जम्मू-कश्मीर चुनाव के बाद इंजीनियर रशीद ने मनोज सिन्हा से की मुलाकात, ये है वजह

जम्मू-कश्मीर चुनाव के बाद इंजीनियर रशीद ने मनोज सिन्हा से की मुलाकात, ये है वजह

जम्मू-कश्मीर चुनाव के बाद इंजीनियर रशीद ने राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की. मुलाकात पर उन्होंने कहा कि वो एक जनप्रतिनिधि है और पिछले 3-4 दिनों से जम्मू-कश्मीर के चुनावी दौरे पर थे. इसलिए कई समस्याओं के लेकर वो बात करने गए थे. वहीं उन्होंने नई सरकार गठन पर भी अपनी बात कही.

जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजे आ चुके हैं, नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन यहां अपनी सराकर बनाएगा. विधानसभा चुनाव में इंजीनियर रशीद की पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई. इस पार्टी से सिर्फ उनके भाई जीते है. बाकी सभी सीटों पर उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. इसी बीच उन्होंने राजभवन में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की है.

राजभवन में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात पर अवामी इत्तेहाद पार्टी के अध्यक्ष और सांसद शेख अब्दुल रशीद उर्फ ​​इंजीनियर रशीद ने कहा कि मुलाकात के दो कारण थें. पहला कि वो एक जनप्रतिनिधि है और पिछले 3-4 दिनों से जम्मू-कश्मीर के चुनावी दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने लोगों की कई समस्याओं को देखा. सड़कों, स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति देखी. इसलिए ही वो एलजी मनोज सिन्हा को फीडबैक देने के साथ-साथ समस्याओं के समाधान करने का अनुरोध करने गए थे.

एजेंडे से भटक चुके हैं उमर- इंजीनियर रशीद

वहीं जम्मू-कश्मीर में नई राज्य सरकार के गठन पर उन्होंने कहा, ‘सरकार पहले ही अपने मूल एजेंडे से भटक चुकी है. उमर अब्दुल्ला पहले ही आर्टिकल 370 पर यू-टर्न ले चुके हैं. हमें उम्मीद है कि मुफ्त बिजली समेत अन्य वादे पूरे होंगे. उमर अब्दुल्ला पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं. हमने उनसे राज्य का दर्जा बहाल होने तक सरकार न बनाने को कहा था, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. अगर उन्हें अनुच्छेद 370 नहीं मिल सकता तो वे इसके नाम पर वोट क्यों मांग रहे हैं?’

इंजीनियर रशीद की पार्टी का प्रदर्शन

इंजीनियर रशीद की एआईपी ने 44 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे. इसमें एआईपी प्रवक्ता फिरदौस बाबा और कारोबारी शेख आशिक हुसैन सहित कई प्रमुख चेहरे भी चुनावी मुकाबले में नाकाम रहे. इतना ही नहीं बल्कि कई नेताओं की तो जमानत भी जब्त हो गई. इस हार परल स्थानीय लोगों का कहना है कि जबतक रशीद जेल में थें लोगों के अंदर उनके लिए सहानुभूति थी, लेकिन प्रचार के लिए जब वो जेल से बाहर आए तो उनके विरोधियों ने रशीद को बीजेपी की बी पार्टी बताने का काम किया गया. कहीं न कहीं रशीद की पार्टी की हार का ये भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है.

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