केजरीवाल- भगवंत मान का एक दिन का मुंबई दौरा, मातोश्री में उद्धव से मुलाकात, 2024 की रणनीति पर बात?

केजरीवाल- भगवंत मान का एक दिन का मुंबई दौरा, मातोश्री में उद्धव से मुलाकात, 2024 की रणनीति पर बात?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान एक दिन के मुंबई दौरे पर हैं. साल 2024 के चुनाव को लेकर दोनों की उद्धव ठाकरे से एक अहम मीटिंग है.

मुंबई: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान एक दिन के मुंबई दौरे पर हैं. मातोश्री बंगले में उद्धव ठाकरे से मुलाकात हो रही है. मार्च महीने में उद्धव ठाकरे ने सभी विपक्षी दलों की मुंबई में एक बड़ी मीटिंग बुलाई है. इसी पार्श्वभूमि में यह मीटिंग हो रही है. यह मुलाकात पूरी तरह से राजनीतिक मकसद को लेकर की जा रही है. इस मुलाकात में साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की रणनीति पर विचार होने की बात कही जा रही है.

केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना का नाम और निशान एकनाथ शिंदे के हाथ दिए जाने के बाद से उद्धव ठाकरे पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ बेहद आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने इस घटना के बाद शिवसैनिकों को संबोधित करते हुए कहा था कि केंद्रीय एजेंसियां केंद्र सरकार के गुलामों की तरह व्यवहार कर रही हैं. 2024 का चुनाव आखिरी चुनाव होने वाला है. अगर इस चुनाव में विपक्ष ने मौका गंवा दिया तो फिर कभी चुनाव नहीं होगा. देश में तानाशाही आ जाएगी.

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कांग्रेस के साथ या कांग्रेस के बाद…विपक्षी एकता पर क्या हो रही है बात?

विपक्षी खेमे में भी दो खेमा है. एक तरफ शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे लोग कांग्रेस के बिना बीजेपी को हराना एक नामुमकिन सा सपना समझते हैं तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी और के चंद्रशेखर राव जैसे लोग कांग्रेस के बिना ही विपक्षी गठबंधन का भविष्य सामने रखते हैं. इस बीच अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान क्या रुख रखते हैं? क्या ये दोनों 2024 के चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनेंगे. या बीजेपी के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन से भी दूरी मेनटेन करके ही चलेंगे? इन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं.

क्या हैं उद्धव ठाकरे से केजरीवाल और मान की मुलाकात के मायने?

ऐसे में उद्धव ठाकरे ने यह साफ कर दिया था कि वे मार्च महीने में देश भर की विपक्षी पार्टियों को मुंबई बुलाएंगे और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की रणनीति पपर गंभीरत से काम करेंगे. पर सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने क्या अभी से यह तय कर लिया है कि वे मार्च में होने वाली मीटिंग में शामिल नहीं होंगे? यह बात सच है कि अरविंद केजरीवाल बीजेपी का विरोध करने वाले एक प्रखर और मुखर नेता हैं, लेकिन यह भी बात सही है कि जब भी विपक्षी गठबंधन की बात होती है तो कांग्रेस के अलावा ममता बनर्जी का नाम नेतृत्व के तौर पर गूंजता है, शरद पवार का नाम गूंजता है, नीतिश कुमार, उद्धव और अखिलेश का नाम गूंजता है लेकिन विपक्ष की ओर से कभी अरविंद केजरीवाल के नाम पर बात नहीं होती.

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केजरीवाल बनाते रहे अलग खिचड़ी, गोवा हो या गुजरात, उनकी रही यही रणनीति

केजरीवाल की आप मुख्यधारा से अलग एक अकेले द्वीप की तरह खड़े दिखाई देते हैं. आम आदमी पार्टी के पास वैसे भी दो छोटे-छोटे राज्य हैं और लोकतंत्र नंबर का गेम है. लेकिन केजरीवाल को ऐसा लगता है कि वे इन सब लोगों से ज्यादा बेहतर तरीके से राज्य का शासन चला कर दिखा चुके हैं और देश का भी चला सकते हैं. इसलिए वे विपक्षी गठबंधन की पॉलिटिक्स से दूरी बनाए रखते हैं. चाहे गोवा का चुनाव हो या गुजरात का, हर जगह के चुनावों में केजरीवाल ने यही दिखाया है कि आम आदमी पार्टी सबसे अलग है. इस पार्टी में ना कांग्रेस बनने की ललक है और ना ही विपक्षी गठबंधन के ‘भानुमति का कुनबा’ में हिस्सेदारी की ललक है. आम आदमी पार्टी दोनों से ही अलग एक बेहतर विकल्प है. मतदाताओं को यही समझाने की केजरीवाल की अब तक की पॉलिसी रही है.

इसी पार्श्वभूमि पर उद्धव ठाकरे से अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की मीटिंग हो रही है. देखना यह है कि क्या उद्धव ठाकरे केजरीवाल और मान को विपक्षी एकता के नाम पर साथ ला पाते हैं, या केजरीवाल आगे भी सबसे अलग-थलग ही खिचड़ी पकाते हैं. बहुत कुछ अंदाजा उद्धव के साथ शुक्रवार की शाम को 7 बजे की मीटिंग में क्लियर हो जाएगा.