‘जमीयत उलेमा-ए-हिन्द’ जिहादी आतंकियों का लड़ती है केस, महंत नृसिम्हानंद का मदनी पर पलटवार
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने 'ओम' और 'अल्लाह' तथा मनु और पैगंबर आदम को एक बताते हुए रविवार को दावा किया कि बहुसंख्यक समाज के पूर्वज हिंदू नहीं थे. बल्कि मनु थे, जो एक ओम यानी अल्लाह की इबादत करने वाले थे.
गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत नृसिम्हानंद सरस्वती ने मदनी के विवादित बयान पर पलटवार किया है. महंत ने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिन्द एक संस्था है, जो जिहादी आतंकियों का केस लड़ती है. इसका अध्यक्ष अरशद मदनी या महमूद मदनी है. मदनी ने बयान दिया कि दुनिया का सबसे पुराना धर्म इस्लाम है. इस्लाम की पैदाइश भारत में हुई है. इसलिए यहां पर सबसे पहला हक मुलमानों का है. इसी बयान पर नृसिम्हानंद ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा मदनी का कहना है कि भारत की जमीन को पहले पैगंबर की जमीन है. भारत मुसलमानों का पहला वतन है.
उन्होंने कहा मदनी को मैं ये कहना चाहता हूं की इस्लाम धर्म किसी की परिभाषा पर खरा नहीं उतरता है. महंत ने कहा मदनी का ये काहना की भारत पर पहला हक मुसलमानों का है. अगर भारत में कोई न्याय करने वाला होता है तो वह सनातन धर्म का मानने वाला होता है. महंत ने कहा जैसी विचार धारा इस्लाम की है. ऐसे धर्म को इस धरती पर पनपने का भी हक नहीं था, लेकिन ये हमारी कायरता और अकर्मण्यता का प्रतीक है, जहां सारे धर्माचार्य और हिंदू नेता इस बात को सुन रहे हैं.
विहिप ने भी मदनी पर साधा निशाना
वहीं, दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने भी मदनी के ‘ओम’ और ‘अल्लाह’ एक ही हैं, जिसकी पूजा मनु और पैगम्बर किया करते थे. इस बयान पर पलटवार किया है. विहिप ने कहा कि इस टिप्पणी ने मदनी की वास्तविक मानसिकता को उजागर कर दिया है. सौहार्द बढ़ाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में मदनी द्वारा की गई टिप्पणी पर एक प्रमुख जैन मुनि ने आपत्ति जताई और कुछ अन्य धर्मगुरुओं के साथ मंच से उतरकर चले गए. मदनी की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक वीडियो में कहा, क्या यह ‘सद्भावना सम्मेलन’ था या जमीयत के जहरीले समूह का जमावड़ा?
मदनी के बयान पर धर्मगुरुओं ने छोड़ा मंच
बता दें कि जैन संत लोकेश मुनि समेत कुछ अन्य धर्मगुरुओं की मौजूदगी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ‘ओम’ और ‘अल्लाह’ तथा मनु और पैगंबर आदम को एक बताते हुए रविवार को दावा किया कि बहुसंख्यक समाज के पूर्वज हिंदू नहीं थे, उनके इस बयान पर असहमति जताते हुए आचार्य लोकेश मुनि समेत कुछ अन्य धर्मों के धर्म गुरु नाराज हो गए और कार्यक्रम बीच में छोड़कर चले गए.