लिफ्ट हादसों पर लगेगी लगाम! 10 लाख से बड़ी आबादी को मिला ‘सुरक्षा कवच’
उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू होने का बड़ा फायदा नोएडा ग्रेटर नोएडा को होने वाला है. यहां करीब 500 सोसायटीज में करीब 10 हजार से अधिक लिफ्ट हैं. करीब 10 लाख से भी अधिक आबादी इन लिफ्ट पर आश्रित हैं, लेकिन आए दिन यहां लिफ्ट फंसने की शिकायतें भी आती है. अब लिफ्ट एक्ट लागू होने के बाद बिल्डर की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हो जाएगी.
उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू होने के बाद नोएडा के बहुमंजिली इमारतों में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत मिली है. आए दिन लिफ्ट फंसने की समस्या से परेशान ऐसी करीब दस लाख से भी अधिक आबादी को इस एक्ट के रूप में अब सुरक्षा कवच मिल गया है. दरअसल अब कहीं भी लिफ्ट फंसी या कोई तकनीकी दिक्कत आई तो इसके लिए पूरी जिम्मेदारी संबंधित बिल्डर या भवन मालिक की होगी. उम्मीद है कि इस एक्ट के डर से बिल्डर या भवन मालिक समय समय से लिफ्ट का रखरखाव करेंगे.
गौरतलब है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा में इस समय 500 से अधिक सोसायटीज हैं. इन सोसायटीज में 10 हजार से अधिक लिफ्ट लगी हैं. इनमें रोज कहीं ना कहीं लिफ्ट में तकनीकी दिक्कत आती ही रहती है. बड़ी बात यह कि अब तक शिकायत करने पर भी बिल्डर जल्दी सुनवाई नहीं करते थे. वहीं अब, लिफ्ट एक्ट लागू होने के बाद उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही हो गई है. नई व्यवस्था के तहत चाहे निजी हो या सार्वजनिक परिसर, कहीं भी यदि लिफ्ट या एस्कलेटर पहले से लगा है तो 30 महीने और नए लिफ्ट का छह महीने के अंदर पंजीकरण कराना होगा.
लिफ्ट में घुसते ही होगा बीमा कवर
शनिवार को उत्तर प्रदेश में लागू हुए इस नए कानून के मुताबिक लिफ्ट में घुसते ही लोग एक निर्धारित बीमा राशि से कवर हो जाएंगे. यदि लिफ्ट में सवाल व्यक्ति के साथ दुर्घटना होती है तो वह या उनके परिजन बीमा राशि क्लेम करेंगे और संबंधित अथारिटी को उन्हें मुआवजा देना होगा. यह मुआवजा राशि सरकार तय करेगी. यदि बिल्डर या भवन मालिक मुआवजा देने में आनाकानी करेगा तो संबंधित डीएम की जिम्मेदारी होगी कि वह आरसी जारी कर उक्त राशि की वसूली करे. नए कानून में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी लिफ्ट एवं एस्कलेटर हो, उसमें आटो रेस्क्यू डिवाइस होना अनिवार्य है.
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हर साल रीन्यू होगा कांट्रैक्ट
लिफ्ट मालिक को हर साल लिफ्ट के रखरखाव का कांट्रेक्ट रीन्यू होगा. उसे सुनिश्चित करना होगा कि साल में कम से 8 बार लिफ्ट की सर्विसिंग हो और कम से कम दो बार मॉक ड्रिल हो. लिफ्ट मालिक को हर साल एएमसी यानी वार्षिक सर्विसिंग की डिटेल निर्धारित कार्यालय में देनी होगी. इसके अलावा उन्हें अपना एक फिटनेस बुक भी रखना होगा. इसमें यह सारी एंट्री होगी कि कब कब लिफ्ट की सर्विसिंग हुई है. इसमें लिफ्ट की उम्र का भी ब्यौरा होगा.