‘पापा के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, कतर और दुबई से आ रहे कॉल…’ मुख्तार के बेटे उमर का छलका दर्द

‘पापा के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, कतर और दुबई से आ रहे कॉल…’ मुख्तार के बेटे उमर का छलका दर्द

पिता मुख्तार अंसारी की कब्र पर पहुंचा उनका छोटा बेटा उमर भावुक हो उठा. कहा कि मेरे पिता गरीबों के रहनुमा थे. हमेशा उनकी मदद करते थे. मैं भी अब उनकी ही तरह गरीबों की मदद करूंगा. पापा की मौत के बाद आम जनता के साथ-साथ अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई, कतर, मॉरिशस और सिंगापुर से भी फोन आ रहे हैं. उमर ने कहा कि सभी मेरे पापा की आत्मा की शांति के लिए दुआ कर रहे हैं.

गाजीपुर में माफिया मुख्तार की मौत के आठ दिन बाद उनकी कब्र पर छोटा बेटा उमर अंसारी पहुंचा. साथ में गाजीपुर के सपा विधायक जय किशन साहू और चंदौली के सकलडीहा से सपा विधायक प्रभुनारायण यादव उसके साथ कालीबाग स्थित कब्रिस्तान पहुंचे. उन्होंने उमर और उसके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं. कब्र पर पहुंचते ही उमर भावुक हो उठा. कहा कि पापा गरीबों के रहनुमा थे. उनके लिए कभी वो ढाल बनकर खड़े रहे तो कभी तलवार बनकर लड़े. आम जनता के साथ-साथ अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई, कतर, मॉरिशस और सिंगापुर से भी वीडियो कॉल और फोन आ रहे हैं. सभी को पापा के इस तरह चले जाने का दुख है. वे उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ कर रहे हैं.

इसी के साथ उमर ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया. कहा कि पापा बिल्कुल फिट थे, अचानक खाना खाकर बीमार हुए और हार्टअटैक से उनकी मौत हो गई. ऐसे कैसे हो सकता है? उमर ने कहा कि जेल में जब पिता बेहोश होकर गिर गए तो उनको बांदा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती करवाया गया. कोई आईसीयू में स्वस्थ भी हो जाता है तो उसे ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. लेकिन मेरे पापा को सीधे जेल गए. ये स्वाभाविक मौत नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है.

उमर अंसारी ने कहा कि 28 मार्च को उनके इंतकाल से तीन घंटे पहले ही मेरी उनसे बात हुई थी. उन्होंने मुझे पहले भी बताया था कि उन्हें धीमा जहर देकर मारने की कोशिश की जा रही है. उमर का आरोप है कि उनके बड़े भाई अब्बास को पिता की अंतिम विदाई तक में नहीं आने दिया गया. ये तो अन्याय है. एक बेटे को पिता से आखिरी बार मिलने का मौका जरूर देना चाहिए थे. लेकिन उम्मीद है कि चालीसवां से पहले अब्बास जरूर आएंगे.

‘पापा की तरह गरीबों की मदद करूंगा’ इसके आगे उमर ने रुआंसे स्वर में कहा कि मेरे पिता गरीबों की हमेशा मदद करते थे. यही कारण है कि उनकी कब्र के दीदार के लिए दूर-दूर से जनता आ रही है. उमर ने कहा, ”मेरे पिता को कोई कुछ भी कहे, लेकिन वे गरीबों के रहनुमा थे. वे कभी उनके लिए ढाल बनकर खड़े रहे तो कभी तलवार बनकर लड़े. वे गरीबों के हक की लड़ाई लड़ते थे. यही मैं भी करूंगा. उनकी मदद करता रहूंगा जैसे मेरे पापा करते थे.

‘मां अफशां के वकील से हुई बात’ उमर ने अपनी फरार मां अफशां अंसारी के बारे में कहा कि मेरी कल ही उनके वकील से बात हुई है. हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही मेरी मां को रेमेडी मिलेगी. कानूनी रूप से हम अपनी लड़ाई को बरकरार रखेंगे.