Paramjit Singh Panjwar: बैंक कर्मचारी से नामित आतंकी तक, पढ़ें परमजीत सिंह के आतंक की कहानी
Who Is Paramjit Singh: पाकिस्तान के लाहौर में दो अज्ञात हमलावरों ने खालिस्तान समर्थक कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवार को गोली मार दी. वह भारत में वांटेड था. पढ़ें उसके एक बैंक कर्मचारी से नामित आतंकी बनने तक की कहानी.
Paramjit Singh Panjwar: परमजीत सिंह पंजवार उस खालिस्तान कमांडो फोर्स का चीफ जिसने चार दशक पहले पंजाब को तबाह कर रखा था, लाहौर में मारा गया है. उसने कई खौफनाक हत्याओं को अंजाम दिया, जिसमें ऑपरेशन ब्लू स्टार के दरमियान आर्मी चीफ जनरल अरुण वैद्य की हत्या भी शामिल है. परमजीत उर्फ मलिक सरदार सिंह भारत में वांटेड था. पाकिस्तान के संरक्षण में रहकर परमजीत भारत में आतंकी गतिविधियों को भी अंजाम दे रहा था.
तरनतारन के पास पंजवार गांव का रहने वाला परमजीत सिंह पंजाब में ड्रोन के माध्यम से ड्रग और हथियारों की तस्करी किया करता था. विदेशों में उसके कट्टरपंथी/आतंकी संगठनों से बड़े कनेक्शन थे. वह अपने चचेरे भाई लाभ सिंह के मार्गदर्शन के बाद 1986 में खालिस्तान कमांडो फोर्स को जॉइन किया था. इससे पहले उसकी अच्छी खासी जिंदगी थी. वह पंजाब के गुरदासपुर जिले के सोहल गांव में एक केंद्रीय सहकारी बैंक में काम करता था.
ये भी पढ़ें: पहले सईद निशाना, अब परमजीत का काम तमाम, पढ़ें जेहर टाइन की कहानी
1989 में परमजीत बना केसीएफ का अध्यक्ष
चचेरे भाई लाभ सिंह के सुरक्षा बलों द्वारा निपटाए जाने के बाद 1889 में परमजीत ने कमांडो फोर्स की कमान संभाली, और पाकिस्तान भाग गया. सीमा पार से वह हथियारों और नशे की तस्करी करता था. ऐसे में वह आतंकी फोर्स की गतिविधियों को आगे बढ़ा रहा था. अब उसके मारे जाने के बाद आतंकी फोर्स की कमान किसके हाथों जाएगी, इसपर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.
ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान आर्मी चीफ की हत्या का आरोप
खालिस्तान कमांडो फोर्स को 1986 में मनबीर सिंह चाहरू ने बनाया था. खालिस्तान के रूप में एक अलग देश बनाने की चाहत में केसीएफ की स्थापना हुई थी. इस संगठन के लोग डकैती या अपहरण जैसे अपराधों से जुड़े थे. इससे वे अत्याधुनिक हथियार खरीदते थे. इस संगठन ने देश के कई हिस्से में आतंक फैलाया. बताया जाता है कि इसी संगठन के सदस्य ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान आर्मी चीफ जनरल अरुण वैद्य की हत्या कर दी थी.
पाकिस्तान भाग गया, वहीं से करता था आतंकी फंडिंग
चाहरू को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया और आतंकी संगठन की कमान लाभ सिंह के हाथों में गई, जिसके निपटाए जाने के बाद केसीएफ गुटों में बंट गया और एक की कमान परमजीत के हाथों आई. एक समय पंजवार का भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे माझा क्षेत्र में एक आतंक था. सेना ने ज्यों ही खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई तेज की तो परमजीत पाकिस्तान भाग गया, और तबसे वहीं रह रहा था.
ये भी पढ़ें: Pakistan में मारा गया परमजीत सिंह पंजवार, भारत में था वांटेड