यहां ऐसी होती है होली! घर में नहीं घुस पाते पुरुष, महिलाएं लठ्ठ से करती हैं पिटाई

यहां ऐसी होती है होली! घर में नहीं घुस पाते पुरुष, महिलाएं लठ्ठ से करती हैं पिटाई

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के एक गांव में परम्परा के नाम पर सिर्फ महिलाओं का हुक्म चलता है. यहां होली से पंचमी तक पुरुषों को घर से निकाल दिया जाता है, घर से निकाले गए पुरुष भीख मांगकर गुजारा करते हैं.

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के हरसूद विकासखण्ड में एक गांव ऐसा भी है, जहां परम्परा के नाम पर सिर्फ महिलाओं का हुक्म चलता है. यहां होली से पंचमी तक पुरुषों को घर से निकाल दिया जाता है, घर से निकाले गए पुरुष भीख मांगकर गुजारा करते हैं, परम्परा के अनुसार होली की धुलेंडी वाले दिन गोसाईं समाज के पुरुषों को घर से बाहर कर दिया जाता है. वह घर में प्रवेश करने की कोशिश करते है तो महिलाओं द्वारा उनको लठ्ठ से पीटा जाता है. ग्राम कौड़िया खेड़ा में गोंसाई समाज की महिलाओं द्वारा लठ्ठ मार होली मनाई जाने की परम्परा आज भी कायम हैं.

समाज की परम्परा के अनुसार आज गोंसाई समाज के पुरुषों को घर से बाहर कर दिया जाता है. वह घर में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं तो महिलाओं द्वारा उनको लठ्ठ से पीटा जाता है. घर से निकाले गए पुरुषों की पंचमी बाद ही घर वापसी होती है. जब तक वह गांव के अन्य घरों से भीख मांग कर अपना पेट भरते हैं. इस समाज की महिलाएं रात के समय भी हाथों में लठ लिए चौकीदारी करती हैं. ऐसे में पुरुषों को खेत में रात बितानी पड़ती है. समाज के पूर्व सरपंच रूप गिरी गोंसाई ने बताया की उनके पूर्वजों के समय से यह परम्परा बरकरार है जो आज भी निभाई जा रही है. पुरुषों को किसी भी तरह घर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है. पकड़े गए पुरुष को घोड़ा बनाकर महिलाएं उस पर सवारी करती हैं, फगवा मिलने के एवज में उन्हें छोड़ा जाता है.

युवा पीढ़ी ने भी इस परम्परा को स्वीकारा

समाज के बुजुर्ग रामगीरगोसाई ने बताया की इस परंपरा के जरिये समाज की महिलाओं को प्रधानता दी जाती है, समाज में महिलाओं को मौका दिया जाता है. समाज के युवा मोहनगिरी गोसाई के अनुसार समाज की इस परम्परा को नई पीढ़ी ने भी उसी रूप में स्वीकारा है, महिलाओं द्वारा की गई सामूहिक पिटाई में चोट तो लगती है, लेकिन अभी तक कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ.

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पति सालभर जो पिटाई करते हैं उसका इकठ्ठा बदला होली पर निकाल लिया जाता है

गोसाई समाज की महिला बिनु बाई ने बताया की उनका कोई भी रिश्तेदार हो. उसे भी होली से पंचमी तक खूब पीटते है, होली पर महिलाएं काली का अवतार बन जाती है, यह एक ऐसा मौका है जब महिलाओं को पूरा बदला निकालने का अवसर मिलता है, महिलाओं ने बताया की वर्ष भर में उनकी जो पिटाई, उनके पति द्वारा की जाती है, उसका इकठ्ठा बदला वह इस अवसर पर निकाल लेती हैं.

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आशा बाई बताती है कि पांच दिनों के लिए महिलाएं पति बन जाती है, और पति पत्नी बन जाते हैं. इसमें किसी को बुरा नहीं लगता है. इन दिनों पिटाई में उनके पुरुष परिजन को जो चोट लगती है. उसकी सेवा भी महिलाएं ही करती हैं.