राजस्थान: एक साल पुराना विवाद, दो तहसीलों का पेंच और वोटिंग बहिष्कार… समरावता गांव में हिंसा की असली जड़ क्या?

राजस्थान: एक साल पुराना विवाद, दो तहसीलों का पेंच और वोटिंग बहिष्कार… समरावता गांव में हिंसा की असली जड़ क्या?

राजस्थान का समरावता गांव इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां पर हुई हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है लेकिन ये विवाद आखिर क्या है और मामला इतना आगे कैसे बढ़ गया कि पुलिस के वाहनों को आग लगा दी गई, लोगों के कच्चे घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया. ये मामला सिर्फ SDM और नरेश मीणा का नहीं है. यह मामला गांववालों के एक साल पुराना विवाद से जुड़ा है.

राजस्थान में 13 नवंबर को 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे थे. इसी बीच टोंक में पोलिंग बूथ पर SDM और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के बीच हाथापाई होती है और नरेश मीणा SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ देते हैं. इसके बाद जब पुलिस नरेश मीणा को पकड़ने पहुंचती है, तो गांववाले और पुलिस के बीच हंगामा हुआ. लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया और इस सब के बीच नरेश मीणा फरार हो गया लेकिन यह विवाद सिर्फ इतना नहीं है. गांव वालों का असल मामला कुछ और है.

दरअसल समरावता 800 वोटों वाला गावं है, जो नगरफोर्ट में लगता है लेकिन करीब एक साल पहले तक ये गांव उनियारा उपखंड में लगता था. इसकी कचरावता में पंचायत लगती थी. पिछले साल जब नगरफोर्ट तहसील बना तो उनियारा उपखंड की कुछ पंचायतों को इसमें मिला दिया गया था और इसी में समरावता गांव भी शामिल था लेकिन गांववालों को ये सही नहीं लगा और वह लगातार विधायकों, अधिकारियों को समरावता को उनियारा उपखंड में ही रखने की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी नहीं सुनी जा रही है.

उनियारा में शामिल करने की क्या है वजह?

गांववाले समरावता को उनियारा में रखने की इसलिए मांग कर रहे हैं, क्योंकि नगरफोर्ट का उपखंड अधिकारी ऑफिस देवली लगता है. ऐसे में समरावता गांव के लोगों को SDM ऑफिस जाने के लिए 50 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं उनियारा से समरावता की दूरी महज 15 से 16 किलोमीटर ही थी. दूसरा ये कि देवली जाने के लिए कोई मुनासिब साधन भी नहीं है और उनियारा के लिए नेशनल हाईवे होने पर आवागमन के साधन हैं. ऐसे में गांववालों को अपनी प्राइवेट गाड़ी से या फिर टोंक होते हुए आना-जाना पड़ता है.

चुनाव के बाद प्रस्ताव आगे भेजने की बात

राजस्थान में हुए उपचुनाव को लेकर आचार संहिता लगने से पहले उनियारा की जिन पंचायतों को नगरफोर्ट में शामिल किया गया था. उनमें से कुछ गांव को वापस उनियारा में जोड़ दिया गया लेकिन समरावता को नहीं जोड़ा गया. ऐसे में गांववालों ने इस मामले को लेकर 30 अक्टूबर को भी एसडीएम को ज्ञापन सौंपा था. कलेक्टर ने आचार संहिता में मिले प्रस्ताव को चुनाव के बाद आगे भेजने की बात कही थी.

गांववालों ने चुनाव का बहिष्कार किया

समरावता गांववालों ने चुनाव का बहिष्कार किया और मतदान केंद्र से 100 किलोमीटर दूर धरने पर बैठ गए. गांववालों के साथ नरेश मीणा भी धरना प्रदर्शन में शामिल हुए. इसी बीच कुछ लोगों से BLO ने वोट डला दिए. इस बात का विरोध करते हुए नरेश मीणा पोलिंग बूथ पर पहुंचे. इसी दौरान उनकी SDM से बहस हुई. दोनों के बीच बात हाथापाई तक पहुंच गई और नरेश मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ जड़ दिया.

नरेश मीणा और SDM का विवाद

हालांकि समरावता गांववालों ने दोपहर के बाद वोटिंग शुरू कर दी थी. थप्पड़ कांड के बाद पुलिस जब नरेश मीणा को गिरफ्तार करने पहुंची, तो गांववाले अड़ गए. उन्होंने पुलिस पर पथराव किया. इसके बाद ये विवाद बढ़ता चला गया. एक तरफ पुलिस का कहना है कि पोलिंग पार्टी को रोका गया. इसलिए विवाद ज्यादा बढ़ा, तो वहीं नरेश मीणा का कहना था कि खाना खा रहे लोगों पर लाठीचार्ज किया गया.