द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: आज कब और किस विधि से पूजा करने पर बरसेगा गणपति का आशीर्वाद
Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023: भगवान गणेश की कृपा बरसाने वाली द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर किस विधि से व्रत एवं पूजा करें और क्या है उनकी पूजा का महाउपाय, इसे जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन सभी संकटों को दूर करने वाले विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है. फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी पर गणपति के छठे स्वरूप यानि जप्रिय गणेश की पूजा की जाती है. सनातन परंपरा में घर की सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण उपाय और नियम बताए गए हैं, जिनकी अनदेखी करने पर भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए आज द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और उपाय जानते हैं.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी प्रारंभ – 09 फरवरी 2023, बृहस्पतिवार प्रात:काल 06:23 बजे
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी समापन – 10 फरवरी 2023, शुक्रवार प्रात:काल 07:58 बजे
चंद्रोदय समय – 09 फरवरी 2023, रात्रि 09:18 बजे
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
- द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले उठें और तन-मन से पवित्र होकर पूजा प्रारंभ करें.
- गणपति की पूजा शुरू करने से पहले व्रत को विधिपूर्वक करने का संकल्प लें.
- पूजा करने के लिए घर की उत्तर दिशा में पहले एक चौकी स्थापित करें फिर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं.
- गणपति को चौकी पर बिठाने के बाद उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं और दूर्वा, फूल, रोली, चंदन, अक्षत, पान, सुपाड़ी आदि अर्पित करें.
- भगवान गणेश की पूजा में उनका प्रिय मोदक या फिर मोतीचूर का लड्डू जरूर चढ़ाएं.
- भगवान गणेश की साधना में गणपति अथर्वशीर्ष अथवा गणेश चालीसा का पाठ करें.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के उपाय
- भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा का इस्तेमाल करना बहुत शुभ माना जाता है. बगैर दूर्वा के गणपति की पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर गणपति की कृपा बरसती है और साधक के सभी कष्ट दूरो होते हैं.
- यदि आपके पास भगवान गणेश की न तो मूर्ति न हो और न ही उनकी तस्वीर तो ऐसे में पूजा वाली सुपाड़ी पर रोली बांध करके आप उसे गणपति के रूप में पूज सकते हैं। मान्यता है कि सुपाड़ी के बने गणपति की पूजा करने पर मूर्ति की पूजा करने के समान ही फल मिलता है.
- भगवान गणेश को जल्दी प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में अक्षत का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले अक्षत टूटे न हों. मान्यता है कि बिना अक्षत गणपति पूजा अधूरी मानी जाती है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)