महाकुंभ के बाद स्किन डिजीज के कितने महाकुंभ के बाद स्किन डिजीज के कितने मामले? क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठकमामले? क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक

महाकुंभ के बाद स्किन डिजीज के कितने महाकुंभ के बाद स्किन डिजीज के कितने मामले? क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठकमामले? क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक

ब्रजेश पाठक ने कहा कि महाकुंभ में हमने देखा 90 वर्ष की सास को उसकी बहू कंधे पर उठाकर ले जा रही है. किसी अन्य समाज या संस्कृति में यह असंभव है. महाकुंभ में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से लोग आए, देश ही नहीं दुनिया के हर कोने से लोग आए.

उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य महकमा संभाल रहे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को कहा कि महाकुंभ स्नान के बाद त्वचा (स्किन) रोग का कोई मामला सामने नहीं आया है. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने यहां एक न्यास द्वारा आयोजित दो दिवसीय विचार महाकुंभ का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही.

उन्होंने संगम के पानी की शुद्धता को लेकर विपक्षी नेताओं द्वारा उठाई गई चिंताओं का जिक्र किया. दरअसल विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि संगम में स्नान करने के बाद कई तीर्थ यात्री बीमार पड़ गए.

कुंभ के दौरान साफ-सफाई की तारीफ

यहां जारी एक बयान के अनुसार ब्रजेश पाठक ने कुंभ के दौरान की गई साफ-सफाई की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘तीर्थयात्रियों की भारी संख्या के बावजूद, त्वचा रोग का कोई मामला सामने नहीं आया. उन्होंने गंगा की शुद्धता और कार्यक्रम के दौरान लागू किए गए स्वच्छता उपायों की सफलता पर जोर दिया.

सनातन और भारतीय संस्कृति पर हमला

ब्रजेश पाठक ने कहा कि सनातन और भारतीय संस्कृति पर आज से हमले नहीं हो रहे हैं, तरह-तरह के आक्रमण सदियों से हो रहे हैं. हमारे वेद, पुराणों, श्रुतियों और स्मृतियों पर कुठाराघात किया गया. उन्होंने कहा कि तक्षशिला और नालंदा जैसे शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्रों पर हमला किया गया, उन्हें नष्ट किया गया.

मुगल और अंग्रेजों ने इसे नष्ट करने के लिए क्या जतन नहीं किए लेकिन हमारी संस्कृति अक्षुण्ण रही और वह दुनिया को मार्ग दिखती रही. हमारी संस्कृति में मनुष्य श्रेष्ठ है, जीव जंतु और वृक्ष भी हमारे परिवार का हिस्सा हैं. सारी सृष्टि हमारा परिवार है. यह सनातन के मूल में है.

दुनिया के हर कोने से लोग आए लोग

ब्रजेश पाठक ने कहा कि महाकुंभ में हमने देखा 90 वर्ष की सास को उसकी बहू कंधे पर उठाकर ले जा रही है. किसी अन्य समाज या संस्कृति में यह असंभव है. महाकुंभ में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से लोग आए, देश ही नहीं दुनिया के हर कोने से लोग आए. उन्होंने कहा कि यह वैश्विक उत्सव भारत और भारतीयता का परिचायक बना है. 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में आमूल चूल परिवर्तन आया है. आज हम गर्व से कहने लगे हैं कि हम भारतीय हैं. प्रयागराज में 13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी को खत्म हुआ.