BJP गठबंधन के लिए वोट करने वाले RJD के 3 विधायकों का क्या होगा? जानिए क्या कहते हैं विषेशज्ञ
सोमवार को आरजेडी के तीन विधायकों ने बीच सदन में पाला बदल लिया. नीलम देवी, सूर्यगढ़ा के विधायक प्रहलाद यादव और चेतन आनंद विपक्षी खेमे से उठकर सत्ता पक्ष के साथ हो गए. व्हिप के बाद भी पार्टी के खिलाफ जाने के बाद अब इनकी सदस्यता पर तलवार लटक रही है. इधर जानकार कहते हैं इनकी सदस्यता बच सकती है, अगर...
बिहार में सोमवार को खेला हो गया. ये अलग बात है कि तेजस्वी यादव जेडीयू-बीजेपी में खेला होने का दावा कर रहे थे, इधर खेला उनकी अपनी ही पार्टी आरजेडी में हो गया. लालू की पार्टी के तीन विधायक बीच सदन में विपक्षी खेमे से उठकर सरकार के खेमे यानि एनडीए में जाकर बैठ गए. कहां तो लालू- तेजस्वी नीतीश-बीजेपी को झटका देने की तैयारी कर रहे थे इधर उनके विधायकों ने ही उनके साथ खेला कर दिया. आरजेडी के तीन विधायक प्रहलाद यादव, नीलम देवी और बाहुबली आनंद मोहन सिंह के बेटे चेतन आनंद नाटकीय ढंग से अंतिम समय में विपक्ष के पाले से सत्ता पक्ष के साथ शिफ्ट हो गए.
लालू- यादव और तेजस्वी यादव बीजेपी-जेडीयू के विधायकों पर नजर रखे हुए थे. उनके तीन चार विधायकों के नहीं पहुंचने के बाद खेला करने की तैयारी चल रही थी इधर उनके अपने ही तीन विधायकों ने उन्हें जोर का झटका दे दिया. तेजस्वी यादव ने अपने आवास पर दो दिनों तक आरजेडी विधायकों को निगरानी में रखा था.
इसके बाद मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी, सूर्यगढ़ा के विधायक प्रहलाद यादव और चेतन आनंद पर अब कार्रवाई की तलवार लटकी है. आरजेडी की तरफ से जारी व्हिप के बाद भी पार्टी के विरोध में खड़े होने की उन्हें सजा मिल सकती है. दल बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता जा सकती है.
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‘ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई’
इसके संकेत भी मिलने लगे हैं. आरजेडी के प्रधान महासचिव और मोरवा विधायक रणविजय साहू ने कहा है कि इन विधायकों को पार्टी ने खूब सम्मान दिया था. इसके बाद भी वह पार्टी के खिलाफ गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि तीनों विधायकों के खिलाफ निश्चित तौर पर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई होगी. हमारी पार्टी संविधान और नियमावली से चलती है. उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है तो उनकी सदस्यता जाएगी.
‘अलग गुट की मिल सकती है मान्यता’
बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं. आरजेडी तीनों विधायकों के खिलाफ दल बदल कानून के तहत सदस्यता रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से कह सकती है. लेकिन स्पीकर इन्हें अगर अलग गुट की मान्यता दे देतें हैं तो इनकी सदस्यता बच सकती है. क्योंकि नए स्पीकर उस पार्टी से हैं जिस पार्टी के गठबंधन को इन्होंने समर्थन दिया है, इसलिए इसकी संभावना है. ऐसी स्थिति में आरजेडी के पास कोर्ट जाने का विकल्प है.
‘कोर्ट पहुंच सकता है मामला’
वहीं बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं. तीनों विधायकों ने दलबदल कानून का उल्लंघन किया है. इनकी पार्टी आरजेडी ने व्हिप जारी किया था इसके बाद भी ये तीन विधायक दल के खिलाफ गए. इसके बाद इनकी सदस्यता समाप्त होना तय है. लेकिन सदन से बाहर करने का फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है. चूकि विधानसभा अध्यक्ष इनके समर्थित दल के नेता हैं तो वह इस मामले को लंबा खीच सकते हैं. तब आरजेडी कोर्ट का रुख कर सकती है. इधर कोर्ट में ये मामला लंबा चल सकता है. चूकि विधानसभा चुनाव में अब डेढ़ साल का ही समय बचा है. वैसी स्थिति में अंतिम फैसला आने तक चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाए ऐसी संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
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