Helmet Man of India: घर तक बेचना पड़ा लेकिन जारी रखी मुहिम, 9 साल से फ्री हेलमेट बांट रहे हैं राघवेंद्र
Helmet Man of India: लोगों को हेलमेट के प्रति जागरुक करने के लिए एक शख्स पिछले 9 साल से बड़ी शिद्दत के साथ काम कर रहा है. हम बात कर रहे हैं हेलमेट मैन ऑफ इंडिया राघवेंद्र कुमार की.
Helmet Man of India: सड़क पर दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट कितना जरूरी है, ये सभी जानते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जो वाहन चलाते समय हेलमेट नहीं पहनते हैं. जिस कारण सड़क दुर्घटना में दोपहिया वाहन चलाने वालों की मौत के आंकड़े तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में लोगों को हेलमेट के प्रति जागरुक करने के लिए एक शख्स पिछले 9 साल से बड़ी शिद्दत के साथ काम कर रहा है. हम बात कर रहे हैं हेलमेट मैन ऑफ इंडिया राघवेंद्र कुमार की. राघवेंद्र अब तक देश के 22 राज्यों में 50 हजार से भी ज्यादा हेलमेट बांट चुके हैं.
हेलमेट बांटना राघवेंद्र का कोई पेशन नहीं है, बल्कि वो चाहते हैं कि देश में कोई भी व्यक्ति बिना हेलमेट के बाइक या स्कूटी नहीं चलाए, क्योंकि बिना सुरक्षा के दोपहिया वाहन चलाने से जान का खतरा दो गुना ज्यादा बढ़ जाता है. देश में हर साल कई हजार मौतें सिर्फ इसलिए होती हैं क्योंकि हादसे के समय वाहन चालक ने हेलमेट नहीं पहना हुआ होता है.
दोस्त की मौत ने समझायी हेलमेट की अहमियत
बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले राघवेंद्र को हेलमेट की कीमत 2014 में समझ आई थी. दरअसल 2014 में उनके बेस्ट फ्रेंड की मौत नोएडा में बाइक एक्सीडेंट के दौरान हो गई थी. जिसके बाद उन्हे हेलमेट की अहमियत का अहसास हुआ था. राघवेंद्र ने बताया कि 2014 में उनका दोस्त नोएडा से ग्रेटर नोएडा आ रहा था. तभी सड़क पर उसका एक्सीडेंट हो गया. राघवेंद्र के दोस्त ने उस समय हेलमेट नहीं पहन रखा था. एक्सीडेंट के बाद उसका बहुत खून बह गया था. तकरीबन एक हफ्ते अस्पताल में रहने के बाद भी उसकी जान नहीं बच सकी थी. तब पहली बार उन्हे अहसास हुआ कि अगर उनका दोस्त हेलमेट पहनता तो उसकी जान बच सकती थी.
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राघवेंद्र कहते हैं तब उन्होंने सोचा कि क्यों न हेलमेट को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए. वो कहते हैं कि उन्होंने 2014 लोगों को हेलमेट बांटने शुरू किया था, ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि लोग हेलमेट को लेकर जागरूक हो सकें. बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक रिपोर्ट मुताबिक 2021 में 46 हजार लोगों की मौत हेलमेट ना पहनने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में हो गई थी. इनमें से 32,877 चालक और 13,716 यात्री थे.
घर तक बेचना पड़ा लेकिन जारी रखी मुहिम
राघवेंद्र के लिए इस जागरुकता अभियान को जारी रखना इतना भी आसान नहीं रहा है. दरअसल राघवेंद्र अपनी कमाई से खरीदकर लोगों को हेलमेट दिया करते हैं, इस कारण उनकी सारी सेविंग खत्म हो गई. एक समय आया जब वो पूरी तरह कर्जे में डूब गए थे. जिस कारण उन्होंने 2018 में अपना दिल्ली का घर भी बेच दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी मुहिम को नहीं छोड़ा. हालांकि उनके रिश्तेदार उनके इस समाज सेवा के काम से खुश नहीं थे उनकी नजर में ये पागलपन था, लेकिन उनकी पत्नी ने उनका साथ दिया. पत्नी ने ज्वैलरी बेचकर अपने पति की मदद की. कई मुश्किलें आने के बाद भी हेलमेट मैन ने अपनी मुहीम नहीं रोकी.
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