क्या होगा यूपी मदरसा एक्ट का भविष्य… सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
यूपी मदरसा एक्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर सुनवाई चल रही है. वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देनी शुरू दी हैं. उन्होंने छात्रों की संख्या का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई है.
यूपी मदरसा एक्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. यूपी मदरसों को सरकार से पैसे मिलने वाला कानून रहेगा या नहीं, इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच में सुनवाई चल रही है. वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देनी शुरू दी हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों की संख्या करीब 17 लाख है. हाईकोर्ट ने पहले यथास्थिति रखी. मगर बाद में असंवैधानिक करार दे दिया. हाईकोर्ट का कारण कितना अजीब है.
सिंघवी ने कहा कि यूपी सरकार के आदेश पर विज्ञान, हिंदी और गणित समेत सभी विषय पढ़ाए जा रहे हैं. बावजूद इसके उनके खिलाफ कदम उठाया जा रहा है. यह 120 साल पुरानी संहिता (1908 का मूल कोड) की स्थिति है. 1987 के नियम अभी भी लागू होते हैं.
उन्होंने कहा कि 30 मई, 2018 में सरकार ने एक आदेश जारी किया था. इसमें मदरसा में विभिन्न विषयों को पढ़ाने के लिए नियम थे. ताकि मदरसा भी मौजूदा स्कूलों के समान शिक्षा दे सकें. मदरसों में पाठ्यक्रम (Syllabus) भी अन्य स्कूलों के समान है. बावजूद इसके हाईकोर्ट द्वारा सुनाया गया फैसला हैरान करता है.