तालिबान से कब तक बचेगा पाकिस्तान? PTI की आड़ में कहीं TTP तो नहीं कर रहा हमले
अब पाकिस्तान की हालत देखकर लग रहा है जैसे देश गृह युद्ध की तरफ आगे बढ़ता जा रहा है. टीटीपी भी मौके को भुनाने की पूरी कोशिश कर रहा है. शहबाज सरकार पीटीआई से लड़े या फिर टीटीपी से. क्योंकि बिलावट भुट्टों ने कहा है कि आर्मी हेडक्वार्टर पर हमला करने के पीछे टीटीपी भी है.
पाकिस्तान जल रहा है. आग की लपटें आसमान छू रही हैं. पहले आर्थिक मार और अब राजनीतिक हालात बद से बदतर. हालांकि इसका अंदेशा पहले से ही था. इमरान खान को जब सत्ता से बर्खास्त किया गया उसके बाद से ही यहां पर राजनीतिक उठापटक मची हुई है. इमरान खान को मंगलवार दोपहर गिरफ्तार किया गया. इसके बाद से ही वहां हिंसा हो रही है. पीटीआई समर्थक आगजनी कर रहे हैं. हालात बेकाबू हैं.
यूं तो सुलगते पाकिस्तान की तस्वीर पहले भी चुकी हैं. लेकिन इस बार रावलपिंडी में सेना हेडक्वार्टर पर हमला हुआ. मियावाली एयरबेस पर भी अटैक हुआ. एक जहाज में आग लगा दी गई. ऐसा सीन पहले नहीं देखा गया. पाकिस्तान के बिलावल भुट्टो ने पीटीआई समर्थकों से अपील की अब और स्थिति न खराब करें. उन्होंने कहा कि हिंसक प्रदर्शन बंद करो. भुट्टो की जुबान पर तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का भी जिक्र आया. सवाल ये है कि आखिरकार पाकिस्तान के भीतर पीटीआई समर्थकों के हिंसक प्रदर्शनों के बीच तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का जिक्र क्यों हुआ?
टीटीपी ने बुरी तरह किया प्रभावित
तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ऐसा संगठन है जिसने हाल के कुछ महीनों में पाकिस्तान को बुरी तरह प्रभावित किया है. कई जगह विस्फोट, आर्मी कैंप पर हमला, पुलिस स्टेशनों पर हमला. बिलावल भुट्टों ने कहा कि आर्मी हेडक्वार्टर पर हमला करने वाले पीटीआई समर्थक के साथ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकियों ने हमला किया. अफगानिस्तान में जब तालिबान सरकार बनी तो पाकिस्तान बेहद खुश था. इसने खूब मदद भी की. अब रिश्ते तनावपूर्ण है.
तेजी से बढ़ रही है टीटीपी की ताकत
बीते 15 सालों में ये आतंकी संगठन बहुत तेजी से बढ़ा है. कहा जाता है कि इमरान खान की पार्टी इनको समर्थन करती है. टीटीपी की जड़े सबसे ज्यादा खैबर पख्तुनख़्वा और बलूचिस्तान इलाके पर फैली हुई हैं. यहां पर टीटीपी का प्रभाव काफी ज्यादा है. इस संगठन ने पाकिस्तान के खिलाफ सीजफायर खत्म कर दिया है. इसके बाद से ही हमले तेज हो गए हैं. अब ये लग रहा है कि पीटीआई समर्थकों की आड़ में कहीं इसके आतंकी भी तो सक्रिय नहीं हो गए. अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की स्थिति और भी ज्यादा दुर्लभ हो जाएगा.
पाकिस्तान में उठ रही आवाजें
इसी साल जनवरी में पाकिस्तान पीएम की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी. इस बैठक का नाम था NSC (National Security Counsil). ये मीटिंग खत्म होने के बाद डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ मीडिया के सामने आए. उन्होंने कुछ बातें साझा कीं. वो कहते हैं कि अफगानिस्तान की सरज़मी का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ किया जा रहा है.
पाकिस्तान के एक और बड़बोले मिनिस्टर तालिबान को धमकी देते हुए कहते हैं कि हम अफगानिस्तान में घुसकर टीटीपी को खत्म करेंगे. इसके बाद तालिबान प्रवक्ता ने धमकी देते हुए कहा था कि पाकिस्तान किसी मुगालते में न रहे अगर ऐसा सोचा भी तो परिणाम गंभीर होंगे. ख्वाजा आसिफ कहते हैं कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान आतंकी संगठन के आका अफगानिस्तान में बैठे हुए हैं. वहीं से ये पूरा मिशन चलाते हैं.
टीटीपी लगातार कर रहा हमले
अब समस्या ये है कि टीटीपी पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा नासूर बन गया है. इसकी जड़े धीरे-धीरे पूरे पाकिस्तान पर तेजी से फैलती जा रही हैं. अगर बिलावल भुट्टों की बात सही हुई तो पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी शुरू हो गई है. देश को टूटने से बचाना होगा. लेकिन सवाल फिर वही है कि आखिरकार सरकार और सेना ये काम कैसे करेगी और कब तक बचेगी. टीटीपी फ्रंट में आकर सरकार को चेतावनी दे रहा है. आंकड़ों पर जरा गौर कीजिए. पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज ने जानकारी देते हुए बताया कि 2021 में टीटीपी ने पाकिस्तान में 282 अटैक किए. इसमें 500 से ज्यादा सिक्योरिटी फोर्सेस की मौत हुई थी. 2022 में तो अकेले जनवरी भर में 42 अटैक हुए थे.
पाकिस्तान की राह मुश्किल
पाकिस्तान की मुश्किलें कई हैं. देश अब ऐसे मुहाने पर आकर खड़ा है जहां से उसकी वापसी मुश्किल लग रही है. टीटीपी भी इस मौके को या तो भुना रहा होगा या तो पूरी कोशिश में होगा कि कैसे भुनाया जाए. पाकिस्तान इस चुनौती से कैसे निपटेगा ये बेहद मुश्किल सवाल है. क्योंकि सेना तो कई बार ऑपरेशन कर चुकी मगर टीटीपी का कुछ बिगड़ा नहीं.बल्कि उसकी जड़े और मजबूत होती जा रही हैं.