Kiren Rijiju News: कानून मंत्री के फेरबदल में उठे कई सवाल, क्या आनन-फानन में किया गया यह फैसला?

Kiren Rijiju News: कानून मंत्री के फेरबदल में उठे कई सवाल, क्या आनन-फानन में किया गया यह फैसला?

Kiren Rijiju News: जब मेघवाल ने मंत्रालय का चार्ज लिया तब रिजिजू मंत्रालय में मौजूद नहीं रहे. भारत के पहले कानून मंत्री बीआर आंबेडकर से लेकर किरेन रिजिजू तक हमेशा कानून मंत्रालय कैबिनेट रैंक के मंत्री को दिया गया है.

Kiren Rijiju News: आज जब किरेन रिजिजू को कानून मंत्री पद से हटाया तो नवनियुक्त मंत्री अर्जुन मेघवाल उनसे मिलने उनके घर गए, लेकिन जब मेघवाल ने मंत्रालय का चार्ज लिया तब रिजिजू मंत्रालय में मौजूद नहीं रहे. अक्सर देखा गया है कि सरकार में जब किसी मंत्रालय का मंत्री बदलता है तो पुराना मंत्री नए मंत्री को चार्ज देता है.

भारत के पहले कानून मंत्री बीआर आंबेडकर से लेकर किरेन रिजिजू तक हमेशा कानून मंत्रालय कैबिनेट रैंक के मंत्री को दिया गया है. ऐसा इसलिए, क्योंकि कैबिनेट की बैठक में उपस्थित कानून और विधि मंत्री महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय दे सकता है. हालांकि बतौर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अर्जुन राम मेघवाल महत्वपूर्ण मुद्दों पर कैबिनेट में हिस्सा ले सकते हैं.

संभवत यह पहली बार है, जब किसी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार को कानून और विधि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. मेघवाल राज्य मंत्री हैं. अगर बतौर कैबिनेट मंत्री उन्हें यह मंत्रालय मिलता तो उन्हें कैबिनेट मंत्री की शपथ लेनी होती.

क्या आनन-फानन में किया गया यह फैसला?

तकनीकी तौर पर अमूमन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के नीचे राज्य मंत्री नहीं होता है. राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार फंक्शनल दायित्व है, ऐसे में उसकी सहायता के लिए राज्य मंत्री नहीं दिया जाता है. किसी भी मंत्रालय में राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री को सहायता देने के लिए होता है, लेकिन कानून और विधि मंत्रालय अब राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अर्जुन राम मेघवाल के पास है और इसी मंत्रालय में एसपीएस बघेल राज्य मंत्री हैं.

इसी तरह भू विज्ञान मंत्रालय हमेशा से विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के साथ किसी राज्य मंत्री को स्वतंत्र प्रभार में दिया जाता रहा है. रिजिजू से पहले यह डॉ जितेंद्र सिंह के पास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर था, लेकिन एक कैबिनेट मंत्री को भूविज्ञान विभाग देना भी एक अनूठा कदम माना जा रहा है.

यह भी पढ़ें- रिजिजू से छिना कानून मंत्रालय, पीएम मोदी और CJI के लिए लिखा ये मैसेज

2014 में किया गया था नया प्रयोग

साल 2014 में मोदी सरकार बनने पर एक नया प्रयोग किया गया था. तब दस ऐसे राज्य मंत्री थे, जिन्हें अपने विभागों का स्वतंत्र प्रभार तो था लेकिन वे अन्य मंत्रालयों में राज्य मंत्री भी थे. उदाहरण के तौर पर पीयूष गोयल, निर्मला सीतारामन, धर्मेंद्र प्रधान, जनरल वी के सिंह आदि के पास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर भी मंत्रालय था और वह अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ उनके मंत्रालय में राज्य मंत्री भी थे. ऐसे में आज के घटनाक्रम को भी प्रशासन में एक नए प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है.