उड़ा गुलाल, बाबा महाकाल को पहनाई गई शक्कर की माला, मंत्रोच्चार संग होलिका दहन- PHOTOS

उड़ा गुलाल, बाबा महाकाल को पहनाई गई शक्कर की माला, मंत्रोच्चार संग होलिका दहन- PHOTOS

महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरु ने बताया कि श्री महाकालेश्वर मंदिर की परंपरा व पञ्चाङ्ग अनुसार संध्या आरती में बाबा महाकाल को मंदिर में अर्पित फूलों से बना गुलाल और शक्कर की माला अर्पित की गई.

उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के आंगन में होली पर्व का उल्लास देखने को मिला. सोमवार सुबह भस्म आरती में बाबा महाकाल पर 40 क्विंटल फूल से वर्षा कर इस रंगोत्सव का पुजारियों ने शुभारंभ किया. इस बार भद्रकाली होने के कारण सोमवार शाम परंपरानुसार संध्या आरती में बाबा को अबीर और हर्बल गुलाल लगाया गया.

महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरु ने बताया कि श्री महाकालेश्वर मंदिर की परंपरा व पञ्चाङ्ग अनुसार संध्या आरती में बाबा महाकाल को मंदिर में अर्पित फूलों से बना गुलाल और शक्कर की माला अर्पित की गई. शासकीय पुजारी घनश्याम गुरुजी व अन्य पुजारी, पुरोहितों ने होलिका का पूजन किया. तत्पश्चात होलिका दहन श्री महाकाल मंदिर प्रांगण में किया गया.

अब 7 मार्च यानी मंगलवार की सुबह मंदिर में धुलेंडी (होली) मनाई जाएगी. मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि बाबा श्री महाकाल को 7 मार्च की सुबह भस्म आरती में फूलों से बनाया गया गुलाल अर्पित किया जाएगा.

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमवार को सबसे पहले प्रदोष काल में होलिका दहन हुआ. पंडित महेश पुजारी ने बताया फाल्गुन पूर्णिमा पर प्रदोष काल में होलिका के पूजन का विधान है.

पंचांग की गणना के अनुसार 6 मार्च यानी आज सुबह चतुर्दशी और शाम प्रदोष काल मे पूर्णिमा तिथि होने से महाकाल मंदिर में होलिका का पूजन व दहन हुआ. संध्या आरती के बाद पुजारी, पुरोहित परिवार की महिलाएं होलिका का पूजन किया. इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ होलिका का दहन किया गया.

महाकालेश्वर मंदिर के अभिषेक शर्मा बाला गुरू ने बताया कि होली का पर्व प्राचीन समय से ही लोगों में काफी लोकप्रिय है. इस त्यौहार पर पूजा-अर्चना करने का भी विशेष विधान है. अगर होली पर्व पर श्रद्धालु भगवान के रंग में रंग जाएं और भगवान के साथ सच्चे मन से होली खेल ले तो सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि अलग-अलग रंगों का शास्त्रों में अलग-अलग महत्व बताया गया है. भगवान महाकाल के दरबार में हर साल होली खेलने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

होली पर्व से लेकर अभी तक रोजाना भगवान को गुलाल चढ़ाया जाता है. आपने बताया कि महाकाल के दरबार में होली पर्व पर विशेष तरह की पूजा-अर्चना करने से दुख, दरिद्रता और संकट का नाश होता है. इसके अलावा कोर्ट कचहरी के मुकदमे, पारिवारिक कलह और आर्थिक परेशानी को भी दूर किया जा सकता है.

बाबा महाकाल मंदिर में पहले दिन होलिका दहन की परंपरा है और उसके बाद शयन आरती व सुबह भस्म आरती के बाद फूल और गुलाल से होली खेलने की विशेष परंपरा है. बाबा महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली खेलने की परंपरा आज से नहीं बल्कि सालों से चली आ रही है. इस विशेष दिन के लिए रंगों को खास फूलों से तैयार किया जाता है. रंगवाली होली के दिन सुबह 4 बजे भस्म आरती के बाद हर्ष और उल्लास के साथ होली खेली जाती है. साथ ही देश विभिन्न हिस्सों से बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आए भक्त भी एक दूसरे पर रंग लगाते हुए होली की बधाई देते हैं.