केरल में प्रोफेसर जोसेफ को दी थी तालिबानी सजा, 13 साल बाद भी NIA की लिस्ट में वांटेड है आरोपी

केरल में प्रोफेसर जोसेफ को दी थी तालिबानी सजा, 13 साल बाद भी NIA की लिस्ट में वांटेड है आरोपी

केरल में 2010 में एक प्रोफेसर का हाथ काटने वाला आरोपी अभी तक NIA की गिरफ्त से दूर है. NIA ने सोशल मीडिया पोस्ट पर इसकी तस्वीर पोस्ट कर लोगों से इसके बारे में जानकारी देने को कहा है. इस मामले में इसी साल छह लोगों को सजा सुनाई गई थी.

केरल में प्रोफेसर को तालिबानी सजा देने वाला आरोपी 13 साल बाद भी NIA की पकड़ से दूर है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर आरोपी की तस्वीर पोस्ट कर इसे वांटेड बताया. इस आरोपी का नाम सवाद है, जो PFI से जुड़ा है. यह केरल के एर्नाकुलम का रहने वाला है. NIA ने पोस्ट में एक फोन नंबर पर भी दिया है जानकारी होने पर इस नंबर पर मैसेज करने के लिए कहा गया है.

साल था 2010, दिन था रविवार, यही वो दिन था जब केरल के प्रोफेसर टी जे जोसेफ अपनी मां और पत्नी के साथ चर्च से वापस लौट रहे थे. अचानक भीड़ ने उन्हें घेरा और परिवार के साथ बदसलूकी की. प्रोफेसर को मारा पीटा. भीड़ में एक युवक ऐसा भी था जिसके हाथ में कुल्हाड़ी थी. प्रोफेसर को पीटने के बाद भी इसका गुस्सा शांत हुआ नहीं तो उनका एक हाथ काट दिया. मामले की जांच हुई तो घटना में PFI का हाथ सामने आया. इस मामले में छह लोगों को इसी साल जुलाई में सजा भी हुई, लेकिन 13 साल बीत जाने के बाद भी मुख्य आरोपी पकड़ में नहीं आया.

क्या था पूरा मामला

प्रोफेसर जोसेफ को तालिबाजी सजा देते वक्त युवक उन पर पैगंबर मोहम्मद के अपमान का आरोप लगा रहे थे. दरअसल उस साल केरल के थोडुपुझा स्थित न्यूमैन कॉलेज के एक मलयालम प्रश्न पत्र में पैगंबर साहब को लेकर कोई प्रश्न पूछा गया था. PFI को इस पर आपत्ति थी. इसी के विरोध में 4 जुलाई 2010 को चर्च से लौटते वक्त प्रोफेसर जोसेफ और उनके परिवार को भीड़ ने घेर लिया. प्रोफेसर का सिर्फ एक हाथ ही नहीं काटा गया, बल्कि उनके पैर में भी चाकू मारा गया. यह करने वाला आरोपी सवाद ही था जो अभी तक गिरफ्त में नहीं आया.

मामले में कुल 19 दोषी करार

प्रोफेसर को तालिबाजी सजा देने के मामले ने तूल पकड़ा. PFI से जुड़ा होने की वजह से इसकी जांच NIA को दी गई. 31 लोग आरोपी बनाए गए. पहले चरण में 2015 में 13 लोगों को सजा दी गई. हालांकि अप्रत्याशित रूप से प्रोफेसर ने इन सभी 13 लोगों को माफ कर दिया. इसके बाद मौके से भागने वाले 11 लोगों पर मुकदमा चला, जिनमें से 6 लोगों को इसी साल जुलाई माह में सजा सुनाई गई थी, लेकिन मुख्य आरोपी सवाद जांच एजेंसी के हाथ नहीं आया.

पहले हाथ खोया, फिर पत्नी

2010 की इस घटना का प्रोफेसर जोसेफ ने एक किताब में जिक्र किया था. मलयालम भाषी इस किताब में प्रोफेसर ने बताया था कि कैसे इस घटना ने उनकी जिंदगी को बदल दिया. उन्होंने किताब में लिखा था कि घटना के चार साल बाद ही 2014 में उनकी पत्नी ने सुसाइड कर ली थी. कट्टरपंथियों ने इसका भी जश्न मनाया था. किताब में उन्होने पीएफआई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी बताया था. हालांकि बाद में सरकार ने इस संगठन को बैन कर दिया था.