15 दिन में शिंदे और पवार की दो बार मुलाकात, क्या है अंदर की बात?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और एनसीपी (पवार) के सुप्रीमो शरद पवारस के बीच बीते 15 दिनों के अंदर दो बार मुलाकात चर्चा का केंद्र बनी हुई है. दोनों नेता मुलाकात का कारण समसामयिक मुद्दे बता रहे हैं, लेकिन चर्चा है कि दोनों की मुलाकात सियासी है. पवार से मुलाकात के जरिए एकनाथ शिंदे, बीजेपी को क्या मैसेज देना चाहते हैं?
महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों पेंडुलम की तरह घूम रही है. कभी किसी गठबंधन की टेंशन बढ़ जा रही है, तो कभी किसी की. हाल में ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और एनसीपी (पवार) के सुप्रीमो शरद पवार की मुलाकात ने कयासबाजी का दौर शुरू कर दिया. हालांकि दोनों नेताओं ने मुलाकात के पीछे की वजह कुछ और बताई जरूर है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में कब कौन-सी मुलाकात किस पर भारी पड़ जाए… यह अंदाजा लगाना मुश्किल है.
शिवसेना प्रमुख और सीएम एकनाथ शिंदे ने पिछले 15 दिनों में शरद पवार से दो बार मुलाकात की है, जबकि इससे पहले वह एनसीपी पर कई तरह के आरोप लगा चुके थे, लेकिन अचानक ही शरद पवार और शिंदे की मुलाकात सबको चौंका रही है. इस मुलाकात से लगता है कि शिंदे राज्य के भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी भूमिका को और अधिक महत्वपूर्ण बनाने की दिशा में खुद को स्थापित कर रहे हैं. ज़ाहिर है कि बीजेपी को भी इसका आकलन है.
बीजेपी हमलावर तो शिंदे क्यों मेहरबान?
एक ओर जहां बीजेपी के सारे नेता शरद पवार पर हमलावर हैं… तो दूसरी तरफ सीएम एकनाथ शिंदे, शरद पवार से मुलाकात कर रहे हैं. खास बात है कि एकनाथ शिंदे ने अपने डिप्टी सीएम अजित पवार से दूरी भी बना ली है. साथ ही शिंदे ही सरकार के बड़े फैसलों का ऐलान खुद करके पूरा क्रेडिट भी अपने पास रखने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं. ऐसे में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े से पिछड़ी बीजेपी को शिंदे पॉलीटिक्स ने बैकफुट पर ला दिया है.
क्या एकनाथ शिंदे बनेंगे नीतीश कुमार?
राजनीति वक्त का खेल है… और वक्त कभी भी गठबंधन धर्म, दोस्ती-दुश्मनी और सिद्धांतों की परवाह नहीं करती. बीजेपी भी ऐसी राजनीतिक अवसरवादिता से अपरिचित तो नहीं है. बिहार में अपने सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) का साथ और अलगाव का अनुभव बीजेपी को है. कम से कम चार ऐसे मौके आए हैं जब नीतीश कुमार ने पाला बदल कर सत्ता हासिल की. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में इसी राह पर चल सकते हैं?
उद्धव ठाकरे से अलग होकर एकनाथ शिंदे सीएम बने, जबकि उनके पास सिर्फ 38 विधायक हैं. वहीं डिप्टी सीएम का पद बीजेपी के पास है, जिसके 102 विधायक हैं. महायुति सरकार की एक और सहयोगी पार्टी एनसीपी के पास 40 विधायक हैं. एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार को भी डिप्टी सीएम पद ही मिल पाया. ऐसे में शिंदे पर हमेशा ही सीएम की कुर्सी छोड़ने का प्रेशर बना रहता है. इस प्रेशर को दूर करने के लिए लगता है कि शिंदे ने नीतीश कुमार का रास्ता अपना लिया है.
शिंदे-पवार की मुलाकातें और अटकलें
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की हाल ही में शरद पवार के साथ अपने आधिकारिक निवास वर्षा बंगले पर हुई मुलाकातों ने इन अटकलों को और हवा दी है. सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच चर्चा का केंद्र विवादास्पद मराठा आरक्षण मुद्दा था. ग़ौर करने वाली बात यह है कि शिंदे और पवार के बीच पखवाड़े के भीतर यह दूसरी बैठक थी. राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिंदे शायद बिहार के नीतीश कुमार की तरह एक रणनीति अपना रहे हैं.
राजनीति विश्लेषकों का माना है कि जैसे नीतीश ने बीजेपी नेताओं को किनारे कर अपनी सत्ता को मजबूत किया था, वैसे अब एकनाथ शिंदे की पवार से मुलाकातें, देवेंद्र फडणवीस को असंतुलित करने और संभावित रूप से राज्य में भाजपा के प्रभाव को सीमित करने के प्रयास के रूप में हो सकती हैं. खासतौर पर लोकसभा चुनाव में एमवीए को प्रदर्शन ने महायुति में एकनाथ शिंदे की अगुवाई शिवसेना की ताकत को और बढ़ा दिया है. शिवसेना के पास 8 लोकसभा सांसद हैं.