खादी को ‘लोकल से ग्लोबल’ बनाने की मुहिम, PMEGP के लाभार्थियों से मिले ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष
खादी और ग्रामोद्योग आयोग के स्वदेशी उत्पाद तेजी से लोकल से ग्लोबल पहचान बना रहे हैं. इसी कड़ी में खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार पिछले दिनों असम और अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गए थे, जहां वो कई शिविरों में भी गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘लोकल टू ग्लोबल’ अभियान को पूर्वोत्तर राज्यों के सुदूर गांवों तक पहुंचाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के अध्यक्ष मनोज कुमार ने असम और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया.
भारत सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, 8 मई से 13 मई के लंबे प्रवास के दौरान मनोज कुमार ने अरुणाचल प्रदेश में चल रही खादी और ग्रामोद्योग विकास योजना से जुड़ी गतिविधियों के साथ ही प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के लाभार्थियों से भी मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.
ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार के मौके उपलब्ध कराने के लिए तवांग में शुक्रवार को पीएमईजीपी जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया. यहां पर आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग, ईंटानगर का उप-कार्यालय तवांग शहर में खोलने का ऐलान किया.
लंबे समय से तवांग के लोग इस कार्यालय की मांग कर रहे थे. केवीआईसी के ईंटानगर कार्यालय से तवांग पहुंचने में लगभग 48 घंटे यानी 2 दिन का समय लगता है. तवांग में केवीआईसी का उप कार्यालय खुलने के बाद यहां के युवाओं को रोजगार के ज्यादा मौके उपलब्ध हो सकेंगे.
पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे की शुरूआत मनोज कुमार ने 8 मई को असम से की. यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को पूरा करने के लिए मनोज कुमार ने दो अलग-अलग कार्यक्रमों में लाभार्थियों को बी-बॉक्स, आचार बनाने की मशीनें और ऑटोमैटिक अगरबत्ती मशीनों का वितरण किया.
तामुलपुर के कुमारिकाटा गांव में जहां उन्होंने 50 मधुमक्खी पालकों को 500 बी-बॉक्स का वितरण किया, वहीं गुवाहाटी के KVIC कॉम्प्लेक्स में लाभार्थियों को 40 अचार बनाने वाली मशीनें और 20 ऑटोमैटिक अगरबत्ती मशीनें प्रदान की. इसी क्रम में ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत सिक्स-माइल गुवाहाटी में फुटवियर उद्योग से जुड़े एक पायलट प्रोजेक्ट का भी शुभारंभ किया गया.
गुवाहाटी से तवांग जाने के क्रम में, 9 मई को मनोज कुमार ने पश्चिमी कामेंग जिले के बोमडिला में पीएमईजीपी के अंतर्गत स्थापित कई औद्योगिक ईकाइयों का निरीक्षण किया. युवा उद्यमियों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से विश्वगुरू बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
खादी और ग्रामोद्योग आयोग के स्वदेशी उत्पाद तेजी से लोकल से ग्लोबल पहचना बना रहे हैं. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के युवा उद्यमियों से आह्वान किया कि वे यहां के लोकल उत्पादों को भी इस गुणवत्ता के साथ तैयार करें कि विश्वस्तर पर उसकी मांग बढ़ें. 10 मई को अरुणाचल के लोहु में मनोज कुमार ग्रामोद्योग विकास योजना और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के अंतर्गत जागरूकता शिविर में शामिल हुए.
शिविर में शामिल हुए लाभार्थी
इस शिविर में काफी संख्या में युवाओं और लाभार्थियों ने हिस्सा लिया. सभा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि वो आज स्वयं अरुणाचल के युवाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विजन को लेकर आएं हैं, जिसमें उन्होंने देश के युवाओं से अपील की थी कि वो ‘नौकरी मांगने की बजाय स्वयं नौकरी देने में सक्षम बने’. कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष ने प्रतिभागियों से सीधा संवाद किया. लोहु में ही अध्यक्ष ने खादी एरी रेशम प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र (Khadi Eri Silk Training cum Production Centre) का भी दौरा किया.
बता दें, केवीआईसी ने अरुणाचल प्रदेश में रेशम उद्योग को पुनर्जीवित करने और टिकाऊ रूप से स्थानीय रोजगार सृजन के लिए पिछले वर्ष ऐतिहासिक कदम उठाते हुए चीन और भूटान की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के तवांग में खादी एरी रेशम प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र (Khadi Eri Silk Training cum Production Centre) की स्थापना की थी.
यह सेंटर लगभग 14,000 फीट की ऊंचाई पर बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों पर बसा है. इस केंद्र की स्थापना बौद्ध संस्कृति संरक्षण समिति, बोमडिला की सहायता से की गई है. समिति ने सिल्क सेंटर के लिए भवन उपलब्ध कराया है. दूसरी ओर केवीआईसी ने हथकरघा, चरखा, सिल्क रीलिंग मशीन और वारपिंग ड्रम आदि जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे प्रदान किए हैं.
केंद्र तवांग और पश्चिम कामेंग जिलों की 20 महिला कारीगरों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान कर रहा है. अध्यक्ष ने कारीगरों को आश्वासन दिया है कि तवांग शहर में भी खादी एरी रेशम प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र की एक शाखा खोली जाएगी. उन्होंने आगे कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्पित इरादों ने 2014 के बाद खादी सेक्टर में नई जान फूंकने का काम किया है. खादी अब लोकल से ग्लोबल हो चुकी है. वित्त वर्ष 2022-23 में खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का टर्नओवर 31st जनवरी, 2023 तक 1,08,000 करोड़ के आंकड़े को पार कर गया.
तवांग में मोनपा हस्तनिर्मित कागज निर्माण ईकाई भी पहुंचे
11 मई को मनोज कुमार ने तवांग में मोनपा हस्तनिर्मित कागज निर्माण ईकाई (Monpa Handmade Paper Making Unit) का दौरा किया और इससे जुड़े कारीगरों से भी मुलाकात की. गौरतलब है कि केवीआईसी के समर्पित प्रयासों के फलस्वरूप अरुणाचल प्रदेश की 1000 वर्ष पुरानी परंपरागत कला, मोनपा हस्तनिर्मित कागज उद्योग, जो विलुप्त हो गया था वो एक बार फिर से सजीव हो गया है.
मोनपा हस्तनिर्मित कागज निर्माण कला की शुरूआत 1000 वर्ष पूर्व हुई थी और धीरे-धीरे यह कला अरुणाचल प्रदेश के तवांग में स्थानीय रीति-रिवाजों और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गई. पिछले 100 वर्षों से यह हस्तनिर्मित कागज उद्योग लगभग लुप्त हो चुका था; जो वर्ष 2020 में केवीआईसी की मदद से फिर से शुरू हुआ.
अध्यक्ष मनोज कुमार ने मोनपा हस्तनिर्मित कागज उद्योग से जुड़े कारीगरों को बधाई दी और कहा कि यहां के 50 कारीगरों को जयपुर के खादी और ग्रामोद्योग आयोग के कुमारप्पा नैशनल हैंडमेड पेपर इंस्टिट्यूट (Kumarappa National Handmade Paper Institute) में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा जिससे मोनपा हस्तनिर्मित कागजों को विश्वस्तर का बनाया जाए.
उन्होंने आगे कहा कि परंपरागत हस्तनिर्मित मोनपा कागजों की अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अच्छी मांग है. खादी और ग्रामोद्योग आयोग का प्रयास होगा कि अरुणाचल प्रदेश के मोनपा हस्तनिर्मित कागज को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान मिले, जिससे यहां पर ज्यादा से ज्यादा रोजगार का सृजन हो. अरुणाचल के बोमडिला में 12 मई को अध्यक्ष मनोज कुमार ने 20 लाभार्थियों को आचार बनाने की मशीन का वितरण किया.
कामगारों को टूल एवं मशीनरी का किया जा रहा विवरण
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से गांव-गांव तक रोजगार पहुंचाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग लगातार प्रयत्नशील हैं. खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा ग्रामोद्योग विकास योजना के अन्तर्गत भारतीय परम्परागत उद्योगों के कामगारों को टूल एवं मशीनरी का वितरण किया जा रहा है, जिससे परम्परागत उद्योगों के कामगारों की आय में वृद्वि से उनके जीवन स्तर में व्यापक सुधार के साथ-साथ भारतीय परम्परागत उद्योगों के संरक्षण एवं संवर्धन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा रही है.