खाने के लाले, छप्पर का घर, सब्जी बेचते हैं पिता… खो-खो का वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाली मोनिका की कहानी

खाने के लाले, छप्पर का घर, सब्जी बेचते हैं पिता… खो-खो का वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाली मोनिका की कहानी

भारतीय महिला खोखो टीम की कप्तान मोनिका का बचपन मुफलिसी में कटा है. उसके पिता ने कभी रिक्शा चलाकर और कभी सब्जी बेच कर परिवार का पालन पोषण किया. विपरीत परिस्थिति में भी मोनिका ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर यह मुकाम हासिल किया है.

मेहनत कभी किसी पहचान का मोहताज नहीं होता. दिल्ली में हुए खोखो वर्ल्ड कप में भारतीय महिला टीम ने इस बात को प्रमाणित भी किया है. एक सब्जी बेचने वाले और भागलपुर की बेटी मोनिका के नेतृत्व में भारतीय महिला टीम फाइनल मैच खेल कर विश्व विजेता बनी है. मोनिका की इस उपलब्धि पर केवल भागलपुर ही नहीं, पूरा देश गौरवांवित हो रहा है. खोखो वर्ल्ड कप का फाइनल मैच 19 जनवरी की रात दिल्ली में खेला गया था.

इसमें भारत की टीम ने प्रतिद्वंद्वी नेपाल को बड़े मार्जिन से हराकर जीत हासिल की है. इस प्रतियोगिता में भारतीय टीम को मोनिका ने शुरू से लीड दिलाई और आखिर में विजय हासिल किया. भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर प्रखंड में डिमहा गांव निवासी विनोद साह की बेटी मोनिका ने इस मैच में 6 अंक हासिल किए. 13 तारीख से शुरू इस टुर्नामेंट में 11 नम्बर की जर्सी में मोनिका का बेहतर प्रदर्शन रहा. बेहद गरीब परिवार से आने वाली मोनिका के पिता कभी रिक्शा चलाकर तो कभी सब्जी बेचकर परिवार पालते हैं.

प्रधानमंत्री आवास भी नहीं मिला

गांव में मोनिका का घर आज भी मिट्टी और खपरैल का है और उसकी मां लकड़ी चूल्हे पर रसोई बनाती हैं. परिजनों के मुताबिक मोनिका के परिवार को अब तक न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है, और ना ही उज्ज्वला योजना का. एक जर्जर मकान से निकलकर मोनिका ने देश और दुनिया में बिहार का मान बढ़ाया है. हालांकि अब तक बिहार सरकार ने उसकी कोई सुध नहीं ली है. पांच बच्चों में मोनिका शुरू से ही खेल में ही अपना करियर बनाना चाहती थी. उसके पिता ने भी विपरीत परिस्थिति के बावजूद उसे कभी रोका नहीं, बल्कि हमेशा उसका हौंसला बढ़ाया.

घर में नहीं है गैस सिलेंडर

अब विश्वकप जीतने पर मोनिका के घरवालों ने उसे वीडियो कॉल पर बात की और उसे जीत की बधाई दी है. मोनिका की मां जुदा देवी के मुताबिक एक समय ऐसा भी था कि मोनिका के पास खेलने के लिए जूता तक नहीं था. बावजूद इसके वह लगातार मेहनत और लगन से खेलती रही. उन्होंने बताया कि घर की माली हालत खराब हैं. उन लोगों कई बार प्रधानमंत्री आवास और उज्जवला योजना के लिए फार्म भरा लेकिन उन्हें अब तक सरकार की कोई सुविधा नहीं मिली है.