Badrinath Yatra 2023: कल खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट, जानें इस धाम के दर्शन और पूजन का महत्व

Badrinath Yatra 2023: कल खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट, जानें इस धाम के दर्शन और पूजन का महत्व

गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के बाद अब कल भगवान ब्रदीनाथ धाम के कपाट खुल जाएंगे. चार धाम यात्रा पर निकले भक्तों को कल कितने बजे होगा बद्री विशाल का पहला दर्शन, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

Badrinath Yatra 2023:उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा प्रारंभ हो चुकी है और इसमें से तीन यानि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद कल 27 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन भगवान बद्री विशाल के मंदिर के द्वार भी उनके भक्तों के लिए खुल जाएंगे. इसी के साथ कल हजारों-हजार भक्तों का भगवान बद्रीनाथ के दर्शन का इंतजार भी खत्म हो जाएगा. भगवान बद्रीनाथ के बारे में मान्यता है कि जो व्यक्ति इस पावन धाम पर एक बार जाकर उनके दर्शन कर लेता है, उसे दोबारा माता के गर्भ में प्रवेश करके पृथ्वी पर जन्म नहीं लेना पड़ता है. आइए बद्रीनाथ धाम की यात्रा और उनकी पूजा के बारे में विस्तार से जानते हैं.

किस समय खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट

ब्रदीनाथ धाम से जुड़े स्वामी मुकुंदानंंद के अनुसार आज उनकी डोली अपने धाम पर पहुंच गई है और कल 27 अप्रैल 2023 को सुबह 07:20 बजे उनके कपाट आम भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे. भगवान ब्रदीनाथ के कपाट खुलने की प्रकिया अब अपने अंतिम चरण में है.

पहले ही खुल चुके हैं बाकी तीन धाम के कपाट

उत्तराखंड के जिस चार धाम यात्रा को छोटी चार धाम यात्रा के नाम से जाना जाता है, उसकी शुरुआत अक्षय तृतीया से हो चुकी है. चार धाम में सबसे पहले गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 22 अप्रैल 2023 को खुले थे, जबकि भगवान केदारनाथ के मंदिर के कपाट को हाल ही में 25 अप्रैल 2023 को पूरे विधि-विधान से खोला गया था. चार धाम की यात्रा के कपाट खुलते ही इस यात्रा पर जाने के लिए बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है.

बद्रीनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व

देश के प्रसिद्ध विष्णु मंदिर में से एक बद्रीनाथ को वैकुंठ धाम के समान पूजा जाता है क्योंकि यह हिंदू धर्म से जुड़े चार प्रमुख धाम में एक बड़ा धाम है. उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे इस पावन धाम पर मत्था टेकने के लिए हर साल देश-विदेश से भक्तगण पहुंचते हैं. इस पावन धाम के बारे में मान्यता है कि कभी यह देवों के देव महादेव का धाम हुआ करता था, लेकिन बाद में इसे भगवान विष्णु ने उनसे अपने लिए मांग लिया था. बद्रीनाथ मंदिर की पूजा रावल पुजारी करते हैं.

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(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)