महंगाई ढा रही गजब, क्या अब मिड-डे मील से गायब होगी तुअर दाल?
भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई को कंट्रोल करने के लिए लगातार कोशिश रहा है. इसके बावजूद तुअर दाल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. इसका असर मिड-डे मील पर पड़ सकता है और बच्चों की थाली से तुअर दाल गायब हो सकती है.
महंगाई बच्चों की थाली से अरहर की दाल गायब कराएगी भाई! ये हम नहीं कह रहे, बल्कि बाकायदा सरकार से इसकी अर्जी लगाई गई है कि देशभर में मिड-डे मील के लिए अरहर या तुअर दाल को बाकी अन्य दाल जैसे कि मसूर या चना से रिप्लेस कर दिया जाए. इसकी वजह बीते एक महीने में तुअर दाल के भाव 10 प्रतिशत तक बढ़ जाना है.
भारत में दाल और अनाज के प्रमुख संगठन ‘इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन’ (IPGA) ने सरकार से मिड-डे मील प्रोजेक्ट में तुअर दाल को अन्य दालों से बदलने का अनुरोध किया है. इस साल क्रॉप इयर ( जुलाई-जून) में तुअर दाल का उत्पादन कम करने की संभावना है.
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बेमौसम बारिश ने बिगाड़ा काम
इस साल अक्टूबर में बेमौसम बारिश ने तुअर दाल की फसल को बरबाद करने का काम किया. भारत में सबसे ज्यादा तुअर दाल का उत्पादन महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य करते हैं. बारिश ने दोनों ही राज्यों में फसल पर असर डाला है. इससे अरहर या तुअर दाल के भाव बढ़े हैं.
घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने 8,50,000 टन तुअर दाल का आयात किया था. वहीं उड़द और तुअर दाल के आयात को ‘फ्री कैटेगरी’ में रखा गया है. वहीं इस कैटेगरी में आयात करने की आखिरी तारीख भी सरकार ने 31 मार्च तक बढ़ा दी है.
5 लाख टन दाल का हो आयात
ईटी ने आईपीजीए के चेयरमैन बिमल कोठारी के हवाले से लिखा है कि एसोसिएशन ने सरकार से 5 लाख टन अन्य दाले मंगाने के लिए टेंडर जारी करने को कहा है. अब सरकार अपनी मिड-डे मील योजना के लिए सिर्फ तुअर दाल के आयात का टेंडर भी जारी कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो देश में अरहर दाल की कीमतें नीचे आएंगी.
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मिड-डे मील का फायदा देशभर के 11.20 लाख सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलता है. ये दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल लंच प्रोजेक्ट है. स्कूल ड्रॉप रेट को कम करने के लिए इसे शुरू किया गया था. हाल में इस परियोजना में सुधार करके इसे PM Poshan नाम दिया गया जो 11.80 करोड़ बच्चों को पौष्टिक खाना मुहैया कराने की स्कीम है.
म्यांमार, सूडान से आए तुअर दाल
भारत में 2022-23 क्रॉप इयर में तुअर दाल का उत्पादन 36.6 लाख टन होने का अनुमान है. ये 2021-22 फसल वर्ष में हुए 42.2 लाख टन के उत्पादन से 13 प्रतिशत कम है. जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का सभी तरह की दालों का कुल उत्पादन 2.7 करोड़ टन रहा है.
भारत तुअर दाल का अधिकतर आयात म्यांमार, तंजानिया, मोजांबिक और सूडान से करता है. अब सूडान के हालात खराब होने से वहां से होने वाले आयात पर थोड़ा असर पड़ सकता है.