यूपी में 6 साल बाद साथ होंगे राहुल-अखिलेश, जयंत को सामने रख BJP बना रही खास प्लान?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा लेकर यूपी पहुंच रहे हैं. यूपी में इंडिया गठबंधन इसे एक बड़ा इवेंट बनाने की तैयारी में है. रायबरेली या अमेठी में अखिलेश यादव उनके साथ एक ही मंच पर होंगे, लेकिन बीजेपी की तैयारी इस इवेंट को पंक्चर करने की है.
ठीक छह सालों बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव यूपी में एक मंच पर होंगे. वो भी कांग्रेस के गढ़ में. दोनों नेता या तो रायबरेली में साथ होंगे या फिर अमेठी में. अमेठी से राहुल तीन बार सांसद रह चुके हैं, जबकि रायबरेली से सोनिया गांधी एमपी हैं. राहुल और अखिलेश के मिलन के लिए 16 फरवरी की तारीख तय की गई है. राहुल अपनी न्याय यात्रा लेकर यूपी पहुंच रहे हैं. यूपी में इंडिया गठबंधन इसे एक बड़ा इवेंट बनाने की तैयारी में है, लेकिन बीजेपी की तैयारी तो इसी इवेंट को पंक्चर करने की है.
यूपी में इंडिया गठबंधन टूट की कगार पर है, हालांकि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी तो यही बताते रहे हैं कि हम साथ हैं. मायावती इस गठबंधन से पांच साल पहले ही निकल गईं. लेकिन जयंत और अखिलेश का साथ बना रहा. जयंत को अखिलेश ने अपने विधायकों के दम पर राज्यसभा भेज दिया. जबकि आरएलडी के सिर्फ 9 ही विधायक हैं. अगले लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश ने आरएलडी के लिए 7 सीटें छोड़ दी. लेकिन अब जयंत चौधरी का अखिलेश यादव से मोहभंग हो गया है. हो सकता है 16 फरवरी को ही जयंत चौधरी एनडीए में आने का एलान कर सकते हैं.
एनडीए में आरएलडी की एंट्री
एनडीए में आरएलडी की एंट्री की पटकथा लगभग लिखी जा चुकी है. आरएलडी और बीजेपी के बीच मेल जोल की शुरूआत की कहानी बड़ी दिलचस्प है. संवैधानिक पद पर विराजमान जाट बिरादरी के एक व्यक्ति ने मिलने और मिलाने का सिलसिला शुरू किया. आप कह सकते हैं कि उन्होंने ही दोस्ती की बीज बोई. फिर जयंत और बीजेपी को नजदीक लाने के लिए एक बड़े किसान नेता की मदद ली गई. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही उनका मन बदलने लगा है. इसके बाद जयंत चौधरी और बीजेपी के एक शीर्ष नेता की मुलाकात हुई. सीटों के बंटवारे से लेकर कई मुद्दों पर बातचीत हुई. यूपी में बीजेपी का मिशन लोकसभा की सभी 80 सीटें जीतने का है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बीजेपी के लिए 370 का टार्गेट फिक्स किया है. एनडीए का लक्ष्य चार सौ पार का है.
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यूपी की राजनीति में नया खेला
चौधरी चरण सिंह की एक मूर्ति का उद्घाटन 12 फरवरी को होना था. इसके लिए बागपत के छपरौली में तैयारियां भी शुरू हो गई थीं. छपरौली से ही चरण सिंह पहली बार विधायक बने थे. इस सीट पर 1937 से ही चौधरी चरण सिंह का परिवार या पार्टी जीतती रही है. चार दिनों पहले जयंत चौधरी ने अचानक मूर्ति का अनावरण रद्द कर दिया. कहा जा रहा है कि अब पीएम नरेन्द्र मोदी या फिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उद्घाटन कर सकते हैं. जाहिर सी बात है कि इस मौके पर जयंत चौधरी भी मौजूद रहेंगे. इस मौके को यूपी की राजनीति के लिहाज से एक ऐतिहासिक अवसर बनाने की तैयारी है.
बीजेपी-आरएलडी में बातचीत जारी
सीटों के बंटवारे पर बीजेपी और आरएलडी में बातचीत जारी है. जयंत चौधरी ने बात 8 सीटों से शुरू की. लेकिन अब 5 लोकसभा सीटों पर फार्मूला तय हो रहा है. सूत्रों से पता चला है कि आरएलडी के लिए बीजेपी ने कैराना, बागपत और अमरोहा सीटें छोड़ने का फैसला किया है. जयंत चौधरी इसके अलावा मथुरा और मुज्जफरनगर सीटें भी मांग रहे हैं. अयोध्या, काशी और मथुरा संघ परिवार के सांस्कृतिक एजेंडा पर है. इसीलिए मथुरा सीट आरएलडी को नहीं दी जा सकती है. जबकि मुजफ्फरनगर से मोदी सरकार में मंत्री संजीव बालियान सांसद हैं. बीजेपी के लिए वे यूपी के सबसे बड़े जाट नेता हैं. ऐसे में बालियान के लिए सीट बदलने की संभावना न के बराबर है.
जयंत चौधरी के एक करीबी नेता ने बताया कि आरएलडी पश्चिमी यूपी के हर मंडल से एक लोकसभा सीट चाहते हैं. जैसे आगरा मंडल से हाथरस या फिर मथुरा. मुरादाबाद मंडल से आरएलडी की नजर बिजनौर या अमरोहा सीट पर है. उसी तरह सहारनपुर मंडल से कैराना और मेरठ मंडल से बागपत. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि आरएलडी को एक दो और सीटें देने पर बात चल रही है. जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने से बीजेपी को राजस्थान और हरियाणा में भी फायदा हो सकता है