहारण तीर्थ प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित किया जाएगा.