40 साल पुराने मुकदमे में 9 जजों ने मांगी माफी, आदेश पालन कराने में हुई थी देरी
दिवानी के एक 40 साल पुराने मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने आणंद कोर्ट के नौ जजों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की. हालांकि सभी जजों द्वारा अपनी गलती स्वीकार करने पर हाईकोर्ट ने माफ भी कर दिया.
गुजरात के आणंद कोर्ट में तैनात रहे नौ जजों को हाईकोर्ट में अवमानना कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. उन्हें 40 साल पुराने एक मुकदमे में समय रहते कार्रवाई नहीं करने के लिए माफी मांगनी पड़ी है. हाईकोर्ट ने इन सभी जजों को माफ तो कर दिया है, लेकिन कड़े दिशा निर्देश दिए हैं. साफ तौर पर कहा है कि फौजदारी के मुकदमों के साथ ही दिवानी के मामले में निपटाने में भी उतनी ही रुचि ली जानी चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी मुकदमा आए तो उसमे स्टे हो, निर्देश दिए जाय या फिर निस्तरण की कोई समय सीमा तय करते हुए लोअर कोर्ट की प्रोसिडिंग में दर्ज किया जाए.
मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि भविष्य में भी कोई सिविल मामला आता है तो इसके निस्तारण में हाईकोर्ट और उच्च कोर्ट के महत्वपूर्ण अवलोकनों और निर्देशों का पालन होना चाहिए. दरअसल यह मामला एक 88 साल के फरियादी ने दाखिल किया था. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि जब वह 48 की उम्र में थे, संपत्ति संबंधी विवाद में दिवानी दाखिल की थी, लेकिन अब तक फैसला नहीं हो सका है. इस संबंध में वादी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए परिवादी के साथ ही आणंद कोर्ट के नौ जजों को भी पार्टी बनाया था. चूंकि पहले ही हाईकोर्ट से इस संबंध में सर्कुलर जारी हुआ था. ऐसे में हाईकोर्ट ने सभी नौ जजों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करते हुए तलब कर लिया था.
माफी मांगने पर मिली राहत
हाईकोर्ट की तलबी में पहुंचे सभी नौ जजों ने मामले की सुनवाई के दौरान अपनी गलती स्वीकार की. भरोसा दिया कि भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं होगा. इसके बाद हाईकोर्ट ने भी उन्हें माफ कर दिया. इसी के साथ हाईकोर्ट ने राज्य की सभी अदालतों में तैनात सभी जजों के लिए मुकदमों का समय रहते निस्तारण के लिए गाइडलाइन जारी की.
यह है मामला
गुजरात के आणंद कोर्ट में साल 1977 में एक दिवाली केस दाखिल हुआ था. लंबे समय तक फैसला नहीं आने पर कुछ समय पहले यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था. उस समय हाईकोर्ट ने आणंद कोर्ट निर्देश भी जारी किए थे. इसके बाद आणंद कोर्ट के लिए 31 दिसंबर तक फैसला करने की तिथि तय की थी. बावजूद इसके आणंद कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्देश को गंभीरता से नहीं लिया. मजबूरी में 88 साल के बुजुर्ग याचिकाकर्ता ने दोबारा गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. फैसला हाईकोर्ट में आते ही हाईकोर्ट ने इसे अवमानना याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए सभी जजो को नोटिस जारी कर दिए थे.