Mauni Amavasya Snan 2025 Live: महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर डुबकी लगाने के बाद भूल कर भी न करें ये गलती, नहीं मिलेगा लाभ
आज मौनी अमावस्या का दिन है. इस अवसर पर महाकुंभ में आज दूसरा अमृत स्नान है. यह दिन विशेष रूप से तप, साधना, और पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. मौनी अमावस्या का अर्थ"मौन रहकर अमावस्या का व्रत" होता है. इस दिन नदियों में स्नान, दान के साथ पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने से व्यक्ति को शुभ फलों प्राप्ति होती है.
LIVE NEWS & UPDATES
-
महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर डुबकी लगाने के बाद भूल कर भी न करें ये गलती, नहीं मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में आज दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के दिन है. इस खास मौके पर संगमनगरी में आस्था का सैलाब उमड़ा है. ऐसे में अगर आप भी महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर डुबकी लगाने गए हैं तो इसके बाद गंगाजल लेकर पितरों को याद करते हुए अर्घ्य जरूर दें. ऐसा करने से पितरों का आर्शीवाद मिलता है. वहीं कहा जाता है कि इस दिन पितर धरती पर आते हैं.
-
मौनी अमावस्या पर स्नान के बाद किस भगवान की करनी होती है पूजा?
मौनी अमावस्या के दिन स्नान करके और मौन व्रत रखने का खासा महत्व बताया गया है. इस दिन स्नान के बाद भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विधान है. इस दिन गंगा स्नान से पाप नष्ट हो जाते हैं और जातक को मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है.
-
महाकुंभ में पहली बार…तीन पीठों के शंकराचार्य एक साथ करेंगे अमृत स्नान
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आज आस्था का सैलाब उमड़ा है. इस बीच, मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में पहली बार तीन पीठों के शंकराचार्य एक साथ अमृत स्नान करेंगे. तीनों शंकराचार्य महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 22 स्थित भारतीयम् ज्योतिष्पीठ से शाही स्नान के लिए निकलेंगे. ये जानकारी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने दी है.
-
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने पर मिलता है ये फल
मौनी अमावस्या का महत्व धर्म के साथ-साथ ज्योतिष से भी जुड़ा है. मौनी अमावस्या का अर्थ है मौन रहने वाली अमावस्या. कहा जाता है इस दिन मनु ने मौन व्रत रख कर गंगा स्नान किया था, इसके बाद ही यह परंपरा चल रही है. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य मिलता है और पापों का नाश हो जाता है. साथ ही आत्मा शुद्ध होती है.
-
मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ स्नान के बाद तट से जरूर लाएं ये चीजें, समृद्धि में होगी वृद्धि
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान यानी मौनी अमावस्या का स्नान 29 जनवरी को आयोजित हुआ है. महाकुंभ के बाकी दिनों के मुकाबले मौनी अमावस्या का अलग ही महत्व है. ऐसे में अगर आप भी महाकुंभ आ रहे हैं तो आप तट से संगम की रेत, शंख, रुद्राक्ष या तुलसी की माला, तुलसी के पत्ते, गंगाजल घर जरूर लाएं. इससे आपके घर से नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं. साथ ही समृद्धि में वृद्धि होगी.
-
मौनी अमावस्या के दिन भूलकर भी न करें ये काम!
मौनी अमावस्या इस साल 29 जनवरी को पड़ रही है. इस दिन श्रद्धालु गंगा, नर्मदा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करेंगे. मौनी अमावस्या के दिन व्रत करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. मौनी अमावस्या के दिन नकारात्मक विचारों और भावनाओं को अपने अंदर न आने दें. इसके अलावा झूठ बोलने से बचना चाहिए, जितना हो सके मौन रहने की कोशिश करें.
-
मौनी अमावस्या के दिन शाम को क्या करना चाहिए?
मौनी अमावस्या का महत्व धर्म के साथ-साथ ज्योतिष से भी जुड़ा है. मौनी अमावस्या को पवित्रता, तप और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना गया है. मौनी अमावस्या का महत्व धर्म के साथ-साथ ज्योतिष से भी जुड़ा है. मौनी अमावस्या को पवित्रता, तप और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना गया है. मौनी अमावस्या के दिन शाम में तुलसी के पास घी का दीया जलाएं. इसके अलावा अन्न, धन, वस्त्र आदि का दान जरूर करें.
मौनी अमावस्या पर नहीं जा पा रहे महाकुंभ तो घर पर ये काम करने से मिलेगा अमृत स्नान का पुण्य
-
कितने घंटे तक रखना चाहिए मौनी अमावस्या का व्रत? जानें
महाकुंभ का आज दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या का स्नान है. अमावस्या के दिन उपवास करना बेहद फलदायी होता है. ऐसे में इस दिन मानसिक शांति और ध्यान को बढ़ाने के लिए मौन व्रत रखा जाता है. हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन 24 घंटे तक मौन व्रत करना चाहिए, लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो आप सुबह स्नान के बाद आप 1.25 घंटे तक भी व्रत रख सकते हैं.
-
क्या है मौनी अमावस्या का महत्व? जानें
मौनी शब्द का अर्थ है मौन यानी चुप रहने से संबंधित है. इस दिन नदियों में स्नान, दान के साथ पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने से व्यक्ति को शुभ फलों प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या का महत्व वाणी और मन पर नियंत्रण पाकर ईश्वर के प्रति समर्पण करना है.
-
मौनी अमावस्या पर घर में ऐसे स्नान करने से पा सकते हैं संगम जैसा पुण्य
सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान करने से आत्मशुद्धि होती है. ऐसे में अगर आप इस दिन किसी वजह से प्रयागराज नहीं जा पा रहे हैं, तो आप घर पर ही स्नान करने से संगम जैसा पुण्य पा सकते हैं. इसके लिए आप सबसे पहले सुबह स्नान करते वक्त जल में थोड़ी गौ रज (गाय के गोबर की राख) मिलाएं. साथ ही इस दौरान त्रिवेणी माधवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्। वन्दे अक्षय वटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम।।मंत्र का उच्चारण करें. इसके बाद साफ कपड़े पहनकर दाहिने हाथ में दूब घास की 16 गांठ लेकर भगवान का ध्यान करें. -
बन रहे हैं कुछ विशेष मुहूर्त
दिन में अन्य 4 शुभ मुहूर्त भी बन रहे हैं जिनमें अमृत स्नान किया जा सकता है. पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 20 मिनट से सुबह 8 बजकर 44 मिनट तक है. दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 44 मिनट से सुबह 10 बजकर 7 मिनट तक है. अमृत स्नान के लिए तीसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान का चौथा मुहूर्त शाम 5 बजकर 2 मिनट से शाम 6 बजकर 25 मिनट तक रहने वाला है. माना जाता है कि अमृत स्नान करने पर पुण्य मिलता है.
-
मौन स्नान का मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 5:25 से सुबह 6:18 मिनट तक
विजय मुहूर्त : दोपहर 2:22 से 3:05 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 5:15 से 6:15 बजे तक
-
मौन रहकर किया जाता है मौनी अमावस्या का स्नान
अमृत स्नान (पूर्व में शाही स्नान), महाकुंभ मेले का सबसे पवित्र और सबसे बड़ा स्नान पर्व होता है जिसमें दुनियाभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए आते हैं. अमृत स्नान का मुख्य आकर्षण विभिन्न अखाड़ों के साधुओं का स्नान होता है.अमृत स्नान की तिथियां सूर्य, चंद्र और बृहस्पति के ज्योतिषीय मेल पर आधारित होती हैं और माना जाता है कि इनके योग से पवित्र नदियों की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है. यह भी माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों का जल अमृत में परिवर्तित हो जाता है. मौनी अमावस्या का स्नान पारंपरिक रूप से मौन रहकर किया जाता है.
Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत कितने घंटे तक रखना चाहिए? यहां जान लें नियम
-
मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान, दान और मौन व्रत का विशेष महत्व
मौनी अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण पर्व के तौर पर माना जाता है. माघ माह में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. इस बार यह बेहद खास होने वाली है. मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान, दान और मौन व्रत का विशेष महत्व होता है.
-
मौन रहते हुए अध्यात्मिक वृद्धि की कामना
मौनी अमावस्या न केवल संतों के लिए बल्कि सभी हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोग इस तिथि पर मौन रहते हुए अध्यात्मिक वृद्धि की कामना करते हैं. मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से शारीरिक और मानसिक लाभ होता है.
प्रयागराज महाकुंभ में आ रहे हर श्रद्धालुओं और संतों की एक ही कामना होती है मौनी अमावस्या में त्रिवेणी संगम में ‘अमृत स्नान’ करने की. आज मौनी अमावस्या का महापर्व है. इस अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हैं. मौनी अमावस्या के दिन पवित्र संगम में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. खासतौर पर महाकुंभ के दौरान यह दिन महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह दूसरा ‘अमृत स्नान’ होता है, जिसमें विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, मौनी अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं. महाकुंभ में स्नान के साथ पितरों का तर्पण और दान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. ग्रहों की स्थिति के अनुसार तय की गई अमृत स्नान की तिथियां अत्यंत शुभ और पुण्यकारी मानी जाती हैं. मौनी अमावस्या पर स्नान से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या ‘अमृत स्नान’ का शुभ मुहूर्त सुबह 5.25 बजे से 6.18 बजे तक रहेगा. इसके बाद प्रातः संध्या मुहूर्त 5.51 बजे से 7.11 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में स्नान के समय 5 डुबकी लगाने का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं मौनी अमावस्या पर दान-स्नान करने का शुभ मुहूर्त…
Published On - Jan 29,2025 4:34 AM