राइट टू हेल्थ पर खत्म होगी रार! प्राइवेट डॉक्टरों ने की गहलोत से मुलाकात, हुई क्या बात?
राजस्थान में गहलोत सरकार के राइट टू हेल्थ बिल को लेकर निजी अस्पतालों के लगातार चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच गुरुवार को डॉक्टरों के एक दल ने सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात कर अपना पक्ष मुख्यमंत्री के सामने रखा है. माना जा रहा है कि जल्द ही अब गतिरोध टूट सकता है.
राजस्थान में पिछले काफी समय से चल रहे गहलोत सरकार के राइट टू हेल्थ बिल को लेकर निजी अस्पतालों का विरोध प्रदर्शन लगातार चल रहा है. बिल को लेकर सरकार और डॉक्टर कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिखाई दे रहा है जिसके बाद इन दोनों के बीच मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इस बिल में आपत्तियों को लेकर कई बार चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ निजी डॉक्टरों की वार्ता हुई लेकिन हर बार वार्ता बेनतीजा रही. अब गुरुवार को डॉक्टरों के एक दल ने सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की है जहां डॉक्टरों ने बिल को लेकर अपना पक्ष मुख्यमंत्री के सामने रखा है. माना जा रहा है कि सीएम से वार्ता के बाद अब इस कानून का रास्ता साफ हो सकता है.
बता दें कि बिल को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इसे आम जनता के लिए जरूरी बताते हुए विरोध करने वालों को निशाने पर लिया था. सामाजिक संगठनों ने पिछले हफ्ते दो टूक में कहा था कि अगर निजी अस्पतालों को बिल पर कोई आपत्ति है तो वह बताएं. हालांकि फिलहाल विधानसभा का सत्र स्थगित है और अब 1 मार्च से विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी. इसके अलावा बिल प्रवर समिति के पास है जिसकी बैठक भी मार्च तक स्थगित कर दी गई है.
निजी डॉक्टरों का जारी रहेगा आंदोलन
वहीं सीएम से मुलाकात के बाद जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. अनुराग शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हमें आश्वासन दिया है कि चिकित्सक संगठनों की जो मांगे हैं उन्हें जल्द ही पूरा किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बिल को लेकर जो गतिरोध बन रहा है उसे लेकर भी बीच का रास्ता निकाला जाएगा. डॉक्टरों के संगठनों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए अपने अधिकारियों को कहा है कि इस बिल को लेकर चिकित्सक संगठनों के सुझावों पर चर्चा की जाए.
हालांकि डॉक्टरों के संगठनों का कहना है कि फिलहाल जो गतिरोध को देखते हुए उनका आंदोलन जारी रहेगा और निजी अस्पतालों में सरकार की योजनाओं का बहिष्कार जारी रहेगा. मालूम हो कि बीते कुछ समय से राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदेशभर के निजी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं में मरीजों का इलाज नहीं किया जा रहा है. माना जा रहा है कि सीएम से डॉक्टरों से मुलाकात के बाद अब गतिरोध टूट सकता है.
क्यों अड़े हैं निजी अस्पताल?
निजी अस्पतालों का कहना है कि बिल में कई प्रावधान स्पष्ट नहीं है और सरकार कानून को निजी क्षेत्र पर थोप रही है, जिसके बाद निजी अस्पताल को चलाना मुश्किल हो जाएगा. वहीं सरकार ने इस गतिरोध दूर करने के लिए 15 विधायकों की एक प्रवर समिति का गठन किया है लेकिन उसकी हर बैठक बेनतीजा रही है.
निजी डॉक्टरों का कहना है कि इस बिल के तहत आपातकालीन स्थिति में निजी अस्पतालों को फ्री इलाज करना है लेकिन कौनसी स्थिति को आपात माना जाए इसको लेकर साफ कुछ नहीं कहा गया है. अस्पतालों का कहना है कि बिल आने के बाद हम किसी भी मरीज का फ्री में इलाज करने को बाध्य होंगे तो हम अपने खर्चे कैसे चलाएंगे.
हालांकि निजी अस्पतालों के विरोध प्रदर्शन के बाद बीते दिनों हेल्थ मिनिस्टर परसादी लाल मीणा ने कहा था कि राज्य में अब प्राइवेट हॉस्पिटलों में इमरजेंसी के दौरान आने वाले मरीजों के इलाज का पूरा खर्च सरकार की ओर से दिया जाएगा जिसके लिए सरकार अस्पतालों को एक अलग फंड देगी. इसके अलावा बिल में घायल मरीज को अस्पताल पहुंचाने, फ्री इलाज जैसे कई बिंदुओं पर गतिरोध बना हुआ है.