Pakistan के खिलाफ बलूचिस्तान में चल रहा बड़ा खेल? अपहरण, हत्या और महंगाई के बीच तेज हो रही विद्रोह की आग

Pakistan के खिलाफ बलूचिस्तान में चल रहा बड़ा खेल? अपहरण, हत्या और महंगाई के बीच तेज हो रही विद्रोह की आग

पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक, मेजर जनरल अहमद शरीफ ने कहा कि अकेले 2023 में बलूचिस्तान में 80 लोग मारे गए थे.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए भारत में हैं. ऐसे में यहां कश्मीर में कथित ज्यादतियों के मुद्दे को उठाने से पहले, पाकिस्तान को खुद का आंकलन करना चाहिए और अपने उन कारनामों पर नजर डालनी चाहिए जो बलूचिस्तान में वह दुनिया की आंखों से छिपाना चाहता है.

जाहिर है, पाकिस्तान अशांत प्रांत से पत्रकारों को सच्चाई सामने लाने से रोकना चाहता है. जब न्यूज9 प्लस की डॉक्यूमेंट्री-सीरीज़ ‘बलूचिस्तान: बांग्लादेश 2.0’ ने क्षेत्र में मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर किया, तो पाकिस्तान ने ट्विटर से डॉक्यूमेंट्री को हटाने और हमारे ट्विटर अकाउंट को डी-प्लेटफ़ॉर्म करने के लिए कहा. हालांकि, माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ने पत्रकारिता की अभिव्यक्ति को बरकरार रखा और उसकी बात को नकार दिया.

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विफलताओं को छिपाना पाकिस्तान की मजबूरी

पूर्व भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने कहा शासन की विफलताओं को छिपाना पाकिस्तान की मजबूरी है. दूसरे, उन्हें लगता है कि बलूचिस्तान में पत्रकारों को प्रतिबंधित करके, वहां जो कुछ भी हो रहा है, उसकी सच्चाई को दबा सकते हैं.

लोगों में विद्रोह की भावनाएं भड़कीं

कोयला, तांबा और प्राकृतिक गैस जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षमता और प्राकृतिक संसाधनों वाले प्रांत बलूचिस्तान को कई प्रमुख शासन विफलताओं का सामना करना पड़ा है. यहां से संसाधनों को लिया तो गया लेकिन उसका लाभ इस क्षेत्र को वापस नहीं किया गया है, जिससे यहां के लोगों में भेदभाव और विद्रोह की भावनाएं भड़क उठी हैं. बलूच लोगों के पास पारंपरिक युद्ध में जीतने के लिए संसाधनों की कमी है. इसके बावजूद, वहां के लोग अपनी जमीन, अपने जीवन और अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.

बलूचिस्तान में 80 लोगों की मौत

25 अप्रैल को इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद पर पत्रकारों से बात करते हुए, पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक, मेजर जनरल अहमद शरीफ ने कहा कि अकेले 2023 में बलूचिस्तान में 80 लोग मारे गए थे. अन्य प्रांतों की तुलना में हताहतों की संख्या पंजाब (14) और सिंध (7) की तुलना में बहुत अधिक है.

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4,100 खुफिया ऑपरेशन

इसके अलावा, 2023 में पाकिस्तान के सुरक्षा बलों द्वारा किए गए 8,269 खुफिया ऑपरेशनों में से 4,100 बलूचिस्तान में किए गए थे. यह सभी चार पाकिस्तानी प्रांतों में सबसे ज्यादा है. उनके पास भोजन, पैसा या गोला-बारूद भले न हो, लेकिन बलूचिस्तान के लोगों ने पाकिस्तानी बलों के उत्पीड़न और भेदभाव के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है.

इस्लामाबाद के एजेंडे का खुलासा

पत्रकार फ्रांसेस्का मैरिनो ने क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचने के लिए इस्लामाबाद के एजेंडे का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि बलूचिस्तान व्यावहारिक रूप से सील है. इस्लामाबाद नहीं चाहता कि वो जो करें वह सामने आए. उन्होंने 1998 में बलूचिस्तान में परमाणु परीक्षण किया था. लोग पीड़ित हैं क्योंकि उन्होंने वहां के लोगों को पहले से सूचित करने की जहमत भी नहीं उठाई.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विस्तार

वहीं पत्रकार ताहा सिद्दीकी ने न्यूज़9 प्लस को बताया कि मुझे इस क्षेत्र से स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट करने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बहुत सारी धमकियां मिलीं, सेना से बहुत उत्पीड़न हुआ. पिछले कुछ वर्षों में, बलूचिस्तान न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन द्वारा भी एक सैन्य कब्जे वाला क्षेत्र बन गया है. वह इस क्षेत्र को चीनी उपनिवेश में बदल रहा है, क्योंकि बीजिंग अपने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में निवेश का विस्तार करना जारी रखे हुए है, जो इस प्रांत से होकर गुजरता है.

विरोध को दबाने के लिए प्रायोजित हिंसा

दरअसल विरोध को दबाने के लिए दशकों से चली आ रही प्रायोजित हिंसा ने लोगों के गुस्से को और हवा दी है. क्षेत्र में चल रहे नरसंहार के बारे में बात करते हुए मेरिनो कहते हैं कि महिलाओं और बच्चों को भी निशाना बनाया जा रहा है. नागरिकों के विरोध से निपटने के लिए जबरन गुमशुदगी और हत्याएं एक सामान्य तरीका बन गया है.

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हजारों आम बलूच लोग गायब

इस डॉक्यू-सीरीज़ के लिए News9 Plus ने कई बलूच नेताओं और प्रमुख कार्यकर्ताओं से बात की, जो निर्वासित हैं. कार्यकर्ताओं ने कहा कि हजारों आम बलूच लोग गायब हो गए हैं. पाकिस्तान द्वारा मुद्दों को हल करने से इनकार करना इस बात को दर्शाता है कि उसे बलूचिस्तान के लोगों की परवाह नहीं है. रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय, एक समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहा है.

बांग्लादेश के रास्ते पर बलूचिस्तान

इस बीच, मौजूदा सरकार ने आसमान छूती कीमतों और घटती सब्सिडी के कारण आम आदमी के साथ जीवन को दयनीय बना दिया है. पाकिस्तान को लगातार आर्थिक समर्थन देने वाला एकमात्र देश चीन रहा है. बलूचिस्तान के भविष्य के बारे में अनिश्चितता के साथ, कुछ भू-राजनीतिक विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि यह पूर्वी पाकिस्तान का जिक्र करते हुए बांग्लादेश के रास्ते जा सकता है, जो 1971 में एक स्वतंत्र देश बन गया था. इंडिया फाउंडेशन के निदेशक आलोक बंसल कहते हैं कि पाकिस्तान से बलूच का अलगाव तय है.