Atiq Ashraf Murder: प्रयागराज में चल रहा था जमीन कब्जाने का खेल, कहां कमजोर हुई कड़ी जो इस तरह मिट्टी में मिल गया गैंगस्टर

Atiq Ashraf Murder: प्रयागराज में चल रहा था जमीन कब्जाने का खेल, कहां कमजोर हुई कड़ी जो इस तरह मिट्टी में मिल गया गैंगस्टर

Atiq Ashraf Murder: माफिया से नेता बने अतीक अहमद के कारनामों और उसके खात्मे के किस्से अब आम हैं. प्रयागराज और उसके आस-पास के इलाके में कभी उसके रसूख का खौफ था. अतीक अब तो नहीं रहा लेकिन एक मलाल उसके सीने में दफ्न रह गया. पढ़िए ये रिपोर्ट.


Atiq Ashraf Murder: कहते हैं कि राजनीति और अपराध में जमीन का बड़ा रोल होता है. यही जमीन तय करती है कि कोई कितना मजबूत है. अतीक अहमद ने भी अपने डर की जमीन दिखानी चाही. प्रयागराज उसकी दहशत का केंद्र था. राजनीतिक हवा बदली तो उसकी उसी दहशत की दीवार दरकने लगी. दबी जुबान में कुछ लोग बताते हैं कि योगी सरकार के आने के बाद अतीक एंड कंपनी की आय का मुख्य जरिया प्रॉपर्टी का कारोबार ही बचा था. पर्दे के पीछे जो कभी अतीक के दोस्त हुआ करते थे, उन्हें भी प्रॉपर्टी का निवेश ललचाने लगा. उन्होंने अतीक के प्रॉपर्टी कारोबार में सेंध लगा दी. माहौल खिलाफ था, तो दोस्त भी दुश्मन बन गए.

मजबूरी में बेटे की ताजपोशी की तैयारी थी

शासन की सख्ती पहले से ही चल रही थी. मार्केट से उगाही के रास्ते बंद हो चुके थे. गैंग के पास न पैसे थे और न ही लीड करने वाला अतीक जैसा गैंगस्टर. आर्थिक तंगी में शूटरों की फौज पीछे हटने लगी. जो कभी अतीक के सामने खड़े नहीं होते थे, वे आंखें दिखाने लगे. अतीक को यही बात खल गई. उसके अंदर अपने दहशत की जमीन को फिर पाने की इच्छा जगी. बेटे को इसी बहाने लॉन्च करने की तैयारी में जुट गया.

यह भी पढ़ें- Atiq-Ashraf Murder: 3 दिनों से कर रहे थे रेकी, प्रयागराज में आकर मारी गोली, हमलावरों ने UP STF को बताया सच

लोग कहते हैं कि बमबाजी की दहशत ने ही अतीक को बाहुबली बनाया था. बीच बाजार जैसे चांद बाबा की हत्या कर पूरे इलाहाबाद में चर्चा में आया, ठीक वैसे ही बेटे असद को लॉन्च किया. धूमनगंज में बीच चौराहे पर बमबाजी और गोलीबारी कराई. उमेश पाल को हत्या के लिए चुनना भी इसी प्लानिंग का एक हिस्सा था.

विधायक राजू पाल की हत्या ने अतीक और अशरफ को पूरे देश में चर्चित कर दिया था. उसी मामले में उमेश पाल गवाह थे. उमेश सत्ताधारी पार्टी से जुड़े थे. ऐसे में बड़ा मेसेज देने का प्रयास किया गया. प्रयागराज में वकील कम्युनिटी बड़ी है, उमेश पाल की हत्या के जरिए उस कम्युनिटी को भी संदेश देने का प्रयास किया.

गलत समय चुनने का भी मलाल

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उमेश की हत्या के बाद अतीक का एक ऑडियो वायरल हुआ. उसमें वह कह रहा था कि वक्त गलत चुन लिया. दरअसल जब उमेश की हत्या हुई तो यूपी विधानसभा का सत्र चल रहा था. ऐसे में यह सीधे सरकार और योगी को चुनौती देने वाली बात हो गई. अतीक ने सोचा था कि उमेश की हत्या की दहशत कुछ दिनों में शांत हो जाएगी. लेकिन, मार्केट में नया नाम असद का जुड़ जाएगा. फिर खौफ के उस साम्राज्य में असद की युवराज के रूप में ताजपोशी हो जाएगी, लेकिन यूपी विधानसभा के सत्र ने पूरी प्लानिंग पर पानी फेर दिया.

यह भी पढ़ें- Atiq Ahmed के कुनबे के बाकी लोग कहां हैं? दशकों तक जिनकी दहशत रही, वे सब दहशत में

प्रयागराज में प्रॉपर्टी कारोबार पर नजर रखने वाले दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि झलवा, बमरौली, मनौरी प्रॉपर्टी के लिहाज से काफी तेजी से विकास कर रहा था. इस इलाके में अतीक की कई बेनामी संपत्तियां थीं. जब इन इलाकों की जमीन किसानों की थी, तब अतीक ने तमाम हथकंडे अपनाकर इन पर कब्जा किया था. विकास तेज हुआ, एयरपोर्ट बना, ट्रिपल आईटी आई, रेलवे एनसीआर का हेडक्वॉर्टर आया तो जमीन के रेट में अचानक से तेजी आ गई. कौड़ियों के भाव वाली जमीन सोने की हो गई. अतीक ने अपने गुर्गों के जरिए यहां प्लॉटिंग शुरू कराई.

एक सफेदपोश की दोस्ती से दुश्मनी भी पड़ी भारी

प्लॉटिंग और जमीन के इसी कारोबार में उमेश का भी नाम सामने आया था. जमीन को लेकर विवाद हुआ और अतीक-उमेश के बीच दूरी बन गई. बताते हैं कि कुछ सफेदपोश भी अतीक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस कारोबार से जुड़े थे. बीजेपी सरकार बनी और अतीक पर शिकंजा कसने लगा तो वे सफेदपोश भी दुश्मन हो गए. गुर्गों ने जमीन हथियानी शुरू कर दी.

यह भी पढ़ें- Atique Ahmed Murder: 49 दिन में खत्म हुआ अतीक के 44 साल का आतंक, राजू पाल के गवाह की हत्या बनी काल

सफेदपोश जो अतीक के दोस्त थे, उन्होंने राजनीतिक बोली बोलनी शुरू कर दी. अंदरखाने प्रॉपर्टी जो अतीक की थी, उस पर कब्जा कर बैठे. यही बात अतीक को नागवार गुजरी. दहशत खत्म हो जाती तो प्रॉपर्टी से भी हाथ धोना पड़ता. यही कारण है कि सरेआम बमबाजी और गोली मारकर उमेश की हत्या कराई गई.

अखिलेश यादव ने भी किया था इशारा

अखिलेश ने भी पिछले दिनों ऐसा ही एक आरोप लगाया था. मौजूदा समय में प्रयागराज में बड़े राजनीतिक कद वाले एक परिवार की तरफ यह इशारा था. अखिलेश ने कहा था कि उक्त मंत्री ने 5 करोड़ उधार लिए थे. मंत्री का भी बयान आया था कि सब मनगढ़ंत बाते हैं.