आतंक मुक्त हो रहे कश्मीर में कैसे पैर जमा रहा PAFF, इसके पीछे हैं कौन-कौन सी ताकतें
PAFF News: केंद्र सरकार ने इसी साल जनवरी में पीएएफएफ को यूएपीए अधिनियम 1967 के तहत आतंकी संगठन घोषित कर इसे बैन कर दिया था. पीएएफएफ के सिर पर आईएसआई और वहां बैठे आतंक के आकाओं का हाथ है.
PAFF: 20 अप्रैल 2023, जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले के भाटा धुरियां के घने जंगलों से भारतीय सेना का एक ट्रक गुजरता है. ट्रक के अंदर राष्ट्रीय राइफल्स इकाई के जवान मौजूद होते हैं, जो एक गांव में इफ्तार के लिए फलों और अन्य सामानों को ले जा रहे होते हैं. तभी इस ट्रक पर आतंकी हमला होता है.
ट्रक धू धू कर जल जाता है और पांच जवान शहीद हो जाते हैं. यह घात लगाकर किया गया हमला था. इस हमले को आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने अंजाम दिया, जो अब कश्मीर में पैर जमा रहा है. यह आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रॉक्सी आउटफिट के रूप में जाना जाता है.
यह भी पढ़ें- सेना के ट्रक पर कैमरे से नजर, PAFF ने जारी की अटैक की 3 तस्वीरें
पीएएफएफ ने कल पुंछ आतंकी हमले से जुड़ी तीन तस्वीरें जारी की. एक तस्वीर में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि हमले से पहले सेना का ट्रक एक आतंकी की ओर बढ़ रहा है. इस आतंकी ने अपने शरीर पर कैमरा चिपकाया हुआ है.
दूसरी और तीसरी तस्वीर में आतंकियों के हाथों में M4 कार्बाइन और एक AK-47 असॉल्ट राइफल दिख रही है. इससे साफ है कि जम्मू-कश्मीर में अब आतंकी संगठन हाईटेक हो रहे हैं. वह टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हमलों की साजिश रच रहे हैं.
इसी साल जनवरी में बैन हुआ था पीएएफएफ
पीएएफएफ ने इस आतंकी हमले को ऐसे वक्त अंजाम दिया, जब घाटी आतंक मुक्त हो रही है. बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार ने इसी साल जनवरी में पीएएफएफ को यूएपीए अधिनियम 1967 के तहत आतंकी संगठन घोषित कर इसे बैन कर दिया था. पीएएफएफ साल 2019 में जैश-ए-मोहम्मद के प्रॉक्सी आउटफिट के रूप में उभरा था. पुंछ और राजौरी जैसे इलाकों में इसके आतंकी एक्टिव हैं.
कौन हैं पीएएफएफ के आका?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट की स्थापना जैश के सरगना मसूद अजहर ने ही की थी. इसका भाई मुफ्ती अज़गर संगठन के लिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) और घाटी में अभियान चलाता है. वहीं, संगठन से संबंधित सभी कार्यों की जिम्मेदारी मसूद अजहर के दूसरा भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ अजहर के ऊपर है.
यह भी पढ़ें- Hizbul चीफ के बेटे की संपत्तियां Jammu Kashmir में जब्त
कैसे कश्मीर में पैर जमा रहा पीएएफएफ?
इंडियन आर्मी के जवान और घाटी के तमाम नेता साल 2019 से ही पीएएफएफ के निशाने पर हैं. पिछले दिनों इस संगठन ने लगातार नेताओ, अधिकारियों और सुरक्षाबलों को धमकियां भेजीं. पीएएफएफ अकेली नहीं, बल्कि अन्य आतंकी संगठनों के साथ मिलकर यह घाटी में बंदूक और गोला बारूद चलाने के लिए स्थानीय युवाओं को बरगलाकर ट्रेनिंग देता है.
पीएएफएफ के पीछे कौन-कौनसी ताकते हैं?
रक्षा और सुरक्षा से जुड़े जानकारों का मानना है कि पीएएफएफ की सबसे बड़ी ताकत पाकिस्तान है. पाकिस्तान आतंक के पोषण के लिए ऐसे संगठनों को फंडिंग देता है और हाईटेक हथियार मुहैया कराता है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां बैठे आतंक के आकाओं ने ही पीएएफएफ जैसे आतंकी संगठनों को भारत में गढ़ा है.
जानकारों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से आतंक के आंका बौखलाए हुए हैं और वह घाटी में आतंक जारी रखने के लिए युवाओं की भर्ती कर रहे हैं. लश्कर और जैश जैसे संगठन पीएएफएफ के आतंकियों को आतंक का पाठ पढ़ा रहे हैं. अब भारतीय सेना इस संगठन के आतंकियों को दबोचकर पाकिस्तान को बेनकाब करने की तैयारी कर रही है.