Shubh Muhurat: क्या होता है शुभ- अशुभ मुहूर्त, जानें शुभ मुहूर्त में ही काम क्यों शुरू करने चाहिए?
हमारे जीवन में आने वाली परेशानियों से बचने और अपने काम के लिए अनुकूल समय को जानने के लिए पंचांग में मुहूर्त देखा जाता है. मुहूर्त का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व जानने के लिए पढ़ें ये लेख.
Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में किसी भी तरह के काम को करने से पहले शुभ और अशुभ के बारे में जाना जाता है. माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में होने वाले काम का फल हमेशा अच्छा होता है. इसके चलते ही हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले लोग किसी भी तरह के शुभ काम,पूजा-पाठ, शादी विवाह, गृह प्रवेश जैसे कामों के लिए किसी पंडित से शुभ मुहूर्त के बारे में सलाह मशविरा करते हैं. दरअसल, शुभ मुहूर्त किसी भी नए काम को शुरू करने के लिए वह समय होता है जिसमें सभी ग्रह और नक्षत्र अच्छी स्थिति में होते हुए शुभ फल देत हैं.
शुभ मुहूर्त के मुताबिक, जीवन में होने वाले शुभ कामों को शुरू करने के लिए एक तारीख और समय तय किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर तरह के शुभ काम को शुरू करने के लिए एक तय समय होता है. चूंकि, हर एक समय ग्रहों और नक्षत्रों की चाल समयनुसार बदलती रहती है, जिसमें पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तरह की चाल शामिल होती है. जबकि, ग्रहों-नक्षत्रों की पॉजिटिव चाल पर ही शुभ मुहूर्त तय किए जाते हैं.
जानिए कैसे होती है शुभ मुहुर्त की गणना?
बता दें कि, हमारे जीवन में आने वाली परेशानियों और उनके अनुकूल व प्रतिकूल समय को जानकर उन्हें उस हालात से निकालते हुए बेहतर स्थितियों में लाने को ही काम मुहूर्त ज्योतिष का है. यदि, कोई जातक शुभ मुहूर्त में काम करता है तो उसके कामों में सफलता मिलती है. मगर, अशुभ मुहूर्त में किए गए कामों का रिजल्ट आपको राजा से रंक बना सकता है. इस दौरान जैसे दिन और रात में 24 घंटे 12 राशियां लग्न घूमती करती हैं. ठीक उसी दिन दिन और रात के बीच 30 मुहूर्त भी होते हैं.
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शुभ मुहूर्त में पैदा हुए जातक पहुंचते शिखर तक
ये मुहूर्त अपने-अपने नाम और उनके गुणों के अनुसार अपने बीच किए गए कामों का शुभ फल ही नहीं देते. बल्कि, मुहूर्तो के बीच पैदा होने वालें लोगों का जीवन भी इससे काफी प्रभावित होता है. खासतौर में देखा जाता है कि शुभ मुहूर्त में पैदा हुए जातक अपनी कामयाबियों से शिखर पर पहुंचता है. जबकि, अशुभ मुहूर्त में पैदा होने वाला जातक जीवन में कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ता है.
ज्योतिष शास्त्र में 9 शुभ मुहूर्त हैं इस प्रकार?
- अभिजीत मुहूर्त जिसमें सभी मुहूर्तों में अभिजित मुहूर्त शुभ और फायदेमंद माना गया है. इस मुहूर्त में हर दिन दोपहर से लगभग 24 मिनट पहले शुरू होकर ये दोपहर के अगले 24 मिनट बाद खत्म हो जाता है.
- मान्यताओं के अनुसार, चौघड़िया मुहूर्त का खास महत्व माना गया हैं. अगर, किसी शुभ काम के लिए कोई शुभ मुहूर्त न मिले तो ऐसे में चौघड़िया मुहूर्त में उस काम को किया जा सकता है.
- यदि किसी जातक को कोई शुभ काम करना काफी जरूरी है तो ऐसे में अगर शुभ मुहूर्त का अभाव चल रहा हो तो ज्योतिष में होरा चक्र का इंतजाम किया गया है.
- लग्न तालिका-विवाह मुहूर्त, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश मुहूर्त जैसे सभी शुभ कामों के मुहूर्त के लिए शुभ लग्न तालिका देखा जाता है.
- गौरी शंकर पंचांगम को नल्ला नेरम के नाम से भी जाना जाता है. इसमें बताया गया है कि ये शुभ समय होता है. इसके अलावा ये मुहूर्त बेहतर और आपके लिए लाभदायक होता है.
- पुष्य नक्षत्र का संयोग बनता है तो उसे गुरु पुष्य योग के नाम से जाना जाता है. चूंकि,गुरु पुष्य योग सभी योगों में प्रधान है. ऐसे में इस योग में किए गए सारे कामों को शुभ माना जाता है.इस योग में शुभ कामों को शुरू करने के लिए बेहतर माना गया है.
- अमृत शुभ मुहूर्त के योग में किए गए सभी काम पूरे होते हैं. ऐसे में इस योग को पहले स्थान पर रखा जाता है.
- जबकि, सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में कहा जाता है कि इस योग में सभी तरह के मनोकामनाओं का पूरा करने वाला शुभ योग कहलाता है. इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को किया जा सकता है.
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